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क्यों भारत से कनाडा भागते हैं लोग, पैसा, पावर और मौज. क्या है इस देश का जादू..

क्यों भारत से कनाडा भागते हैं लोग, पैसा, पावर और मौज. क्या है इस देश का जादू..
क्यों भारत से कनाडा भागते हैं लोग, पैसा, पावर और मौज. क्या है इस देश का जादू..

Opportunities In Canada: कनाडा! एक ऐसा नाम जो लाखों भारतीयों के दिलों में बसता है. फिलहाल भले ही सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर हत्या मामले में भारत और कनाडा के संबंध अपने सबसे खराब दौर में पहुंच गए हैं.

लेकिन क्या है इस देश का जादू कि लोग अपनी जड़ें छोड़कर यहां आना चाहते हैं? बेहतर जीवन, शानदार करियर, सुरक्षित भविष्य… या फिर कुछ और? आइए जानते हैं कि क्या-क्या खास है कनाडा में जो इसे भारतीयों के लिए इतना आकर्षक बनाता है.

कनाडा में मजबूत जॉब मार्केट है, खासकर इंफॉर्मेशन एंड टेक्नॉलाजी (आईटी), हेल्थ सेक्टर, इंजीनियरिंग और कुशल ट्रेड्स के क्षेत्रों में. यहां लोगों को बेहतर सैलरी और करियर में आगे बढ़ने के अवसर मिलते हैं, जो भारत से कहीं बेहतर होते हैं. इसके अलावा अच्छा लिविंग स्टैंडर्ड, बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं और ऊंचे दर्जे की शिक्षा प्रणाली जैसी सुविधाएं कनाडा को लोगों के लिए एक आकर्षक जगह बनाती हैं.

इस देश का बहुसांस्कृतिक समाज
सिर्फ यही नहीं कनाडा अपने बहुसांस्कृतिक समाज और समावेशी माहौल के लिए जाना जाता है, जिससे प्रवासियों के लिए समाज में घुलने-मिलने में आसानी होती है. कनाडा की प्रवासी नीतियां, जैसे एक्सप्रेस एंट्री सिस्टम और प्रोविंशियल नॉमिनी प्रोग्राम्स (PNPs), भारत से कामकाजी लोगों को लुभाने करने के लिए बनाई गई हैं. कनाडा ने हर साल 4.31 लाख से अधिक नए स्थायी निवासियों का स्वागत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

अच्छी एजुकेशन, सुरक्षित माहौल
फिर कनाडा की शिक्षा प्रणाली विश्व स्तर पर बेहतर मानी जाती है. काफी भारतीय छात्र कनाडा में अपनी पढ़ाई के लिए जाते हैं और ग्रेजुएट होने के बाद अपने स्टूडेंट वीजा को परमानेंट रेजीडेंसी में बदलवा लेते हैं. कनाडा को एक सुरक्षित और राजनीतिक रूप से स्थिर देश माना जाता है, जो बेहतर भविष्य की तलाश कर रहे लोगों के लिए उपयुक्त है. इन सभी वजहों से काफी भारतीय कनाडा में नई जिंदगी की शुरुआत के लिए प्रेरित होते हैं. जिससे यह भारतीय प्रवासियों के लिए आज के समय का सबसे लोकप्रिय डेस्टिनेशन बन गया है.

किन राज्यों से जाते हैं ज्यादा लोग
पंजाब से कनाडा में प्रवास का एक लंबा इतिहास रहा है, खासकर शुरुआती सिख सैनिकों के कारण जो वहां बस गए थे. पंजाब से सबसे ज्यादा लोग कनाडा में जाकर बसे हैं. वहां पर पहले से बसा हुआ मजबूत पंजाबी समुदाय नए प्रवासियों के लिए एक सपोर्ट नेटवर्क प्रदान करता है, जिससे उन्हें वहां बसने में आसानी होती है. हरियाणा के भी काफी लोग बेहतर नौकरी के अवसर और शिक्षा की तलाश में कनाडा का रुख करते हैं, विशेषकर कृषि और तकनीक जैसे क्षेत्रों में.

गुजराती अपने उद्यमशीलता के लिए प्रसिद्ध हैं, इसीलिए काफी गुजराती बिजनेस के अवसरों का पता लगाने या शहरी इलाकों में बसने के लिए वहां का रुख करते हैं. महाराष्ट्र से प्रोफेशनल बेहतर करियर अवसरों के लिए कनाडा जाते हैं, खासकर आईटी और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में. उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्र उच्च शिक्षा के लिए कनाडा का रुख करते हैं, क्योंकि वहां के विश्वस्तरीय संस्थान उन्हें आकर्षित करते हैं.

सबसे पहले कौन बसा कनाडा में
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1897 में महारानी विक्टोरिया ने ब्रिटिश भारतीय सैनिकों की एक टुकड़ी को डायमंड जुबली सेलिब्रेशन में शामिल होने के लिए लंदन आने का न्योता दिया था. बताया जाता है कि इसी दौरान घुड़सवार सैनिकों की एक टुकड़ी महारानी के साथ कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में थी. इन्हीं सैनिकों में रिसालेदार मेजर केसर सिंह भी शामिल थे. उन्होंने कुछ सैनिकों के साथ कनाडा में बसने का फैसला किया था और वे ब्रिटिश कोलंबिया में ही रुक गए. हालांकि कुछ सैनिकों को यहां के कठिन हालात खासतौर से बेहद ठंड रास नहीं आई और वे भारत लौट गए थे. उसी समय कुछ भारतीय कनाडा में आकर बसने लगे थे. कुछ ही सालों में 5000 भारतीय ब्रिटिश कोलंबिया पहुंच गए, जिनमें से 90 फीसदी सिख थे.

भारतीयों को रोकने के लिए लगाई ये शर्तएक रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा में भारतीयों की बढ़ती हुई आबादी वहां के अधिकारियों को रास नहीं आ रही थी. भारतीय लोग कनाडा में नौकरियां करने लगे थे और उनका विरोध भी होने लगा था. 1907 तक आते-आते भारतीयों के खिलाफ नस्ली भेदभाव शुरू हो गया था. इसके कुछ साल बाद ही भारत से प्रवासियों के आने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कनाडा में एक कानून बनाया गया था. नियमों के मुताबिक कनाडा में भारतीयों को प्रवेश करने के लिए उनके पास 200 डॉलर की रकम होना अनिवार्य कर दिया गया.

सिखों को जबरन भारत भेजा गया
हालांकि यूरोपियनों के लिए यह राशि महज 25 डॉलर ही थी. इस दौरान मुश्किल हालातों में भी सिख कनाडा छोड़ने को तैयार नहीं थे. सिखों ने मजबूत सामुदायिक संस्कृति को स्थापित कर वहां पर गुरुद्वारे भी बनाए. बताया जाता है कि सिखों को कनाडा से जबरन भारत भी भेजा गया. सिखों, हिंदुओं और मुसलमानों से भरा एक जहाज कोमागाटा मारू 1914 में कोलकाता के बज बज घाट पर पहुंचा था. इस जहाज पर सवार 19 लोगों की मौत हो गई थी. भारतीयों से भरे इस जहाज को कनाडा में नहीं घुसने दिया गया था.

बसे हैं 16 लाख से ज्यादा भारतीय
कनाडा में 16 लाख से ज्यादा भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जबकि भारतीय प्रवासियों की संख्या 7 लाख है. पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा भारतीय कनाडा में ही रहते हैं. ये कनाडा की कुल आबादी के चार फीसदी हैं. भारतीय आबादी ज्यादातर कनाडा के टोरंटो, वैंकुअर, मांट्रियल, ओटावा और विनीपेग में रहती है. यही नहीं, सिख धर्म कनाडा में चौथा सबसे बड़ा धार्मिक समूह है, जिसके लगभग आठ लाख मानने वाले हैं. 2021 तक कनाडा की आबादी का 2.1 फीसदी सिख हो चुके थे. भारतीय खास तौर से सिख वहां की राजनीति में भी खासे प्रभावशाली हो गए हैं. वर्तमान में कनाडा की संसद में भारतीय मूल के 19 सांसद हैं, वहीं, जस्टिन ट्रूडो की सरकार में तीन कैबिनेट मंत्री हैं.

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