आप ने घर के बड़े बूढ़ों को कई बार यह कहते सुना होगा कि शाम के समय सोते नहीं है। यदि शाम को आपकी नींद लग जाती है तो वह आपको टोक भी देते हैं। ऐसे में कुछ युवा इसे फालतू की बातें मानकर शाम को फिर भी सो जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर शाम को सोने के लिए मना क्यों किया जाता है? इसका सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी है।
शाम को ना सोने का वैज्ञानिक कारण
हेल्थ एक्सपर्ट्स की माने तो शाम को सोने से इसका नेगेटिव इफेक्ट हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है। इसके अलावा शाम को सोया जाए तो रात को जल्दी नींद नही आती है। फिर हम पूरी रात करवट बदलते रहते हैं। जब नींद पूरी नहीं होगी तो शरीर में और भी कई बीमारियां जन्म ले लेगी।
शाम को ना सोने का एक लॉजिकल कारण भी है। सुबह जब सूर्य उगता है तो हम पूरी एनर्जी के साथ अपने कामों की शुरुआत करते हैं। वहीं शाम को सूरज के ढलते ही सभी कामों को समेटा जाता है। अब यदि आप शाम को सो जाएंगे तो आपके सभी काम अधूरे ही रह जाएंगे। फिर अगले दिन आपके ऊपर काम का लोड बढ़ जाएगा।
शाम को ना सोने का धार्मिक कारण
हमारे शास्त्र और धर्म कहता है कि ईश्वर की आराधना का सबसे उचित समय सुबह और शाम का होता है। मान्यता है कि शाम के समय मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां दुर्गा घर में आती है। ऐसे में यदि आप उन्हें घर में सोते हुए दिख गए तो वे वापस लौट जाते हैं।
शाम को सोने से घर में नकारात्मक ऊर्जा फैलती है। महालक्ष्मी उस घर में प्रवेश नहीं करती है जहां नकारात्मक ऊर्जा सबसे अधिक होती है। लक्ष्मीजी के अभाव में घर में बरकत नहीं रहती और हम आर्थिक रूप से कमजोर हो जाते हैं।
इसके अलावा जब आप शाम के तय समय पर भगवान की पूजा पाठ करने की बजाय सोए पड़े रहते हैं तो आपको पाप लगता है। ईश्वर आप से नाराज हो जाते हैं फिर आपकी लाइफ में एक के बाद एक कई दुख आने लगते हैं।
शाम को ये काम करने से भी बचें
शाम को सोने के अलावा कुछ और भी काम है जिन्हें करने से देवी देवता नाराज हो जाते हैं। जैसे शाम के समय भूल कर भी नाखून नहीं काटना चाहिए। इसके अलावा शाम को दाढ़ी भी नहीं बनाना चाहिए। वहीं शाम को बाल झाड़कर उसे फेंकना भी नही चाहिए। यह सभी चीजें घर में नकारात्मक ऊर्जा का लेवल बढ़ाती है। जिससे देवी देवता नाराज हो जाते हैं और हमारी मनोकामनाएं पूरी नहीं करते हैं।