श्रीगणेश को दूर्वा क्यों चढ़ाते हैं?
दूर्वा एक खास प्रकार की घास होती है। पौराणिक समय में अनलासुर राक्षक ने अपने आतंक से सभी को परेशान कर रखा था। ऐसे में देवराज इंद्र समेत अन्य देवी देवता और प्रमुख ऋषि-मुनि महादेव के पास गुहार लगाते हुए गए। शिवजी ने कहा कि गणेशजी ही इस असुर से मुक्ति दिला सकते हैं। फिर सभी गणपतीजी के पास गए। देवों और ऋषि मुनियों के आग्रह पर गणेशजी ने अनलासुर से युद्ध किया। इस दौरान वे राक्षस को निगल गए। हालांकि इससे उनके पेट में जलन होने लगी। फिर कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठें बनाकर गणेश जी को खिलाई जिससे उनके पेट की जलन शांत हो गई। बस तभी से गणेशजी को दूर्वा चढ़ाने का रिवाज शुरू हुआ।
चूहा कैसे बना गणेशजी की सवारी?
एक बार असुर मूषक मतलब चूहे का रूप धारण कर पाराशर ऋषि के आश्रम जा पहुंचा। उसने कुतर-कुतर कर पूरा आश्रम तबाह कर दिया। फिर ऋषियों ने गणेश जी से मदद की गुहार लगाई। ऐसे में गणपतीजी ने पाश फेंककर मूषक को बंदी बना लिया। इसके बाद उन्होंने इस मूषक को अपना वाहन बना लिया। गणेशजी जैसे ही चूहे के ऊपर बैठे तो वह दबने लगा। उसने बप्पा से विनती की कि वे अपना वजन मेरे अनुसार कम कर लें। फिर गणेशजी ने चूहे के अनुसार अपना वजन कम कर लिया। बस तभी से मूषक गणेशजी का वाहन बन गया।
श्रीगणेश को तुलसी क्यों नहीं चढ़ाई जाती?
एक बार तुलसी ने गणेशजी से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की थी, हालांकि उन्होंने इससे इनकार कर दिया था। क्रोधित होकर टूसली ने उन्हें श्राप दिया कि आपके दो विवाह होंगे। ये सुनकर गणेशजी को गुस्सा आया और उन्होंने तुलसी को श्राप देते हुए कहा कि तुम्हारा विवाह एक असुर से होगा। यह सुन तुलसी दुखी हो गई और माफी मांगने लगी। फिर गणेशजी बोले कि तुम्हारा विवाह असुर से होगा, लेकिन तुम भगवान विष्णु को प्रिय रहोगी। हालांकि तुमने मुझे श्राप दिया है जिसके चलते मेरी पूजा में तुलसी वर्जित रहेगी।
गणपती बप्पा का एक दांत कैसे टूटा?
एक दिन भगवान परशुराम शिवजी से मिलने कैलाश पर्वत आए। उस समय भोलेनाथ विश्राम कर रहे थे तो गणेशजी ने उन्हें मिलने से रोक दिया। इससे कोरधित होकर परशुराम ने गणेशजी पर फरसा फेंक हमला कर दिया। चुकी ये फरसा शिव जी ने परशुराम को भेंट किया था इसलिए बप्पा ने इस हमले का विरोध नहीं किया। फरसे का प्रहार खाली न जाए इसलिए उन्होंने यह वार अपने दांत पर झेल लिया, इसी के चलते उनका एक दांत टूट गया और वे एकदंत कहलाए।
गणेशजी को मोदक क्यों पसंद है?
एक बार माता अनसूया ने गणेशजी को भोजन पर आमंत्रित किया। तब गणेशजी खाते ही जा रहे थे लेकिन उनका पेट नहीं भर रहा था। ऐसे में माता अनसूया ने मोदक बनाकर गणेशजी को दिया। इसे खाते ही वे तृप्त हो गए। बस तभी से मोदक का भोग लगाने की परंपरा शुरू हो गई।