चाहे चालीस साल पूराने सफ़ेद दाग क्यों ना हो, ये अद्भुत सप्त तेल उम्मीद की आखिरी किरण है!.

  • श्वेत कुष्ठ या सफेद दाग त्वचा से संबंधित रोग है। कुछ लोग इसे कुष्ठ रोग भी मानते है। जबकि यह अवधारण गलत है। दुनियाभर में सफेद दाग से करीब चार फीसदी लोग ग्रस्त हैं। भारत की चार फीसदी (करीब पांच करोड़) जनसंख्या को सफेद दाग की समस्या है। शुरुआत में छोटा सा दिखाई देने वाला यह दाग धीरे-धीरे काफी बड़ा हो जाता है।
  • इससे ग्रस्त व्यक्ति को कोई शारीरिक परेशानी, जलन या खुजली नहीं होती। चेहरे पर या शरीर के अन्य किसी हिस्से में सफेद दाग होने के कारण कई बार व्यक्ति में हीनता की भावना भी पैदा हो जाती है। सफेद दाग के रोग में चमड़ी के ऊपर का भाग सफेद हो जाता है जिसे सफेद दाग या श्वेत कुष्ठ कहते हैं। इस रोग में शरीर में कही दर्द नहीं होता है और न ही यह फैलने वाला रोग है। सफेद दाग के रोग में सबसे पहले शरीर पर काले धब्बे (निशान) से बन जाते है। फिर त्वचा में जलन और खुजली मचने लगती है और त्वचा बिल्कुल सुन्न हो जाती है और फिर कुछ समय में शरीर पर जगह-जगह सफेद दाग दिखाई देने लगते हैं।
  • शुरूआत में यह दाग हाथों, कोहनी, चेहरा, घुटने, पैर और जो अंग दबाने से ग्रस्त होते हैं जैसे कमर में नाड़ा बांधने की जगह आदि स्थानो पर हो जाते हैं। धीरे-धीरे यह दाग एक-दूसरे से मिलते हुए पूरे शरीर पर फैल जाते हैं। इन दागों में किसी प्रकार का दर्द नहीं होता। इसलिये जब यह छोटा सा दाग होता है तो रोगी इसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देता। 
  • जब अंगुलियों, हथेली, पैरों के तलवे पर, होठों पर यह सफेद दाग हो जाते हैं तो इनको ठीक कराने में बहुत ज्यादा समय लगता है तथा शरीर के सारे अंग सफेद होने पर इस रोग के ठीक होने की संभावना बहुत ही कम रहती है। यह रोग वैसे तो छूत का नहीं होता है पर अक्सर लोग इस रोग के रोगी को अजीब तरह से देखते है।

➡ सफेद दाग होने के कारण :

  • आयुर्वेद के मुताबिक सफेद दाग ज्यादातर उन लोगों को होता है, जो परस्पर विरुद्ध वाले भोजन करते हैं जैसे दूध के ऊपर मछली खाना। इसके अलावा डकार , छींक, उल्टी, शौच (टट्टी), मूत्र (पेशाब) आदि को आने से रोकने के कारण भी ये रोग हो जाता है। ज्यादातर धूप में काम करने से, भोजन करने के बाद कसरत करने से, खट्टी और ज्यादा गर्म चीजे खाने से भी यह रोग हो जाता है। वायु (गैस), पित्त, तथा कफ (बलगम) खराब होकर शरीर में खून, चर्बी और मांस का रूप बिगाड़ देते हैं। यह रोग वंशानुगत (पहले कभी घर में किसी को हुआ हो) तो भी हो जाता है। शरीर में उपदंश या नाड़ी की खराबी के कारण भी शरीर पर सफेद दाग हो जाते हैं।

➡ सफेद दाग में भोजन और परहेज :

  1. सफेद दाग के रोग में भोजन हमेंशा ताजा और शाकाहारी करना चाहिये।
  2. सफेद दाग से पीड़ित रोगी को त्रिफला के पानी में भिगोए हुए अंकुरित चने, मूंग, पालक, गाजर , परवल, बथुआ, चोकर के आटे की रोटी, कैल्शियम और विटामिन `डी´ वाली चीजों का सेवन करना चाहिए और शरीर में सूरज की किरणे लगानी चाहिए।
  3. रोगी को जिस भोजन को खाकर ठंड़क मिले वो ही भोजन करना चाहिये।
  4. सफेद दाग के रोग में भोजन में खट्टे पदार्थ, तेल, लालमिर्च और गर्म मसालों का सेवन बन्द कर देना चाहिये और नमक भी कम खाना चाहिए।
  5. सफेद दाग के रोग में मांस बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।
  6. सफेद दाग के रोग से ग्रस्त रोगी को मीठी चीजों का सेवन कम करना चाहिए।

➡ सप्त तेल का अनुभूत प्रयोग : दादा मदन लाल जी का गुरु प्रदत्त अनुभूत प्रयोग :

  • तीस-चालीस वर्षो से अधिक समय तक किया गया इनका निम्न प्रयोग निराश रोगियों की सेवा में प्रस्तुत है उनका कहना है की अगर श्वेत कुष्ठ अधिक दिनों का पुराना हो तो यह प्रयोग आजमाये। अनुभूत योग इस प्रकार से है… 

➡ अवश्यक सामग्री :

  1. बावची तेल 10 मिली
  2. चाल मोगरा तेल 10 मिली
  3. लौंग तेल 10 मिली
  4. दालचीनी तेल 10 मिली
  5. तारपीन तेल 10 मिली
  6. श्वेत मिर्च का तेल 20 मिली
  7. नीम तेल 40 मिली

➡ सप्त तेल तैयार करने की विधि और लगाने का तरीका :

  • इन सात तेल को मिला कर अच्छी तरह सुबह शाम मालिश करे या लगाये कितना भी पुराना श्वेत कुष्ठ हो इस तेल के योग से पूरी तरह से ठीक हो जाता है हा एक बात जरुर है इसमें चार से सात माह का समय लगता है अत : निराश नहीं होना चाहिए और ये प्रयोग निरंतर करते रहना चाहिए और अगर किसी तरह का कोई उपद्रोव नजर आये तो इसमें 50 मिली नारियल तेल मिला सकते है इससे इसकी शक्ति कम हो जायेगी पर घबराना नहीं चाहिये कुछ समय और लग सकता है। इस महत्त्वपूर्ण जानकारी को शेयर जरूर करे ताकि इस रोग से ग्रसित रोगी इसका लाभ ले सके।
  • स्रोत : स्वदेशी चिकित्सा के चमत्कार लेख दादा मदन लाल जी का गुरु प्रदत्त अनुभूत प्रयोग। 
  • ध्यान रहे यह प्रयोग कुशल वैद्य या आयुर्वेदाचार्य द्वारा तैयार कराये तथा उनकी देख रेख में उचित परामर्श के साथ करे।

➡ सफेद दाग के लिए 10 आसान और कारगर घरेलू उपाय :

  1. कालीमिर्च : थोड़ी सी पिसी हुई कालीमिर्च को सिरके में मिलाकर त्वचा पर लगाने से सफेद दाग मिट जाते हैं।
  2. सेंधानमक : 1 चुटकी सेंधानमक और 6 ग्राम बावची को मिलाकर पानी के साथ खाने से सफेद दाग दूर हो जाते हैं।
  3. लहसुन : हरड़ को घिसकर लहसुन के रस में मिलाकर लेप करने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं। लहसुन को खाने से भी सफेद दाग ठीक हो जाते हैं। सफेद दाग के रोग में लहसुन जरूर खाने चाहिये। लहसुन के रस को निकालकर लगाने से सफेद दाग जल्दी ठीक हो जाते हैं। लहसुन का रस त्वचा के सफेद दागों पर लगाने से लाभ होता है।
  4. केला : केले के पत्ते को जलाकर बिल्कुल राख बना लें। अब इसमें थोड़ा सा मुर्दा शंख को पीसकर मिला लें। दोनो कों तिल्ली के तेल में मिलाकर लगाने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
  5. चूना : 1 चम्मच चूना और 5 ग्राम हरताल को एक साथ पीसकर नींबू के रस में मिलाकर लगभग 2 महीने तक सफेद दागों पर लगाने से लाभ होता है।
  6. अंजीर : अंजीर के कच्चे फलों से दूध निकालकर सफेद दागों पर लगातार 4 महीने तक लगाने से सफेद दाग मिट जाते हैं। अंजीर को घिसकर नींबू के रस में मिलाकर सफेद दाग पर लगाने से लाभ होता है। अंजीर के पत्तों का रस श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) पर सुबह और शाम लगाने से लाभ होता है।
  7. उड़द : काले उड़द को पीसकर सफेद दागों पर दिन में 3-4 बार लगाने से सफेद दागों का रंग वापस शरीर के बाकी रंग की तरह होने लगता है। उड़द को पानी में भिगोकर और पीसकर सफेद दागों पर लगातार 4 महीने तक लेप करने से सफेद दाग मिट जाते हैं।
  8. तुलसी : तुलसी के पौधे की जड़ और तने को साफ करके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। फिर इसे आधा किलो शुद्ध तिल के तेल में डालकर आग पर अच्छी तरह से पका लें और छानकर एक शीशी में भर लें। इस तेल को दिन में 3-4 बार रूई के फाये से लगाने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं। या 1 तुलसी का ताजा हरा पौधा जड़ के साथ लेकर धोकर साफ कर लें। फिर इसे पीसकर आधा किलो पानी और 500 मिलीलीटर तेल में मिलाकर हल्की-हल्की आग पर पकाने के लिये रख दें। जब पकते हुयें पानी जल जाये और बस तेल बाकी रह जाये तो इसे निकालकर छान लें। यह तुलसी का तेल बन गया। इस तेल को सफेद दागों पर लगाने से लाभ होता है। या काली तुलसी के रस में थोड़ी सी गोलमिर्च मिलाकर रोजाना 2 बार सेवन करने से सफेद दाग में लाभ मिलता है।
  9. नीम : नीम के तेल में चालमोंगरे का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर शीशी में भरकर रख लें। इस तेल को सफेद दागों पर लगाने और 5 से 6 बूंदे बताशे में डालकर खाने से सफेद दाग में लाभ मिलता है। या नीम की पत्तियों और फूलों को पानी के साथ पीसकर सफेद दागों पर लगाने से लाभ होता है। या नीम के ताजे कोमल पत्ते और 10 ग्राम हरे आंवला को पीसकर 50 मिलीलीटर पानी में मिलाकर और छानकर पीने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
  10. हल्दी : 10-10 ग्राम हल्दी, शीतलचीनी, सोना गेरू, बावची और नीम की छाल को लेकर सुखाकर पीस लें। इसमें से 10 ग्राम चूर्ण को शीशे के बर्तन में कम से कम 6 घंटे तक भिगोकर रखें। फिर इसे छानकर इसमें 2 चम्मच शहद मिलाकर पी जायें। इसके अन्दर बाकी बची हुई गाढ़ी चीजों का लेप बनाकर सफेद दागों पर लगाएं। यह क्रिया कम से कम 2 महीने तक करें। या 5-5 ग्राम दोनों हल्दी, केले का खार (रस), मूली के बीज, हरताल, देवदारू और शंख का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर नागरबेल के पत्तों के रस या नीम के तेल में मिलाकर लेप करने से सफेद दागों के रोग में लाभ होता है। या 10-10 ग्राम हल्दी, हरताल, आक की जड़, गंधक और कुटकी को एक साथ पीसकर गाय के पेशाब में मिलाकर 1 सप्ताह तक लेप करने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।

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