एग्ज़ीमा का अचूक घेरलू उपाय, बस दो दिन में असर दिखेगा

एग्ज़ीमा का अचूक घेरलू उपाय, बस दो दिन में असर दिखेगा

  • एक्जिमा (Eczema) एक्जिमा यानि ‘उकवत’ को आयुर्वेद में कुष्ठ के ही अन्तर्गत माना गया है। यह चर्मरोग शरीर के किसी भी भाग पर हो सकता है। एक्जिमा दो प्रकार का होता है|
  • यह रोग अधिकतर सिर में कानों के पास, गर्दन पर तथा अँगुलियों में होता है। त्वचा पर यह मूंग या उड़द की दाल जितने आकार से लेकर कई इंच तक स्थान घेर सकता है।
  • जहाँ पर यह रोग होता है, वहाँ पर लालिमा छाई रहती है तथा रोगाक्रान्त त्वचा कठोर और शुष्क हो जाती है और उसमें सूजन भी आ जाती है।
  • रोग की उग्रता में रोगाक्रान्त स्थान पर खुजली उठती है और जलन होती है एवं कभी-कभी वहाँ से द्रव भी रिसने लग जाता है। बहता हुआ उकवत ही बहुधा पुराना पड़कर सूखे उकवत का रूप धारण कर लेता है।
  • चमड़ी खुजलाते रहने से छिलती रहती है और पर्त उधड़-उधड़ कर गिरती रहती है।

एक्जिमा के कारण :

  • जिन लोगों का रक्त विषाक्त होता है एवं जिनके शरीर में पुरानी गन्दगी होती है, उन्हीं लोगों को यह रोग होता है।
  • इसके अतिरिक्त उत्तेजक साबुन का प्रयोग करने से |
  • कच्चे रंग का वस्त्र पहनने से |
  • गन्दा मौजा इस्तेमाल करने से |
  • रंग, पॉलिश, सोड़ा एवं गन्धक आदि वस्तुओं का व्यवसाय या धन्धा करने से भी इस रोग के होने की संभावनाएँ रहती हैं ।
  • डायबिटीज, अपच, गठिया आदि रोगों के उपद्रव के रूप में भी प्रायः यह रोग होता है, जिनके दूर हो जाने पर यह रोग भी स्वतः चला जाता है।
  • जिन बच्चों को अपनी माँ का दूध कम अथवा बिल्कुल नहीं मिलता या अस्वच्छ दूध पिलाया जाता है, उन्हें भी यह रोग अक्सर लग जाता है। ऐसे बच्चों को साफ दूध पर रखते हुए फलों का रस पिलाने से उकवत से छुटकारा दिलाया जा सकता है।
  • उकवत पुराना पड़ जाने पर कई अन्य कठिन रोगों जैसे-नेत्ररोग, श्वासरोग आदि की सृष्टि कर सकता है।
इसे भी जरूर पढ़ें –

एक्जिमा का आयुर्वेदिक सामग्री:

  • पुनर्नवा (साठी) की जड़ 125 ग्राम
  • सरसों तैल
  • 50 ग्राम सिन्दूर

एक्जिमा का आयुर्वेदिक उपचार:

  •  पुनर्नवा (साठी) की जड़ 125 ग्राम को सरसों के तैल में मिलाकर पीसें। फिर 50 ग्राम सिन्दूर मिलाकर मरहम तैयार करलें । इस मरहम को कुछ दिन लगाने से एक्जिमा (चम्बल) जड़मूल से नष्ट हो जाता है। शर्तिया दवा है |
  •  सरसों के तैल 50 ग्राम में थूहर (सेंहुड़) का डन्डा रखकर खूब गरम करें । जब थूहर जल जाए तब जले हुए डन्डे को बाहर फेंक दें और तैल को शीशी में सुरक्षित रखलें । एक्जिमा (चम्बल) को नीम के क्वाथ से धोकर फुरैरी से यह तैल दोनों समय लगायें । पुराने से पुराना एक्जिमा 1 सप्ताह में नष्ट हो जाता है।
  • लालकत्था, काली मिर्च, नीला थोथा और बकरी की पशम (उम्दा और नरम ऊन) सभी को समभाग लेकर सूक्ष्म पीसकर मिलाकर रखलें । दाद या चम्बल सूखा हो तो उसे खद्दर के मोटे तौलिए से इतना खुजला लें कि रक्त जैसा निकलने लगे (लाललाल हो जाए) तदुपरान्त गाय का मक्खन 101 बार का धुला हुआ लगाकर ऊपर से इस चूर्ण को बुरक दें । यदि दाद या खाज गीला हो तो उसे खुजलाने की आवश्यकता नहीं है, वैसे ही मक्खन लगाकर चूर्ण बुरक दिया करें। इस प्रयोग से पुराने से पुराना दाद और चम्बल जड़ से मिटता है ।
  • शीघ्र लाभ हेतु और पुराने उकवत में एक से तीन सप्ताह के उपवास की आवश्यकता पड़ सकती है, किन्तु 3 दिन के उपवास से ही रोग की तीव्रता कम हो जाती है । उपवास के बाद 2-3 दिनों तक फलों के रस पर रहना चाहिए। फिर दो सप्ताह तक फल और उबली हुई तरकारियों पर । नमक का इस्तेमाल बन्द रखना चाहिए। उसके बाद दूध, फल और मेवों पर कुछ दिनों तक रहकर धीरे-धीरे सादे भोजन पर आना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *