
उपवास, जिसे हम भक्ति से जोड़ते है जैसे अभी जन्माष्टमी के दिन दिन कई माताये, बहने और भाइयो द्वारा उपवास रखा जाएगा ! दोस्तों आज की जनरेशन केवल इसे एक दकियानूसी सोच मानती है कहते है उपवास रखने से कुछ नही होता और आप लोग ही कहते है की क्या भगवान् हमे उपवास रखने के लिए बोलते है क्या ? कुछ हद तक आप बिलकुल साहू है क्यों की उपवास से भगवान् का कोई लेना देना नही ! उपवास भक्ति के तौर पर इसलिए रखा जाता है क्यों की कोई भी इंसान जब परमात्मा की भक्ति करते हुए उपवास रखता है तो उसे भूख का एहसास भी नही होता ! उपवास किसलिए रखा जाता है क्या वास्तव में उपवास रखना जरुरी है आईये जानते है-
इसलिए रखा जाता है उपवास
उपवास के बारे में महात्मा गांधी द्वारा एक निबन्ध भी लिखा गया था जिसका मुख्य शीर्षक भी “उपवास” ही था! उपवास का सीधा सम्बन्ध हमारे शरीर में होने वाली पाचन क्रिया से होता है आप अगर साइंस के बारे में जानते है तो आप इस बात को बहुत अच्छी तरह से जानते होंगे की हमारा शरीर कुछ दिनों में एक विशेष चक्र से गुजरता है इसमें पोषक तत्वों का ग्रहण, पाचन, विभिन्न अंगों तक संचार और अवशिष्ट उत्सर्जन की प्रक्रिया शामिल होती है ! इस प्रक्रिया को व्यवस्थित रूप से पूर्ण करने के लिए इनमें कुछ दिन ऐसे होते हैं जिनमें उपवास करने की जरुरत होती है यानी उस प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिये पाचन तंत्र में किसी भी प्रकार का भोज्य पदार्थ नही जाना चाहिये !
खाना हर किसी की जरुरत है उपवास एक जरुरत ! बिना खाना खाए हमारा मन अशांत रहता है दिन भर सिर्फ खाने की तरफ मन लगा रहता है , बिना खाना खाए हमे कमजोरी का एहसास होता है और किसी भी काम में मन नही लगता ! इन सभी से बचने के लिए हम उपवास को भक्ति से जोड़ देते है ताकि हमारा पूरा ध्यान भगवान् की पूजा आराधना में लगा रहे और भूख की तरफ से ध्यान हट जाए !