हम हर रोज चांद को आसमान में देखते हैं लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि पूरी दुनिया चांद को मामा ही क्यों कहती है, ताऊ, चाचा, फूफा, दादा या पापा क्यों नहीं? किताबो में भी कविताओं और कहानियों में चांद को मामा ही कहा गया है। इसके पीछे दो खास कारण है, तो चलिए जानते हैं इसके बारे में।
हम सबने अपने बचपन में चंदा मामा की बहुत सी कविताए और कहानियां सुनी है। हमेशा से सभी छोटे बच्चों को उनकी मांए चांद की लोरियां सुना कर सुलाती थी और यह प्रथा आज भी चली आ रही है। आज भी जब कोई छोटा बच्चा रोता है तो उन्हें चांद को दिखा कर चुप कराया जाता है और वे चुप भी हो जाते हैं।
चांद को मामा क्यों कहा जाता है?
अब जानते है चांद को मामा कहने के पीछे की वजह। तो पहला कारण यह है कि हम पृथ्वी पर रहते हैं और इस धरती को हम अपनी माता कहते हैं और चांद को धरती का भाई कहा जाता है। अब चांद को धरती का भाई क्यों कहा जाता है, वो इसलिए क्योंकि जैसा कि हम सभी जानते हैं कि चांद धरती की परिक्रमा करता है यानी कि गोल गोल चक्कर लगाता है।
एक भाई की तरह पृथ्वी की रक्षा करता है। इसलिए धरती का भाई चांद को कहा जाता है और धरती हमारी माता है, तो उस हिसाब से मां का भाई यानी कि मामा। इसलिए चांद हमारा मामा हुआ।
अब दूसरे कारण में सनातन का बहुत ही सुंदर रहस्य छुपा हुआ है। भगवान नारायण हमारे पिता है और उनकी पत्नी लक्ष्मी हमारी माता है। मां लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र से हुई थी और प्रमुख बात है कि चन्द्रमा की भी उत्पत्ति समुद्र से हुई थी। तो इस नाते दोनों का संबंध हुआ भाई और बहन का। तो भगवान नारायण हमारे पिता, मां लक्ष्मी माता और उनका भाई हमारा मामा लगा।