Faridabad News- 2006 में आई चुप-चुप के फिल्म में राजपाल यादव का वो डायलॉग याद है? जिसमें वो कहते हैं कि “इसे घर क्यों कहते हैं जिला घोषित क्यों नहीं कर देते”। वैसे ही इन दिनों अगर राजपाल यादव फरीदाबाद (Faridabad News) के पलवली में रहने वाली भारद्वाज फैमली के बारे में सुन रहे होंगे तो यही डायलॉग मार रहे होंगे। आपको बता दें कि इस परिवार में चार पीढियों के कुल 90 लोग हैं और सारे के सारे एक ही घर में रहते हैं। ऐसे समय में जब एक ही पीढ़ी के दो भाई घर का बंटवारा चाहते हैं उस समय में ये भारद्वाज परिवार किसी मिसाल से कम नहीं है।
फरीदाबाद (Faridabad News) के पलवली गांव में करीब एक एकड़ में बने घर में रहती है भारद्वाज फैमली और कुल 90 सदस्यों की इस फैमली के मुखिया है 93 साल के छज्जूराम, जिन्होंने अपने परिवार को आजतक एक सूत्र में बांधकर रखा हुआ है। बताया जाता है कि इतना बड़ा परिवार होने की वजह से पूरे परिवार के लिए 10 चूल्हों पर खाना बनता है। वैसे जितना बड़ा परिवार होता है परेशानियां और चुनौतियां भी उतनी ही बड़ी होती हैं। आजकल तो छोटे परिवारों में भी कुछ मामलों पर मतभेद हो ही जाता है, तो ये भारद्वाज फैमली इन मतभेदों को कैसे सुलझाती होगी? दरअसल इसका हल भी इस फैमली ने खुद ही निकाल रखा है, क्योंकि अगर यहां सदस्यों के बीच किसी बात को लेकर मतभेद हो जाता है तो सभी के बीच वोटिंग करवाई जाती है और मसले को हल कर लिया जाता है। है ना बड़ा ही कूल आईडिया!
कैसे चलता है भारद्वाज फैमली का खर्च
अब इतना बड़ा परिवार (Faridabad News) होगा तो उसको चलाने के लिए भी जरूर ये फैमली कोई बड़ा बिजनेस वगैरह करती होगी लेकिन वो बिजनेस क्या है ये जानने की रूचि हमें भी थी लेकिन बाद में जो पता चला उसने हमारे होश उड़ा दिए। दरअसल ये परिवार कोई एक काम नहीं करता बल्कि हर सदस्य अपने अपने सामर्थ्य से परिवार को चलाने में अपनी अपनी भूमिका निभाता है। परिवार के कुछ सदस्य बिजनेस में लगे हुए हैं, कुछ सरकारी नौकरी कर रहे हैं और कुछ कृषि में लगे हुए हैं। यहां तक की घर की बेटी रजनी भारद्वाज आईएएस अफसर हैं जो की गुड़गांव के टैक्सेशन डिपार्टमेंट में कार्यरत हैं। वहीं परिवार के बेटे दीपक और प्रशांत भारद्वाज सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं।
भारद्वाज फैमली गिरा सकती है किसी की भी सरकार
चूंकी इस परिवार में 90 सदस्य रहते हैं ऐसे में चुनाव के दौरान राजनैतिक दल (Faridabad News) के लोग इनके घर पर आकर ही वोट मांगते हैं। चुनाव के करीब आते ही आसपास के मोह्लले वालों की नजर भारद्वाज फैमली पर रहती है, क्योंकि सभी मानते हैं कि जिसको ये परिवार वोट देगा वही जीतेगा। वहीं परिवार के मुखिया छज्जूराम भी कई वर्षों तक राजनीति में रहे हैं। हालांकि दीपक भारद्वाज बताते हैं कि उनके दादा छज्जूराम ने ब्लॉक समिति के चेयरमैन बनने के ऑफर को भी ठुकरा दिया था क्योंकि हमेशा से ही उनके लिए परिवार को जोड़कर रखना और बच्चों को शिक्षित करना पहली प्राथमिकता रही।