धर्म ग्रंथों के अनुसार, ब्रह्मा जी पूरी सृष्टि के रचयिता हैं। पूरे भारत में उनका केवल एक ही मंदिर है जो कि पुष्कर में स्थापित है। ब्रह्मा जी का इकलौता मंदिर होने के कारण यहां लाखों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।
यह मंदिर पुष्कर लेक के किनारे बसा हुआ है। इसकी सुंदरता के चलते दूर-दूर से पर्यटक भी यहां पहुंचते हैं।
कैसे अस्तित्व में आया पुष्कर
पद्म पुराण के अनुसार, जब धरती वज्रनाश नामक राक्षस का कहर झेल रही थी। तब ब्रह्मा जी ने उस राक्षस का वध कर दिया। लेकिन वध करने के दौरान उनके हाथों से तीन जगह पर कमल गिर गए और वहां तीन झीलों का निर्माण हो गया। तब से इस जगह का नाम पुष्कर पड़ गया।
ब्रह्मा जी को उनकी पत्नी ने क्यों दिया श्राप
इस वक्त ब्रह्मा जी ने संसार के लिए एक यज्ञ करने का फैसला किया। ब्रह्मा जी ने पुष्कर में यज्ञ शुरू किया लेकिन उनकी पत्नी सावित्री के तय समय पर न पहुंचने की वजह से उन्होंने गुर्जर समुदाय की एक लड़की ‘गायत्री’ से विवाह कर कर लिया और यज्ञ शुरू किया। इसी दौरान सावित्री वहां पहुंच गई और ब्रह्मा जी पर क्रोधित हो गईं। और ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि देवता होने के बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी। सभी देवताओं ने सावित्री को दूसरा विवाह करने के पीछे का कारण बताया और उन से श्राप को ने वापस लेने के लिए कहा। सावित्री का गुस्सा शांत होने के बाद उन्होंने ब्रह्मा जी की धरती पर सिर्फ पुष्कर में ही आपकी पूजा होने की बात कही। साथ ही यह भी कहा कि अगर कोई इस जगह के अलावा धरती पर ब्रह्मा जी का मंदिर बनाएगा तो उसका विनाश हो जाएगा।