जग्गी वासुदेव को दुनिया सद्गुरु के नाम से जानती है। सद्गुरु जी ईशा फाउंडेशन के संस्थापक हैं। ईशा फाउंडेशन दुनिया भर में लोगो को योग सिखाता है। सद्गुरु एक लेखक भी हैं। उन्होंने 8 भाषाओं में 100 से अधिक पुस्तकों की रचना भी की है। इनके विचार जीवन को सही रूप में समझने और जीने की प्रेरणा देते है।
यह तो हम सभी जानते हैं कि वास्तु के नियमों का पालन करना कितना आवश्यक होता है, क्योंकि इससे हमारे घर में सुख शान्ति बनी रहती हैं। घर में समृद्धि आती है, तो चलिए आज हम जानते हैं ऐसी कुछ खास बातें, जो सद्गुरु जी ने बताई है।
सद्गुरु जी कहते हैं कि घर और घर की दिशाओं का अध्ययन ज्योतिष में नहीं, वास्तु में होता है। वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार दक्षिण-पश्चिम का मुख्य द्वार कानूनी जटिलताओं का जनक माना जाता है। आपके गृह की स्थिति निश्चित रूप से वास्तु के अनुरूप नहीं है। यदि घर के अंदर की योजना भी वास्तु अनुसार न हुई, तो यह आपके कष्टों को बढ़ावा दे सकता है। चिंता न करें, उत्तराभिमुख रहने, उत्तर पूर्व दिशा में दर्पण स्थापित करने से लाभ होगा। ऐसा वास्तु के नियम कहते हैं।
दक्षिण दिशा में पैर करके न सोएं
दक्षिण दिशा में पैर करके नहीं सोना चाहिए। यदि हम उत्तर दिशा में सिर रख कर सोते हैं तो हमारे पैर दक्षिण की ओर होते हैं, जो कि हमारी सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है तथा इसकी वजह से आपका सेहत ज्यादा खराब रह सकता है।
इस दिशा में करें भगवान की पूजा
हमें भगवान की पूजा पूरब की ओर मुंह करके करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा की ओर पितरों की पूजा की जाती है। पूजा करते समय धूप दिया जरुर जरूर जलाएं। इससे आपके घर में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहेगी।
इस कोण में न रखें स्नान घर
यदि घर के आग्नेय कोण में स्नान गृह हो, तो यह घर में कलेश को जन्म देता है, क्योंकि इस दिशा कोण में रसोईघर होना चाहिए और स्नान गृह उत्तर या पूर्व दिशा में। ताकि आपके घर में किसी प्रकार का कलेश उत्पन्न न हो।
घर को रखें साफ-सुथरा
घर को हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए। घर को हमेशा सजा के रखें। सारी चीजें सही जगह पर रखी होनी चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो इससे माता लक्ष्मी नाराज हो सकती है, फिर धीरे-धीर आपकी आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी।