क्या सच में फांसी से पहले पूछी जाती है ‘आखिरी इच्छा’ ? जानिए

पिछले कुछ समय से अमरोहा की शबनम की फांसी को लेकर देश में काफी चर्चा हो रही है | अख़बार, न्यूज़ चैनल आदि में शबनम को होने वाली फांसी को लेकर खबरे आ रही है | बता दे शबनम को अपने परिजनों की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गयी है | हालाँकि अभी तक उसकी फांसी की सजा की तारीख अभी तय नहीं की गयी है |

आज हम आपको किसी को फांसी दिए जाने की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताने जा रहे है | साथ ही हम आपको ये भी बताएंगे कि फांसी से पहले असल में सजायाफ्ता से आखिरी इच्छा पूछी जाती है, या नहीं | तो आइये जानते है, आज की इस पोस्ट में आपके लिए क्या खास है |

जेल के मैन्युअल में बताया गया है कि जब किसी को फांसी की सजा मुकर्रर की जाती है, तो उस आर्डर की कॉपी मुजरिम और उसके परिवार को सौंप दी जाती है | सजा मुकर्रर करने के साथ ही जल्लाद को भी सुचना दे दी जाती है, जो जेल का दौरा कर, तैयारी में मदद करता है |

क्या सच में फांसी से पहले पूछी जाती है ‘आखिरी इच्छा’ ? जानिए

वैसे अपने फिल्मो में देखा होगा कि सजायाफ्ता से फांसी से पहले पूछा जाता है कि उसकी अंतिम इच्छा क्या है | लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दे, असल जिंदगी में ऐसा नहीं होता है | जेल मैन्युअल में ऐसा कोई नियम नहीं है, हालाँकि सजायाफ्ता से ये जरूर पूछा जाता है कि ‘फांसी से पहले वो कुछ खास खाना चाहता है, या पूजा-आराधना करना चाहता है’ | इसके अलावा अंत में उससे उसकी वसीयत के बारे में पूछा जाता है |

हाल ही में दिल्ली जेल के लॉ अफसर रह चुके सुनील गुप्ता ने मीडिया से बात करते हुए बताया था की “आखिरी इच्छा वाली कोई बात नहीं होती है | मान लीजिए, अपराधी आखिरी इच्छा के तौर पर कह दे कि उसे फांसी नहीं दी जाए, तो उसकी बात नहीं मानी जा सकती या कोई भी ऐसी चीज मांग ले, जो आप नहीं दे सकते | यह भ्रम है, जेल मैनुअल में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है |”

जानकारी के लिए बता दे पहले फांसी दिए जाने के बाद कैदी की पोस्टमॉर्टम जाँच नहीं की जाती थी | लेकिन साल 2014 के बाद से न्यायिक निर्णय और मानवाधिकार आयोग के निर्देशानुसार पोस्टमॉर्टम को आवश्यक कर दिया गया है | इसे भी जरूर पढ़ें –

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *