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एक फ्रिज चालीस टुकड़े: Bengaluru के फ्रिज में 19 दिनों तक टुकड़ों में बंद महालक्ष्मी की लाश का खुल रहा राज़

एक फ्रिज चालीस टुकड़े: Bengaluru के फ्रिज में 19 दिनों तक टुकड़ों में बंद महालक्ष्मी की लाश का खुल रहा राज़
एक फ्रिज चालीस टुकड़े: Bengaluru के फ्रिज में 19 दिनों तक टुकड़ों में बंद महालक्ष्मी की लाश का खुल रहा राज़

Bengaluru: बेंगलुरु के व्यालीकवल इलाके के 6th क्रॉस पाइप लाइन रोड में मौजूद इस तीन मंजिला बिल्डिंग का ये वो एक कमरा है, जिसने अपने अंदर से एक और श्रद्धा को उगला है। इस कमरे में रखे 165 लीटर मॉडल के सिंगल डोर फ्रिज में पूरे 19 दिनों तक 29 साल की महालक्ष्मी करीब 30 से 40 टुकड़ों में बंद थी। 30 से 40 टुकड़े इसलिए क्योंकि कई टुकड़े तो फ्रिज के बाहर इस कमरे के फर्श तक पर बिखरे पड़े थे। खुद बेंगलुरु पुलिस को याद नहीं कि उन्होंने इससे पहले कभी इतना ख़ौ्फ़नाक या दहला देने वाला क्राइम सीन देखा हो। शुरुआत में तो खुद पुलिस वाले इस कमरे यानी क्राइम सीन से डर के मारे उल्टे पांव लौट गए थे। कमरे में टुकड़ों की शक्ल में सबूत ऐसे बिखरे पड़े थे कि बेंगलुरु की फॉरेंसिक टीम को भी उसे समेटने के लिए सरकारी अस्पताल के मेडिकल स्टाफ को बुलाना पड़ा।

पांच महीने से अकेली थी महालक्ष्मी

दरअसल, करीब 19 दिन बाद इस कमरे का दरवाज़ा बीते शनिवार यानी 21 सितंबर को दोपहर करीब साढ़े तीन बजे खुला था। इस बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर पर पांच महीने पहले ही महालक्ष्मी की शक्ल में एक नई किरायेदार आई थी। नेपाल की रहने वाली महालक्ष्मी यहां अकेली रहती थी। पड़ोसी भी उसे नहीं जानते थे। वजह ये थी कि हर रोज़ वो सुबह साढ़े नौ बजे घर से निकलती और रात साढ़े दस के बाद ही घर लौटती। महालक्ष्मी की मां और बहन इसी बेंगलुरु में रहा करते हैं। दो सितंबर के बाद अचानक महालक्ष्मी का फोन बंद हो जाता है। उसकी मां और बहन लगातार फोन करते हैं, पर बात होती ही नहीं। इसी बीच 20 सितंबर को कुछ पड़ोसी बिल्डिंग के मालिक को शिकायत करते हैं कि बंद पड़े महालक्ष्मी के घर के अंदर से अजीब सी बदबू आ रही है। रेंट एग्रिमेंट के वक़्त इमरजेंसी कॉन्टैक्ट के तौर पर महालक्ष्मी ने बेंगलुरु में ही रहने वाली अपनी मां और बहन का पता और फोन नंबर दिया था। मकान मालिक महालक्ष्मी की मां को फोन करता है और उन्हें महालक्ष्मी के घर से आ रही बदबू के बारे में जानकारी देता है। बीते 19 दिनों से वैसे ही महालक्ष्मी से मां की बात नहीं हुई थी। मकान मालिक की बात सुन कर वो घबरा जाती है। महालक्ष्मी के घर की एक चाबी मां के पास रहती थी। वो फौरन चाबी लेकर अपनी दूसरी बेटी के साथ महालक्ष्मी के साथ घर पहुंच जाती है।

ऐसा क्राइम सीन पुलिस ने भी कभी नहीं देखा 

मकान मालिक और पड़ोसियों की मौजूदगी में घर का दरवाजा खोला जाता है। लेकिन दरवाज़ा खुलते ही अंदर से इतनी तेज़ बदबू आती है कि सभी पीछे हट जाते हैं। कुछ देर बाद हिम्मत कर फिर से वो अंदर जाते हैं। फर्श पर हर तरफ खून के निशान थे। मांस के छोटे-छोटे लोथड़े पड़े थे। और खून की एक सूखी हुई लकीर कमरे में रखे फ्रिज तक जा रही थी। जैसे ही फ्रिज का दरवाजा खुला एक चीख के साथ सभी लोग उल्टे पैर कमरे से बाहर की तरफ भागते हैं। उस एक पल में उन्होंने जो कुछ फ्रिज के अंदर देखा, वो दहलाने वाला था। मकान मालिक सब कुछ समझ चुका था। वो फौरन पुलिस को फोन करता है। आनन-फानन में पुलिस भी मौके पर पहुंच चुकी थी। अब पुलिस कमरे में जाती है। लेकिन बदबू इतनी तेज कि उनसे रुका नहीं जाता। पुलिस टीम भी बाहर निकल आती है। फिर डबल मास्क मंगाया जाता है। उस डबल मास्क के साथ फिर से पुलिस कमरे में जाती है। फ्रिज का दरवाजा खुला था। सामने सबकुछ दिख रहा था। फ्रिज के सबसे ऊपरी खाने में दो इंसानी पैर रखे थे। बीच के खाने में इंसानी जिस्म के अलग-अलग हिस्से और सबसे निचले खाने में एक सर। महालक्ष्मी का सर।

फर्श पर बिखरे पड़े थे मांस के लोथड़े

अब फ्रिज के बाहर पुलिस की नजर कमरे में फर्श पर पड़ती है। फर्श पर नजर पड़ते ही खुद पुलिस वालों के पांव कांप जाते हैं। जमे हुए खून के साथ-साथ छोटे-छोटे मांस के टुकड़े इर्द-गिर्द पड़े थे। अब फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री एंड सीन ऑफ क्राइम ऑफिसर्स यानी ‘सोको’ को मौके पर बुलाया जाता है। सोको के लिए भी ये एक अजीब क्राइम सीन था। ऐसे क्राइम सीन से सबूत बटोरना हद से ज्यादा मुश्किल था। लिहाजा, अब मदद के लिए सोको की टीम ने बोरिंग अस्पताल के मुर्दाघर के स्टाफ को बुलाया। मुर्दाघर के स्टाफ के पहुंचने के बाद फ्रिज से लेकर फर्श तक पर बिखरे लाशों के टुकड़ों को समेटा गया। और इसी समेटने के दौरान ये अंदाजा हुआ कि लाश के टुकड़ों की तादाद तीस से चालीस के दरम्यान है। टुकड़ों में बंटी इस लाश को अब मुर्दा घर भेज दिया गया।

19 दिन तक फ्रिज में रहे लाश के टुकड़े

लाशों के टुकड़े समेटने के बाद अब पुलिस ने कमरे की तलाशी ली। तलाशी के दौरान महालक्ष्मी के बेड पर रखा एक मोबाइल मिला। ये मोबाइल महालक्ष्मी का ही था। जब मोबाइल के लिए सीडीआर यानी कॉल डिटेल रिकॉर्ड को चेक किया गया, तो पता चला कि इस फोन से आखिरी कॉल 2 सितंबर को किया गया था। दो सितंबर के बाद से ना तो इस फोन से कोई कॉल किया गया और ना ही कोई रिसीव किया गया। इसी से बेंगलुुरु पुलिस ने अंदाजा लगाया कि महालक्ष्मी का क़त्ल 2 से 3 सितंबर के दरम्यान ही हुआ है। पर सवाल ये कि आखिर किसी ने महालक्ष्मी को इतनी बेदर्दी से क्यों मारा? आखिर उससे उसकी क्या दुश्मनी हो सकती है? वो क़ातिल कौन है? तो अब बेंगलुरु पुलिस की तफ्तीश शुरू होती है।

साल भर से पति से अलग रह रही थी महालक्ष्मी 

महालक्ष्मी की मां और बहन से शुरुआती पूछताछ के बाद पता चलता है कि 2019 तक ये पूरा परिवार नेपाल में ही रहा करता था। 2019 में ही महालक्ष्मी की हेमंत दास नाम के एक नेपाली लड़के से शादी हुई। शादी के बाद दोनों रोजगार और बेहतर जिंदगी की उम्मीद लिए नेपाल से बेंगलुरु पहुंचते हैं। बेंगलुरु में हेमंत एक मोबाइल शॉप पर काम करने लगा। जबकि महालक्ष्मी को एक नामचीन मॉल के ब्यूटी शॉप में बतौर सेल्स वूमेन टीम लीडर की नौकरी मिल गई। दोनों बेंगलुरु के ही नीला मंगला इलाके में किराये के घर में रहने लगे। बाद में दोनों को एक बेटी हुई। 2023 तक सबकुछ ठीक था। लेकिन 2023 में हेमंत और महालक्ष्मी अलग हो गए। बेटी हेमंत दास के साथ ही रहती थी। जबकि महालक्ष्मी ने व्यालीकवल इलाके में पांच महीने पहले ही यहां किराये का एक कमरा ले लिया। अब वो यहां अकेली रहती थी। हर 15 दिन या महीने में एक बार वो अपनी बेटी से मिलने हेमंत के घर जाती थी।

पहला शक लव ट्रायंगल की थ्योरी पर

तफ्तीश के मुताबिक हेमंत और महालक्ष्मी के बीच की इस दूरी की वजह लव ट्रायंगल थी। हेमंत को शक था कि उत्तराखंड के रहने वाले एक हेयर ड्रेसर अशरफ और महालक्ष्मी के बीच अफेयर चल रहा है। इसी बात को लेकर हेमंत और महालक्ष्मी के बीच काफी झगड़ा होता। और इसी झगड़े की वजह से करीब 9 महीने पहले महालक्ष्मी हेमंत से अलग रहने लगी थी। कुछ महीने मां और छोटी बहन के साथ रही और फिर पांच महीने पहले किराये के इस घर में आ गई। पड़ोसियों के मुताबिक महालक्ष्मी आस पड़ोस में ज्यादा लोगों से घुली मिली नहीं थी। वो किसी से बात भी नहीं करती थी। रोजाना सुबह साढ़े नौ बजे काम पर चली जाती और रात साढ़े दस के बाद घर आती। पड़ोसियों ने कुछ मौकों पर एक अजनबी को महालक्ष्मी को घर से पिक और ड्रॉप करते जरूर देखा। लेकिन वो कौन है, वो नहीं जानते। बेंगलुरु पुलिस के मुताबिक वो इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर वो अजनबी है कौन? बकौल पुलिस बहुत मुमकिन है कि महालक्ष्मी का क़ातिल वही अजनबी हो।

हेयर ड्रेसर से अफेयर का था शक

बेंगलुरु पुलिस के मुताबिक वो अब तक महालक्ष्मी के पति हेमंत दास और उस हेयर ड्रेसर अशरफ जिस पर हेमंत को शक था, उससे लंबी पूछताछ कर चुकी है.. लेकिन इन दोनों से शुरुआती पूछताछ के बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंची है कि महालक्ष्मी के क़त्ल में इन दोनों का कोई हाथ नहीं है। इन दोनों के मोबाइल के कॉल डिटेल रिकॉर्ड दो सितंबर से 19 सितंबर तक की इनकी लोकेशन में ऐसा कुछ नहीं मिला, जिनसे इन पर शक किया जा सके। तो फिर सवाल है कि आखिर महालक्ष्मी का क़ातिल कौन है? कौन है जिसने इतनी बेदर्दी से उसका क़त्ल किया और लाश के टुकड़ों को फ्रिज में ठूंस दिया?

पुलिस को एक अजनबी पर शक

तो बेंगलुरु पुलिस के मुताबिक खुद महालक्ष्मी के मोबाइल के कॉल डिटेल से शक की सुई एक अजनबी की तरफ घूम रही है। हालांकि बकौल पुलिस उस अजनबी की जानकारी उनके पास है। उसका नाम भी उन्हें पता है। यहां तक कि ये भी पता है कि महालक्ष्मी के क़त्ल के बाद वो भुवनेश्वर के रास्ते पश्चिम बंगाल जा चुका है। पुलिस इसलिए उसके नाम का फिलहाल खुलासा नहीं करना चाहती ताकि वो अलर्ट ना हो जाए। पर बेंगलुरु पुलिस की मानें तो एक बार वो शख्स हाथ आ गया, तो सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे।

कातिल ने घर में ही रह कर किये टुकड़े?

पुलिस तफ्तीश में ये भी पता चला है कि 2 सितंबर यानी जिस दिन से महालक्ष्मी ग़ायब हुई और उसका मोबाइल बंद, तब से महालक्ष्मी के घर पर कभी कोई नहीं आया। यहां तक कि पड़ोसियों ने भी दो सितंबर या उसके बाद कभी महालक्ष्मी के घर से कोई ऐसी आवाज नहीं सुनी जिससे उन्हें शक होता। हालांकि क्राइम सीन को देखने के बाद पुलिस का मानना है कि महालक्ष्मी का क़त्ल इसी कमरे में हुआ था। इस थ्योरी के पीछे की वजह ये है कि जिस इलाके में महालक्ष्मी रहती है, वहां किसी लाश को लेकर पहली मंजिल तक जाना मुमकिन नहीं है। कोई भी आसानी से देख सकता है। बकौल पुलिस बहुत मुमकिन है क़त्ल से पहले महालक्ष्मी को कोई बेहोशी या नींद की दवा दी गई हो और इसीलिए घर से कोई आवाज़ नहीं आई।

जल्दबाजी में नहीं था कातिल

जिस तरह से लाश के टुकड़े किे गए हैं, उसको देख कर भी पुलिस को अंदाजा है कि ये जल्दबाज़ी में नहीं हुआ है। यानी क़ातिल ने घर के अंदर तसल्ली से लाश के टुकड़े किए। यानी क़त्ल के बाद भी वो कई घंटे या बहुत मुमकिन है पूरी रात उसी घर में रहा। हालांकि हैरानी इस बात पर है कि किसी ने उसे जाते नहीं देखा। जिस घर में महालक्ष्मी रहती थी, उस बिल्डिंग के आस-पास की तमाम सीसीटीवी फुटेज को पुलिस खंगाल रही है। पुलिस को उम्मीद है कि वारदात की टाइमिंग को देखते हुए किसी ना किसी कैमरे में वो अजनबी जरूर कैद हुआ होगा। वैसे जो पुलिस ये तक जानती हो कि क़ातिल भुवनेश्वर के रास्ते पश्चिम बंगाल पहुंच चुका है, तो जाहिर है वो क़ातिल का असली नाम चेहरा भी जरूर जानती होगी। लिहाजा उममीद कीजिए बहुत जल्द वो चेहरा और नाम भी सामने होगा।

श्रद्धा केस का रिपीट है महालक्ष्मी मर्डर

महालक्ष्मी का केस 2022 के श्रद्धा केस से काफी मिलता जुलता है। महालक्ष्मी के क़त्ल के बाद 19 दिनों तक लाश के टुकड़े फ्रिज में थे। दिल्ली में श्रद्धा का क़त्ल 18 मई 2022 को हुआ था। जबकि क़त्ल का खुलासा नवंबर में हुआ था। क़त्ल के बाद आफताब करीब महीने भर तक किश्तों में फ्रिज से निकाल निकाल कर लाश के टुकड़ों को जंगलों में ठिकाने लगाता रहा। महालक्ष्मी शादीशुदा थी। लेकिन पति से अलग रह रही थी। श्रद्धा बिना शादी के आफताब के साथ रह रही थी। श्रद्धा के किसी और के साथ रिश्ते को लेकर आफताब को शक था। यहां महालक्ष्मी केस में उसके पति हेमंत को उसके अफयेर का शक था। लेकिन ये शक महालक्ष्मी के क़त्ल की वजह बनी या वजह कुछ और है, इसका खुलासा तभी होगा, जब क़ातिल पुलिस की गिरफ्त में होगा। हालांकि आफताब की तरह महालक्ष्मी के केस में फिलहाल पुलिस ने उसके पति हेमंत दास को एक तरह से क्लीन चिट दे दी है। यानी वो अपनी पत्नी का कातिल नहीं है। श्रद्धा केस ने पहली बार लाश के टुकड़े कर उसे फ्रिज में रखने या छुपाने का आइडिया दिया था। ठीक उसी तरह महालक्ष्मी की लाश के साथ भी किया गया। फिलहाल श्रद्धा केस दिल्ली की एक अदालत में है। मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में है। लेकिन इसके बावजूद अभी इस केस में गवाही तक पूरी नहीं हो पाई है। सजा का ऐलान कब होगा, पता नहीं।

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