पृथ्वी से बाहर की दुनिया में खोज में लगे वैज्ञानिकों को किन किन मुश्किलों और परिस्थितियों का सामना करना पड़ता हैं यह तो एक अंतरिक्ष यात्री ही बता सकता हैं। अंतरिक्ष में काफी लंबा समय बिताने से मानव शरीर पर इतना असर पड़ता हैं कि अंतरिक्ष यात्री को वापस पृथ्वी पर लौटने के बाद फिर से छोटे बच्चों की तरह चलना सीखना पड़ता हैं।
जी हां, सुनने में हैरानी हो रही हैं पर यह बिल्कुल सच है। एक यात्री जो अंतरिक्ष मे कई दिन या फिर महिनो बिताने के बाद पृथ्वी पर लौटते हैं तो वे चलना भूल जाते हैं। ऐसा इसलिए होता हैं क्योंकिं अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बिल्कुल शून्य होता हैं, जिसे हम जीरो ग्रेविटी (zero gravity) कहते हैं।
मानव शरीर पृथ्वी पर रहने के लिए ही बनाया गया है। इसमे अंतरिक्ष की स्थितियों का सामना करने की क्षमता नही होती हैं। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी का मनुष्य के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता हैं। सबसे ज्यादा असर पड़ता हैं उनकी हड्डियों और मांशपेशियों पर।
पृथ्वी पर जो मानव शरीर का भार होता हैं, यानी कि जो वजन होता हैं, अंतरिक्ष में वह बिल्कुल ना के बराबर हो जाता हैं, शून्य हो जाता हैं। अंतरिक्ष में सब कुछ हवा में तैरता हुआ नजर आता हैं यहा तक कि इंसान भी। वहा मनुष्य को चलने फिरने की जरूरत ही नही पड़ती या यूं कह सकते है कि वह चल नही पाता बल्कि खुद ब खुद हवा में तैरता रहता हैं।
अब ऐसे में मनुष्य के शरीर को कोई काम नही करना पड़ता, खासकर के उनके शरीर की हड्डियों और मांशपेशियों को कड़ी मेहनत नही करनी पड़ती। यही वजह है कि उनको नुकसान पहुंचता है। पृथ्वी पर वापस लौटने पर कैल्शियम की कमी उनकी हड्डियो को कमजोर बना देती हैं।
धीरे धीरे समय के साथ पैरों और पीठ की मांशपेशियां कमजोर होने लगती हैं और यही कारण है कि एक अंतरिक्ष यात्री अपनी यात्रा से लौटने के तुरंत बाद चल नही पाते हैं।