हार्टफेल के 10 सबसे सफल आयुर्वेदिक घरेलु उपचार, जरूर अपनाएँ.

  • उच्च रक्तचाप के कारण हृदय को शरीर में रक्त के प्रसार के लिए सामान्य से ज़्यादा काम करना पड़ता है। अधिक समय तक जब ऐसा चलता रहता है तो अतिरिक्त काम करने के कारण हृदय की मासपेशियां मोटी हो जाती है। इस वजह से हृदय की मासपेशियां सख्त या कमज़ोर हो जाती है और उनके लिए रक्त पंप करना मुश्किल हो जाता है।
  • हृदय की धमनियों और रक्त प्रवाह से सम्बंधित समस्याओं; संक्रमण; शराब पीने और नशीले पदार्थों का सेवन के कारण हृदय क्षतिग्रस्त हो सकता है। कई और बिमारियों और पारिवारिक समस्याओं के कारण भी दिल की विफलता हो सकती है।
  • आपके हृदय की वॉल्व रक्त प्रवाह को उचित दिशा देते हैं। हृदय की किसी भी समस्या, कोरोनेरी धमनियों की बीमारी (Coronary Artery Disease), हृदय सम्बंधित संक्रमण की वजह से क्षतिग्रस्त वॉल्व के कारण आपके हृदय को अतिरिक्त काम करना पड़ता है। अधिक समय तक जब ऐसा चलता रहता है तो अतिरिक्त काम करने के कारण आपका हृदय कमज़ोर हो सकता है। क्षतिग्रस्त वॉल्व को रेप्लस या ठीक किया जा सकता है।

सामग्री:

  • पीपल के ताजा विकसित कोमल 15 पत्ते
  • 400 मिलीलीटर पानी

आयुर्वेदिक तरीके:

  • मालिश: सबसे पहले शरीर के समस्त कपड़ों को ढीला कर दें। बायें हृदय के स्थान को थपथपायें या ऊपर की ओर मालिश करें इससे रक्तसंचार जारी रहने में सहायता मिलती है।
  • पीपल : पीपल के ताजा विकसित कोमल 15 पत्ते लें, फिर हर पत्ते का ऊपर और नीचे का कुछ हिस्सा कैंची से काटकर फेंक दें। अब पत्तों को साफ पानी से धो लें। इन सभी 15 पत्तों को लगभग 400 मिलीलीटर पानी में डालकर धीमी आग पर उबाल लें। जब एक तिहाई पानी शेष बच जाये तब उतार कर ठंडा कर लें और किसी साफ कपड़े से छान लें और किसी ठंडे साफ स्थान पर ढककर रख दें। इस दवा की 3 खुराक बनाकर दिन में 3-3 घंटे बाद रोगी को देने से दिल के दौरे में आराम मिलेगा। इस प्रकार ताजा नई दवा बनाकर 15 दिन तक रोगी को पिला दें। सावधानी: खुराक के रूप में दवा को लेते समय पेट बिल्कुल खाली नहीं होना चाहिए। दलिया, बिस्कुट या हल्का नाश्ता करने के थोड़ी देर बाद दवा लें।
  • लहसुनहार्टफेल के रोगी को लहसुन का रस 10 से 30 बूंद तुरंत दें। इसके बाद सुबह-शाम लहसुन का रस देते रहें। 4-5 लहसुन की कलियों को उसी समय चबाकर खाना चाहिए। ऐसा करने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा नहीं रहता है। इसके बाद लहसुन को दूध में उबालकर देते रहना चाहिए। दिल के रोग में लहसुन देने से पेट की वायु निकलकर दिल का दबाव हल्का हो जाता है और दिल को ताकत मिलती है।
  • मुलहठी: मुलहठी का चूर्ण घी या दूध के साथ तत्काल और बाद में सुबह और शाम खुराक के रूप में रोगी को दें।
  •  बरियारा: 5 से 10 ग्राम बरियारा (बला, खिरैटी) की जड़ को कस्तूरी और मकरध्वज के साथ देने से रोगी को आराम होगा। बाद में सुबह और शाम देते रहने से लाभ होगा।
  • प्याज: सुबह 1 प्लेट प्याज के टुकड़े करके उसको तले या उबाल लें। इस प्याज के रोजाना सेवन करने से व्यक्ति को दिल के दौरे नहीं पड़ते हैं।
  • पटुआ (सन): पटुआ (सन) के पत्तों के 10 मिलीलीटर रस को कालीमिर्च के साथ रोगी को देने तत्काल सेवन कराने से आराम होगा। एवं बाद में सुबह-शाम दे सकते हैं।

भोजन और परहेज:

  •  अधिक वजन या परिश्रम नहीं करना चाहिए।
  • मानसिक तनाव से मुक्त रहना चाहिए।
  • सुबह जल्दी उठकर नंगे पांव घास में घुमना-टहलना चाहिए जिससे शरीर में ताजगी आती है और शरीर में रक्तसंचार में सहायता मिलती है।
  • इस दवा के सेवनकाल में तली चीज़े, मांस, मछली, अण्डे, शराब आदि का सेवन और धूम्रपान न करें। नमक व चिकनाई का प्रयोग कम करें।

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