अस्थमा, बवासीर, कब्ज समेत 25 रोगों का ऐसा सत्यानाश करेगा ये फूल की पलट कर नही आएंगे

अस्थमा, बवासीर, कब्ज समेत 25 रोगों का ऐसा सत्यानाश करेगा ये फूल की पलट कर नही आएंगे

Prickly Poppy Benefits: कांटेदार खसखस ​​एक अमेरिकी पौधा है, लेकिन भारत में यह सर्वत्र उगाया जाता है। इस फूल के किसी भाग को तोड़ने पर उसमें से पीले रंग का दूध निकलता है, इसलिए इसे स्वर्णक्षीरी भी कहते हैं।

इसका फल चौकोर, कांटेदार, प्याले के आकार का, सरसों के दाने जैसे छोटे-छोटे काले रंग के बीजों से भरा होता है, जो जलते कोयले पर फेंकने पर आवाज करते हैं। उत्तर प्रदेश में इसे भड़भांड कहते हैं। इस पौधे के पूरे पौधे पर कांटे होते हैं।सत्यानाशी के फायदें

इन बीमारियों को जड़ से खत्म कर देगा सत्यानाशी

सत्यानाशी के फायदें

इस फूल को सत्यानाशी भी कहते है। ये खांसी को ठीक करती है। इसके दूध, पत्तों के रस और बीज के तेल का बाहरी रूप से उपयोग किया जाता है। ये फोड़े-फुंसियों को ठीक करते हैं। सत्यानाशी घावों को ठीक करती है और कुष्ठ रोग को ठीक करती है। सत्यानाशी की जड़ का लेप सूजन और जहर को कम करता है। इसके बीज दर्द को कम करते हैं। इससे कभी-कभी उल्टी भी होती है। सत्यानाशी की जड़ पेट के कीड़ों को नष्ट करती है। सत्यानाशी की जड़ का रस रक्त की अशुद्धियों को दूर करता है और इसका दूध सूजन को दूर करता है।

इन बीमारियों को जड़ से खत्म कर देगा सत्यानाशी

पीलिया: सत्यानाशी के तेल की 8 से 10 बूंद को 10 मिली गिलोय के रस में मिलाकर सुबह-शाम रोगी को देने से पीलिया ठीक हो जाता है। सत्यानाशी की जड़ की छाल का चूर्ण 1 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।

पेट दर्द: सत्यानाशी के पीले दूध की 3 से 5 मिलीलीटर मात्रा को 10 ग्राम घी के साथ रोगी को देने से पेट दर्द ठीक हो जाता है।

आंखों के रोग: सत्यानाशी के 1 बूंद दूध में 3 बूंद घी मिलाकर अंजन (काजल) की तरह आंखों में लगाने से आंखों का सूखापन और अंधापन ठीक हो जाता है।

दमा होने पर: सत्यानाशी के पंचांग (जड़, तना, पत्ते, फल, फूल) का 500 मिलीलीटर रस निकालकर आग पर उबालना चाहिए। जब ​​यह रबड़ी की तरह गाढ़ा हो जाए तो इसमें 60 ग्राम पुराना गुड़ और 20 ग्राम राल मिलाकर गर्म कर लें। फिर इसकी लगभग एक चौथाई ग्राम की गोलियां बना लें, 1-1 गोली दिन में 3 बार गर्म पानी के साथ रोगी को देने से दमा में लाभ होता है।

कुष्ठ रोग: सत्यानाशी के रस में थोड़ा नमक मिलाकर रोजाना 5 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में लंबे समय तक सेवन करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

मुंह के छाले: सत्यानाशी की टहनी तोड़कर मुंह के छालों पर लगाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।

कान का दर्द: सत्यानाशी का तेल कान में डालने से कान का दर्द, कान का घाव और कम सुनाई देना ठीक हो जाता है।

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हकलाना: सत्यानाशी का दूध जीभ पर मलने से हकलाना ठीक हो जाता है।

बवासीर: सत्यानाशी की जड़, सेंधा नमक और चक्रमर्द के बीज 1-1 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छाछ के साथ पीने से बवासीर ठीक हो जाती है।

पथरी: लगभग 1 मिलीलीटर सत्यानाशी का दूध रोजाना पीने से पेट की पथरी ठीक हो जाती है।

नाक के रोग: सत्यानाशी (पीला धतूरा) के पीले दूध को घी में मिलाकर नाक के फुंसियों पर लगाने से आराम मिलता है।

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