कुल्थी गर्म होती है और कफ-वात के दोषों को दूर करती है। कुल्थी दाल के कई फायदे हैं। पोषण से भरपूर यह दाल खाने से लेकर आर्युवेद में, सभी जगह इसके इस्तेमाल की बात कही गई है। कुल्थी की तासीर गर्म होती है और यह आसानी से पच भी जाती है। यह सांस रोग, खांसी, पेट के रोग, हृदय रोग, सिर दर्द, मूत्राशय का दर्द तथा पथरी के रोगियों के लिए लाभकारी है। कुलथी की दाल को पथरीनाशक माना जाता है। आंखों के रोग और बवासीर के रोग में कुल्थी का उपयोग किया जाता है। यह कोढ़ को समाप्त करती है।
आयुर्वेद के अनुसार कुलथी की दाल में विटामिन ‘ए’ पाया जाता है, यह शरीर में विटामिन ‘ए’ की पूर्ति कर पथरी को रोकने में मदद करता है। यह दाल उड़द के समान और लाल रंग की होती है। इसकी दाल बनाकर रोगी को दी जाती है जिससे पथरी निकल जाती है। यह आपको बाजार में पंसारी की दुकान पर आसानी से मिल सकती है।
कुल्थी के 12 बेहतरीन फ़ायदे :
- पेट की गैस : गैस से पीड़ित रोगी को कुल्थी का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। यह पेट में बनने वाले गैस को समाप्त करता है।
- पथरी : कुल्थी 6 ग्राम को 125 मिलीलीटर पानी में अधिक देर तक उबालें। जब पानी पककर एक कप बच जाए तो उसे छानकर एक चौथाई मूली का रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीएं। इससे पथरी गल जाती है।
- मोटापा : कुल्थी की दाल वज़न कम करने में भी हेल्प करती है। इसके सभी गुणों में यह बहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण है। इसका लगातार इस्तेमाल आपको मोटापे से बचा सकता है। साथ यदि आप पहले से ही मोटापे से परेशान हैं तो यह आपकी हेल्प कर सकती है। करने के लिए आपको कुल्थी का रोजाना इस्तेमाल करना होगा। इसे इस्तेमाल करने के लिए आप अपने खाने में इसकी दाल रोजाना शामिल कर सकते हैं। लगभग 100 ग्राम कुल्थी की दाल प्रतिदिन खाने से मोटापा घटता है। आप इसे 30 दिनों तक प्रयोग करें जिससे आप देखते ही देखते अपना वज़न कम करने लगेंगे।
- हाई ब्लड प्रेशर : कुल्थी भिगोकर पानी को छानकर सुबह-शाम पीने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ मिलता है।
- किडनी के रोग : 250 ग्राम कुल्थी कंकड़ पत्थर निकालकर साफ कर लें और रात में 3 किलों पानी में भिगो दें। फिर सवेरे भीगी हुई कुल्थी सहित उसी पानी को धीमी-धीमी आग पर लगभग चार घंटे पकाएं और जब एक किलो पानी रह जाए तब नीचे उतार लें। फिर इसमें 5 ग्राम देशी घी का छौंका लगाकर सेंधानमक, कालीमिर्च, जीरा, हल्दी डालकर भोजन के बाद सेवन करें।
- शारीरिक शक्ति : जिन लोगों में दुर्बलता ज़्यादा है उन्हें रोज यह दाल खानी चाहिए। इसमें मौजूद फ़ॉस्पोरस, कैल्शियम, आयरन और अमीनो एसिड शरीर में दुर्बलता को ख़त्म कर शारीरिक शक्ति को बढ़ाते है।
- गैस्ट्रिक : सुबह एक मिट्टी के बर्तन में 50 ग्राम कुल्थी की दाल को 250 मिलीलीटर पानी में भिगोकर रख दें और शाम को यह पानी पीएं। इस तरह लगातार 1 से 2 महीने तक कुल्थी की पानी पीने से गैस्ट्रिक दूर होता है।
- पाचन शक्ति : पाचन ठीक करने में यह दाल बहुत कारगर है। अगर पेट फूलने की समस्या आपको भी है तो इसका सेवन जरूर करें।
- पेट का दर्द : कुल्थी को सब्जी बनाकर खाने से पेट का दर्द ठीक होता है।
- सर्दी और जुकाम : सर्दी और जुकाम में इस दाल का सूप पीने से फायदा मिलता है। यह नाक को साफ करता है जिससे सांस लेने में आसानी होती है, साथ ही शरीर का इम्यून सिस्टम भी मजबूत करता है।
- अस्थमा : कुल्थी को उबालकर पीने से सांस सम्बंधी रोग समाप्त होते हैं। कुल्थी की सब्जी बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से श्वास (दमा) की बीमारी नष्ट होती है। इस सब्जी का सेवन तीन महीने तक लगातार करना चाहिए।
- श्वेत प्र-दर : 100 ग्राम कुल्थी को 1 लीटर पानी में उबालें और फिर पानी थोड़ा बचने पर छानकर पीएं। इसका प्रयोग सुबह-शाम करने से श्वेत प्र-दर में लाभ मिलता है।
कृपया ध्यान दे :
कुल्थी पित्त बढ़ाने वाली और तेज होती है। ग-र्भवती स्त्री, रक्तपित्त के रोगियों और टी.बी के रोगियों के लिए कुल्थी हानिकारक होता है। इस लिए इन्हें इसका सेवन नही करना चाहिए।