जब राजा परीक्षित को इस बारे में पता चला कि अगले सात दिन के बाद उसकी मृत्यु तक्षक नाग के डंसने से होगी, तो उन्होंने सात दिनों में शुकदेव जी से श्रीमद् भागवत कथा सुनी, सातवें दिन….

महाभारत में अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित को जब ये मालूम हुआ कि अगले सात दिन के बाद उसकी मृत्यु तक्षक नाग के डंसने से होगी, तब परीक्षित ने इन सात दिनों में शुकदेव जी से श्रीमद् भागवत कथा सुनी थी।

सातवें दिन तक्षक सांप के डंसने पर परीक्षित की मृत्यु हुई। परीक्षित के बाद उसका पुत्र जनमेजय राजा बना।

राजा जनमेजय को जब ये मालूम हुआ कि उसके पिता परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई थी तो वह बहुत गुस्सा हो गया। जनमेजय ने नागों से बदला लेने के लिए नाग दाह यज्ञ शुरू करवाया।

यज्ञ शुरू होने के बाद पूरी धरती से सांप आकर यज्ञ कुंड में गिरने लगे। ऋषि-मुनि नागों के नाम ले-लेकर आहुति दे रहे थे और सांप कुंड में गिरते जा रहे थे। इस यज्ञ से डरकर तक्षक नाग देवराज इंद्र के पास जाकर छिप गया था।

उस समय आस्तिक मुनि को यज्ञ के बारे में मालूम हुआ तो वे यज्ञ स्थल पहुंच गए। जनमेजय सभी मुनियों का बहुत सम्मान करता था, उसने आस्तिक मुनि को प्रणाम किया। आस्तिक जी ने राजा को नाग दाह यज्ञ बंद करने के लिए समझाया तो जनमेजय ने यज्ञ रोक दिया और नाग पूरी तरह से नष्ट होने से बच गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *