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‘इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिमों को करेंगे इकट्ठा कि..’, भारत में ऐसा क्या बड़ा करने के फिराक में हैं मौलाना मदनी?

‘इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिमों को करेंगे इकट्ठा कि..’, भारत में ऐसा क्या बड़ा करने के फिराक में हैं मौलाना मदनी?

‘इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिमों को करेंगे इकट्ठा कि..’, भारत में ऐसा क्या बड़ा करने के फिराक में हैं मौलाना मदनी?
Waqf Amendment Bill 2024: वक्फ संशोधन बिल 2024 पर देशभर में घामसान जारी है। ऐसे में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। इस बिल पर बनी जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) ने

गुरुवार (22 अगस्त) को दिल्ली स्थित संसद भवन एनेक्सी में बैठक की। जिसमें जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी अपना गुस्सा जताते हुए नजर आए। उनकी मानें तो इसे आज न बदला गया तो इंडिया गठबंधन की सरकार इसे बदलेगी। वो आगे कहते हैं कि “हजारों मस्जिदों और पचासों हजार एकड़ से ऊपर की जमीन पर कब्जा कर लिया जाएगा। यही इस सरकार का प्लान है, हम उनके कागजात कहां से लाएंगे। “

मौलाना अरशद मदनी आगे कहते हैं कि , “हमारी लड़ाई हुकूमत से है, हम हुकूमत के ऊपर दबाव डालेंगे। यह नहीं मानेंगे तो जो हुकूमते अलग-अलग सूबों के अंदर सियासत कर रही है, वहां मुसलमान को इकट्ठा करेंगे। इतनी बड़ी संख्या में इकट्ठा करेंगे कि कल इनको (सरकार) जवाब देना होगा।”

केंद्र सरकार पर साधा निशाना

केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, “ये सरकार जाते-जाते कुछ ऐसे काम करके जाना चाह रही है, जिससे मुसलमानों को नुकसान हो। सारी दुनिया के अंदर इस तरह के लोग हैं, जो मुसलमान से जिद रखते हैं। सारी दुनिया में सबसे जिंदा मजहब इस्लाम है।”

मुस्लिम संगठन ने गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की और इसे असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और अनुचित बताया क्योंकि यह संविधान द्वारा गारंटीकृत धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है। जमीयत-ए-उलमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में जमीयत उलमा-ए-हिंद और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, “वक्फ में लाया जा रहा संशोधन विधेयक असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और अनुचित है।

‘खतरनाक मंसूबों का सबूत’मौलाना मदनी ने कहा कि ‘संसद में संशोधन विधेयक पेश करते समय दावा किया गया था कि इससे काम में पारदर्शिता आएगी और मुस्लिम समाज के कमजोर और जरूरतमंद लोगों को फायदा होगा। यह विधेयक सरकार की दुर्भावनापूर्ण मंशा और उसके खतरनाक मंसूबों का सबूत है। मौलाना मदनी ने कहा कि अगर यह विधेयक पारित हो जाता है तो न केवल देशभर में वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है, बल्कि नए विवादों का द्वार भी खुल जाएगा और उन मस्जिदों, मकबरों, इमारतों, इमाम बाड़ों और जमीनों की स्थिति संदिग्ध हो जाएगी जो वक्फ संपत्तियां हैं या जो वक्फ की जमीन पर स्थित हैं।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक के तहत सभी शक्तियां वक्फ ट्रिब्यूनल और वक्फ आयुक्तों के बजाय जिला कलेक्टरों को हस्तांतरित कर दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्डों के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर उनकी स्थिति में भी बदलाव किया जा रहा है और इसमें गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति का द्वार भी खोला जा रहा है। यह विधेयक अधिकारियों और सदस्यों के लिए मुस्लिम होने की अनिवार्यता को भी समाप्त कर देगा।

‘मुस्लिम धार्मिक स्वतंत्रता के भी खिलाफ’मौलाना मदनी ने कहा कि यह हिंदू-मुस्लिम मुद्दा नहीं बल्कि संवैधानिक समस्या है और यह विधेयक मुस्लिम धार्मिक स्वतंत्रता के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा कि हिंदू धार्मिक स्थलों के रखरखाव और संरक्षण के लिए गठित श्राइन बोर्ड में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि जैन, सिख या बौद्ध इसके सदस्य नहीं होंगे। उन्होंने सवाल किया कि अगर जैन, सिख और बौद्ध श्राइन बोर्ड के सदस्य नहीं हो सकते तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों का मनोनयन और नियुक्ति कैसे जायज हो सकती है?

मौलाना मदनी ने पूछा, ‘जबकि जैन और बौद्ध धर्म को हिंदू धर्म से अलग नहीं माना जाता, बल्कि उन्हें एक अलग संप्रदाय माना जाता है। अगर संप्रदाय होने के आधार पर हिंदू होने पर भी वे श्राइन बोर्ड में भाग नहीं ले सकते तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों का मनोनयन और नियुक्ति अनिवार्य क्यों है?’ उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश आदि में कानून है कि हिंदू धर्म की संपत्ति का प्रबंधन करने वाले हिंदू ही होने चाहिए। इसे भी जरूर पढ़ें –

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