कोलकाता गैंगरेप मामले में सोशल मीडिया पर आवाज उठाने वालों के खिलाफ कोलकाता पुलिस एक्शन ले रही है। कई मामले सामने आए हैं जहाँ सोशल मीडिया यूजर्स ने बताया कि उन्हें कोलकाता का मुद्दा उठाने पर पुलिस से नोटिस मिले। 16 अगस्त को एक महिला डॉक्टर ने अपने ट्वीट के जरिए बताया कि मामले से संबंधित ट्वीट करने पर कोलकाता पुलिस उनके घर पहुँची थी और वहाँ से उनसे कॉल करवाकर कहा कि वो अपने ट्वीट डिलीट करें और अगले दिन थाने में आकर मिलें।
एक्स हैंडल @epicnephrin_e से किए गए ट्वीट में लड़की ने पूरे वाकये को साझा किया है। उन्होंने बताया, “15 अगस्त को शाम 7:30 बजे के करीब कोलकाता पुलिस ने मेरे पते के बारे में पूछना शुरू किया। पड़ोसियों से घरवालों को पता चला कि पुलिस मुझे ढूँढ रही है। उनका कहना था कि उन्हें समन देना है। हालाँकि घर पहुँचने के बाद उन्हें मेरे भाई-भाभी मिले। उन्होंने उनसे मुझे कॉल करने को कहा। पूछा गया- क्या तुमने बर्दवान यूनिवर्सिटी के मामले पर कुछ लिखा है। इस पर मैंने ‘हाँ’ कहा।”
पोस्ट के अनुसार, आगे बातचीत में पुलिस ने पूछा- ” ‘तुमने पोस्ट की प्रमाणिकता जाँची थी।’ मैंने कहा- ‘मैंने इस बारे में मीडिया हाउस के लेख देखे थे, लेकिन मैंने लोगों के स्टेटस में जो एंगल देखा, उस पर पूरी तरह से विश्वास कर लिया। मैंने सत्यापन के बाद पोस्ट के नीचे इसे संपादित किया था।” डॉक्टर को आगे कहा गया- “कृपया पोस्ट को हटा दें और बिना पुष्टि किए आगे कोई जानकारी पोस्ट न करें और कल टाउन थाने में रिपोर्ट करें।’” महिला डॉक्टर के पोस्ट के अनुसार, पुलिस के आगे उनके भाई ने हाथ जोड़े, माँ रोती रहीं। वो लोग उन लोगों को कॉल कर रहे थे जिन्हें वो समझते थे कि मामला संभाल लेंगे। वो असहाय हो गए थे। भाई से सब पूछ रहे थे कि आखिर पुलिस क्यों उनके बारे में पूछ रही थी।
जानकारी के अनुसार, ये महिला डॉक्टर पिछले कुछ दिन से इस मामले पर लगातार आवाज उठा रही हैं। वह इस केस में न्याय की गुहार लगा रही हैं, लेकिन उनकी आवाज दबाने के प्रयास हो रहे हैं। 14 अगस्त को टीएमसी समर्थक ने उन्हें खुलेआम धमकाया था कि वह सुनिश्चित करेंगी कि पुलिस उनके पास आकर रहे। इसके अलावा अन्य ट्वीट भी सामने आए थे जिसमें टीएमसी समर्थक लगातार उन्हें धमका रहे थे। डॉक्टर के अनुसार, इन्हीं धमकियों के बाद पुलिस उनके घर तक आ गई और परिवार से कहकर पोस्ट डिलीट करने को कहा।
बता दें कि ये मामला अकेला नही है जहाँ सोशल मीडिया यूजर को आवाज उठाने पर कोलकाता पुलिस का डर दिखाया गया हो। कई यूजर्स हैं जो कह रहे हैं कि उन्हें नोटिस मिला है। एक्स की एक्टिव यूजर और लेखिका शेफाली वैद्य ने बताया कि उन्हें कोलकाता पुलिस से नोटिस मिला है।
अपने पोस्ट में उन्होंने बताया, “मुझे कोलकाता पुलिस से यह धमकी भरा पत्र मिला, क्योंकि मैंने कुछ सवाल पूछे थे और अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग किया था। यह ममता प्रशासन द्वारा कोलकाता पुलिस की शक्ति का उपयोग करके आम नागरिकों की आवाज को दबाने का स्पष्ट मामला है। मैं एक आम नागरिक हूँ, जो पीड़िता के साथ जो हुआ, उससे इतनी निराश हूँ कि मैंने बोलने का फैसला किया। लेकिन जाहिर है, कोलकाता पुलिस को स्वतंत्र आवाजें पसंद नहीं हैं। एक महिला और एक मां के रूप में, मुझे अपनी सुरक्षा का डर है। हम सभी जानते हैं कि कोलकाता पुलिस क्या कर सकती है और हम सभी जानते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता के खिलाफ बोलने की हिम्मत करने वाली महिलाओं के साथ क्या होता है।”
एक अन्य एक्स उपयोगकर्ता ने भी आरजी कर अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार डॉक्टर के लिए न्याय की माँग करने पर उसे मिले धमकी भरे नोटिस के बारे में पोस्ट किया। उन्होंने कहा कि जब पुलिस पूरी तरह राज्य सरकार के हाथ में हो और नागरिकों की आवाज दबाने की कोशिश करे तो वाकई कुछ नहीं सकता।
प्रदर्शनकारियों पर हमला
गौरतलब है कि बंगाल के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई वीभत्सता के बाद सैंकड़ों प्रदर्शनकारी सड़क पर उतरकर इंसाफ माँग रहे है। 14 अगस्त को इन प्रदर्शनकारियों पर हमला हुआ था। उपद्रवियों ने अस्पताल में घुस तोड़फोड़ की थी जिसके बाद आशंका जताई गई थी कि कहीं ये सब सबूत मिटाने के लिए तो नहीं हुआ। भाजपा नेता ने भी इस संबंध में आरोप लगाए थे। हालाँकि बाद में कोलकाता पुलिस ने बयान जारी किया कि ये बात झूठ है कि घटनास्थल से छेड़छाड़ हुई है। हकीकत यह है घटनास्थल सेमिनार रूम है और वो सुरक्षित है।
इसी तरह एक अन्य सवाल किया गया था कि कोलकाता पुलिस ने मृतिका का शव क्यों जलाया। इस पर पुलिस ने जवाब दिया कि शव उन्होंने नहीं जलाया बल्कि पीड़िता के परिवार ने जलाया है। वहीं एक अन्य सवाल जिसमें पूछा गया था कि घटना के अचानक बाद रेनोवेशन का कार्य कैसे शुरू हुआ, इस पर पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया। इसे भी जरूर पढ़ें –