कहते हैं शर्म और लिहाज इंसान को सभ्य बनाता है, महिलाओं के लिए तो शर्म को गहने की तरह बताया गया है। हालांकि आचार्य चाणक्य का कहना है कि कुछ जगह पर शर्म और संकोच बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। इतना ही नहीं उनका तो यह भी मानना है कि हर जगह शर्म करने वाले जिंदगी की रेस में पीछे ही रह जाते हैं।
अपनी किताब नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य ने जिंदगी में सफलता पाने के लिए कई सुझाव दिए हैं। उन्होंने ऐसी 4 जगह के बारे में भी जिक्र किया है जहां इंसान को बिल्कुल भी शर्म नहीं करना चाहिए। चाणक्य नीति में बताई गईं इन जगह पर शर्म या संकोच करने से इंसान सफलता की सीढ़ी नहीं चढ़ पाता है।
पैसों के मामले में ना करें शर्म
आचार्य चाणक्य के मुतबाकि इंसान को कभी-भी धन-दौलत से जुड़े मामलों में शर्म नहीं करना चाहिए। अगर किसी ने आपसे पैसे उधार लिए हैं तो उन्हें वापस मांगने में बिल्कुल भी संकोच ना करें। अगर आपका व्यवहार शर्म और संकोच करने वाला है तो आपको बार-बार नुकसान झेलना पड़ेगा, इसलिए यहां शर्म करना बेकार है।
भोजन करने में शर्म ना करें
चाणक्य नीति में कहा गया है कि इंसान को कभी-भी भोजन करने में शर्म नहीं करना चाहिए, ऐसा करने वाले हमेशा खाली पेट रह जाते हैं। उनका मानना है कि इंसान को अपनी भूख को नहीं मारना चाहिए। दरअसल भूखा इंसान अपने तन-मन पर नियंत्रण नहीं कर पाता है, उनके सोचने समझने की क्षमता भी कम हो जाती है।
शिक्षा लेने में शर्म ना करें
कई दफा इंसान को सीख देने वाला उनसे छोटा होता है ऐसे में कुछ लोगों को शिक्षा लेने में शर्म आती है। लेकिन आचार्ण चाणक्य का कहना है कि जहां से भी अच्छी शिक्षा मिले सीख लेना चाहिए। एक अच्छा विद्यार्थी वही होता है जो बिना शर्म किए जिज्ञासाओं का हल पूछता है शर्म करने वाले हमेशा पीछे रह जाते हैं।इसे भी जरूर पढ़ें –
अपनी बात रखने में ना करें शर्म
कुछ लोग सही गलत का फर्क जानते हैं लेकिन बोलने में संकोच करते हैं। जबकि इंसान को अपनी बात खुलकर रखना चाहिए किसी भी तरह का संकोच नहीं करना चाहिए। चाणाक्य नीति के मुताबिक शर्म की वजह से अपनी बात को दबाकर रखने वाले कभी जिंदगी में आगे नहीं बढ़ पाते हैं इसलिए संकोच छोड़कर जिएं।