जयराम ठाकुर को लगा कि उन्हें बेवजह सजा दी गई है इसलिए उन्होंने अन्य सहपाठियों के साथ मिलकर हड़ताल करने की सोची. जैसे ही हाफ टाईम हुआ तो पूरी क्लास के स्टूडेंट बैग उठाकर घर चले गए. बाद में बड़ों ने समझाया कि तुमने गलत किया है तो फिर गलती का अहसास हुआ. फिर हेडमास्टर के पास माफी मांगने पहुंचे तो उन्होंने माफ करने से इनकार कर दिया.
काफी मान मुनव्वल के बाद हेडमास्टर ने ग्राउंड में सभी अध्यापकों को बुलाकर स्टूडेंटस को एक तरफ खड़ा कर दिया और एक-एक अध्यापक के पास जाकर नाक रगड़ कर माफी मांगने को कहा. सभी स्टूडेंटस ने ऐसा करके माफी मांगी तब जाकर उन्हें माफ किया गया.
सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि स्कूल टाईम की बहुत सी बातें उन्हें याद हैं लेकिन एक घटनाक्रम है जो शायद वह जिंदगी में कभी नहीं भूला सकते और उनके सहपाठी भी कभी नहीं भूला सकते.
जयराम ठाकुर ने बताया कि वो स्कूल टाईम में कई बार मुर्गा भी बने और अध्यापकों से मार भी खाई. लेकिन कभी अध्यापकों का निरादर नहीं किया और हमेशा उनकी बात मानी. जयराम ठाकुर ने उन कठिन दिनों का जिक्र भी किया जब वह पैदल स्कूल आते जाते थे और गरीबी में स्कूल टाईम गुजारा था.
इस दौरान सीएम ने बगस्याड़ स्कूल के बच्चों के सवालों के जबाव भी दिए. एक बच्ची ने पूछ लिया कि आज जिस मुकाम पर वह पहुंचे हैं तो इसका श्रेय किसे देना चाहेंगे. इस सवाल का जबाव देते हुए सीएम भावुक हो गए और उनका गला भर आया. सीएम ने कहा कि यह श्रेय वह सराज की जनता को देना चाहेंगे जिन्होंने हर परिस्थिति में उनका साथ दिया और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे. उन्होंने कहा कि सराज की जनता के अहसान को वह जिंदगी में कभी नहीं भुला सकते.