इन 2 दिशाओ में सर करके कभी ना सोयें नहीं तो जल्दी मृत्यु आएगी, ये है सोने की सही दिशा!!!

राजीव जी ने विश्राम (नींद) को कैसे करना है उसके बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि विश्राम (नींद) लेते समय अपना सर पूर्व की दिशा, यानि की सूर्य की दिशा में हो तो सबसे अच्छा है। आपके घर के बिस्तर का सर हमेशा पूर्व की दिशा में रखिये। और अगर नही रख सकते तो उतर में और पश्चिम में कभी भी सर करके मत सोना। नहीं तो मृत्यु बहोत जल्दी आ सकती हैं। उत्तर की दिशा, मृत्यु की दिशा होने का वैज्ञानिक कारण पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल है। पृथ्वी के दो सिरे हैं, एक उत्तर और एक दक्षिण। मानव शरीर के भी दो सिरे हैं, जिसमे पैर को दक्षिण माना जाता है और सर को उत्तर माना जाता है।

पृथ्वी के उत्तर और एक दक्षिण सिरे में सबसे ज्यादा गुरुत्वाकर्षण बल है। अगर आपने सोते समय आपका सर उत्तर की तरफ कर लिया तो, उत्तर सर का और पृथ्वी का उत्तर मिलेंगे तो रिपल्शन होगा। रिपल्शन का मतलब है धक्का, ये फिजिक्स का एक नियम है। पृथ्वी का उत्तर का बल हमारे सर को धक्का मारेगा तो इससे सर पर दबाव पड़ेगा और आपका पूरा शरीर डिस्टर्ब होगा। इसकी वजह से आपके शरीर में ब्लड-प्रेशर कम-ज्यादा होना शुरु हो जायेगा। और इसकी वजह से आयुष्य कम होने ही वाला है। हमारे घर में भी अगर किसी की मृत्यु होती है तो तुरंत उसका सर, उत्तर की तरफ कर देते हैं। इसलिए आयुर्वेद ने इस नियम का बहुत गहराई से स्वीकार कीया है।

पुर्व में पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल सबसे कम होता है तो सोने के समय सर की दिशा पूर्व में ही रहे उसका ध्यान रखिये। इस बात का प्रयोग राजीव जी ने उनके शरीर पे 6 साल तक किया। 6 साल तक राजीव जी उत्तर की दिशा में सर रखके सोए और पश्चिम में भी सोना शुरू किया। दोनों ही दिशाओ में जब सोने के तुरंत बाद उन्होंने ब्लड-प्रेशर मापा तो सोने के पहले और सोने के उठने के बाद दोनों में जमीन असमान का अंतर था।

जब भी राजीव जी उत्तर मैं सोये तब हर बार अच्छी नही आयी, स्वप्न बहुत खराब आये और फिर उन्होंने थोड़े दिन पूर्व में सोना शुरू किया और उसके बाद उन्होंने देखा की सब कुछ सामान्य हो गया। ब्लड-प्रेशर सामान्य हो गया, ख़राब स्वप्न भी आते बंध हो गए और नींद अच्छी आती हो गई।

राजीव जी ने आगे उनके प्रयोग के बारे मे और बताते हुए कहा कि फिर मैंने आयुर्वेद के कई चिकित्सो से इस बारे में बात की और उन्होंने कहा कि वो भी ये अनुभव कर चुके है। इसलिए आप हमेशा सोते समय पूर्व में सर रखे। आज ही अपने-अपने बिस्तर की दिशा बदल दीजिये। जीवन भर निरोगी रहने के लिए निद्रा बहुत आवश्यक है। जैसे अच्छा भोजन बहुत जरूरी है वैसे अच्छी झोक बहुत आवश्यक है।

अब बागभट्ट जी ने तो लिख दिया| पर राजीव भाई इस पर कुछ रिसर्च किया, तो राजीव भाई लिखते हैं कि गाव गाव जब मैं घूमता था तो किसी कि मृत्यु हो जाती तो मुझे अगर किसी के संस्कार पर जाना पड़ता, तो वहाँ मैं देखता कि पंडित जी खड़े हो गए संस्कार के लिए, और संस्कार के सूत्र बोलना वो शुरू करते हैं| तो पहला ही सूत्र वो बोलते हैं ! मृत का शरीर उत्तर मे करो मतलब सिर उत्तर मे करो| पहला ही मंत्र बोलेंगे मृत व्यक्ति का सिर उत्तर मे करो|

और हमारे देश मे आर्य समाज के संस्थापक रहे दयानंद सरस्वती जी| भारत मे जो संस्कार होते है| जन्म का संस्कार है, गर्भधारण का एक संस्कार है ऐसे ही मृत्यु भी एक संस्कार (अंतिम संस्कार) है तो उन्होने एक पुस्तक लिखी है (संस्कार विधि) ! तो उसमे अंतिम संस्कार की विधि मे पहला ही सूत्र है ! मृत का शरीर उत्तर मे करो फिर विधि शुरू करो ! अब ये तो हुआ बागभट्ट जी, दयानंद जी आदि लोगो का, अब इसमे विज्ञान क्या है वो समझे| ये राजीव भाई का अपना explaination है – क्यूँ ????

आज का जो हमारा दिमाग है न वो क्यूँ ? के बिना मानता ही नहीं ! क्यूँ क्यूँ ऐसा करे ??? कारण उसका बिलकुल सपष्ट है ! आधुनिक विज्ञान ये कहता है आपका जो शरीर है, और आपकी पृथ्वी है इन दोनों के बीच एक बल काम करता है इसको हम कहते हैं गुरुत्वाकर्षण बल (GRAVITATION force )!

इसको आप ऐसे समझे जैसे आपने कभी दो चुंबक अपने हाथ मे लिए होंगे और आपने देखा होगा कि वो हमेशा एक तरफ से तो चिपक जाते हैं पर दूसरी तरफ से नहीं चिपकते ! दूसरे तरफ से वे एक दूसरे को धक्का मारते है ! तो ये इस लिए होता है चुंबक कि दो side होती है एक south एक north ! जब भी आप south और south को या north और north को जोड़ोगे तो वो एक दूसरे को धक्का मारेंगे चिपकेगे नहीं ! लेकिन चुंबक के south और north एक दूसरे से चिपक जाते है !!

अब इस बात को दिमाग मे रख कर आगे पढे

अब ये शरीर पर कैसे काम करता है, तो आप जानते है कि पृथ्वी का उत्तर और पृथ्वी का दक्षिण ये सबसे ज्यादा तीव्र है गुरुत्वाकर्षण के लिए| पृथ्वी का उत्तर पृथ्वी का दक्षिण एक चुंबक कि तरह काम करता गुरुत्वाकर्षण के लिए| अब ध्यान से पढ़े !आपका जो शरीर है उसका जो सिर वाला भाग है वो है उत्तर ! और पैर वो है दक्षिण| अब मान लो आप उत्तर कि तरफ सिर करके सो गए| अब पृथ्वी का उत्तर और सिर का उत्तर दोनों साथ मे आयें तो force of repulsion काम करता है ये विज्ञान ये कहता है ! यह लेख आप राजीव दीक्षित जी डॉट कौम पर पढ़ रहे है..

force of repulsion मतलब प्रतिकर्षण बल लगेगा ! तो आप समझो उत्तर मे जैसे ही आप सिर रखोगे प्रतिकर्षण बल काम करेगा धक्का देने वाला बल !तो आपके शरीर मे संकुचन आएगा contraction. शरीर मे अगर संकुचन आया तो रक्त का प्रवाह blood pressure पूरी तरह से control के बाहर जाएगा !क्यूँ की शरीर को pressure आया तो blood को भी pressure आएगा| तो अगर खून को pressure है तो नींद आएगी ही नहीं| मन मे हमेशा चंचलता रहेगी|दिल की गति हमेशा तेज रहेगी, तो उत्तर की दिशा पृथ्वी की है जो north pol कहलाती है| और हमारे शरीर का उत्तर ये है सिर, अगर दोनों एक तरफ है तो force of repulsion (प्रतिकर्षण बल ) काम करेगा नींद आएगी ही नहीं !इसे भी जरूर पढ़ें –

अब इसका उल्टा कर दो आपका सिर दक्षिण मे कर दो ! तो आपका सिर north है उत्तर है ! और पृथ्वी की दक्षिण दिशा मे रखा हुआ है ! तो force of attraction काम करेगा ! एक बल आपको खींचेगा !और आपके शरीर मे अगर खीचाव पड़ेगा मान ली जिये अगर आप लेटे हैं !और ये पृथ्वी का दक्षिण है और इधर आपका सिर है !तो आपको खिंचेगा और शरीर थोड़ा सा बड़ा होगा ! जैसे रबड़ खीचती है न ? elasticity ! थोड़ा सा बढ़ाव आएगा ! जैसे ही शरीर थोड़ा सा बड़ा तो body मे relaxation आ गया !

उदारण के लिए जैसे आप अंगड़ाई लेते हैं न एक दम !शरीर को तान देते है फिर आपको क्या लगता है ? बहुत अच्छा लगता है !क्यूँ की शरीर को ताना शरीर मे थोड़ा बढ़ाव आया और आप बहुत relax feel करते हैं|

इसलिए बागभट्ट जी ने कहा की दक्षिण मे सिर करेगे तो force of attraction है ! उत्तर मे सिर करेगे तो force of repulsion है ! force of repulsion से शरीर पर दबाव पड़ता है| force of attraction से शरीर पर खीचाव पड़ता है ! खीचाव और दबाव एक दूसरे के विपरीत है ! दबाव से शरीर मे संकुचन आएगा दबाव से शरीर मे थोड़ा सा फैलाव आएगा| फैलाव है तो आप सुखी नींद लेंगे, और अगर दबाव है तो नींद नही आएगी है|

इस लिए बागभट्ट जी ने सबसे बढ़िया विश्लेषण दिया है, ये विश्लेषण जिंदगी मे सारे मानसिक रोगो को खत्म करने का उतम उपाय है| नींद अच्छी ले रहे है तो सबसे ज्यादा शांति है, इस लिए नींद आप अच्छी ले ! दक्षिण मे सिर करके सोये नहीं तो पूर्व मे !!

अब पूर्व क्या है ? पूर्व के बारे मे पृथ्वी पर रिसर्च करने वाले सब वैज्ञानिको का कहना है ! की पूर्व नूट्रल है ! मतलब न तो वहाँ force of attraction है ज्यादा न force of repulsion. और अगर है भी तो दोनों एक दूसरे को balance किए हुए हैं, इस लिए पूर्व मे सिर करके सोयेगे तो आप भी नूट्रल रहेंगे आसानी से नींद आएगी ! पश्चिम का पुछेगे जी !??
तो पश्चिम पर रिसर्च होना अभी बाकी है ! बागभट्ट जी मौन है उस पर कोई explanation देकर नहीं गए हैं ! और आज का विज्ञान भी लगा हुआ है इसके बारे भी तक कुछ पता नहीं चल पाया है !

तो इन तीन दिशाओ का ध्यान रखे !

उत्तर मे कभी सिर मत करे !

पूर्व या दक्षिण मे करे !

बस एक अंतिम बात का ध्यान रखे ! जो साधू संत है या सन्यासी है ! जिहोने विवाह आदि नहीं किया ! वो हमेशा पूर्व मे सिर करके सोये ! और जो गृहस्थ आश्रम मे जी रहे है, विवाह के बंधन मे बंधे है, परिवार चला रहे है| वो हमेशा दक्षिण मे सिर करके सोये|

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