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गरीब पिता ने मेहनत-मजदूरी कर बेटियों को पढ़ाया, तीनों बहनें एक साथ बनीं पुलिस कांस्‍टेबल.

कहते हैं कि पहले के जमाने में बेटियों को बेटों से कम ही आंका जाता था। कहा जाता था कि घर का वंश बेटा आगे बढ़ाएगा। बेटियां तो पराई हो कर ससुराल चली जाएंगी। बेटियां घर का चूल्हा चौका और बच्चे पालेंगी। लेकिन अब लोगों की सोच में बहुत फर्क आया है। आज के समय में बेटा बेटी में मां-बाप कोई फर्क नहीं रखते। बेटों के साथ-साथ बेटियों को भी पढ़ाना-लिखाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना वर्तमान समय की जरूरत है। आज के समय में बेटियां किसी भी मामले में बेटों से कम नहीं हैं। बेटियां विभिन्न क्षेत्रों में अपने देश के साथ-साथ अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं।

आजकल के समय में ऐसे कई मामले देखने और सुनने को मिलते हैं जिसमें चाहे माता-पिता कितने भी गरीब क्यों ना हों, अपनी बेटियों को पढ़ाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ते। बेटी जितना पढ़ना चाहती है मां-बाप उसे पढ़ाते हैं। दिन-रात मेहनत करके अपनी बेटियों को खूब पढ़ाते लिखाते हैं। समय के साथ-साथ बेटियों ने यह साबित किया है कि उन्हें बस मौका मिलना चाहिए फिर वह दिखा देंगी कि किसी से कम नहीं है।

इसी बीच हाल ही में महाराष्ट्र में पूरी हुई पुलिस भर्ती में बड़ी संख्या में लड़कियां पुलिस फोर्स में शामिल हुई हैं। इनमें बीड जिले की तीन सगी बहनों की कहानी बहुत अनोखी है। इन तीनों बहनों ने हालात से लड़कर पुलिस महकमे में यह स्थान हासिल किया है। तीनों बहनें पुलिस फोर्स में पुलिस कांस्टेबल के रूप में शामिल हो गई हैं।


गन्ना मजदूर की 3 बेटियां बनीं पुलिस कांस्टेबल

आपको बता दें कि महाराष्ट्र के बीड जिले में रहने वाले एक गरीब किसान की तीन बेटियों की इस समय काफी चर्चा हो रही है। बीड जिले के परली के पास सेलु टांडा में गन्ना मजदूर के रूप में काम करने वाले मारुती जाधव की तीन बेटियां एक साथ पुलिस बल में पुलिस कांस्टेबल के रूप में भर्ती हुई हैं। इन तीनों बहनों ने गन्ना काटने का काम करने वाले अपने माता-पिता का मान बढ़ाया है। तीनों बहनों सोनाली, शक्ति और लक्ष्मी की हर कोई तारीफ करता हुआ नहीं थक रहा है। इन तीनों बहनों ने अपने अथक परिश्रम और परिवार के सहयोग से यह मुकाम पाया है।

पिता ने मेहनत-मजदूरी कर पढ़ाया

आपको बता दें कि सेलु टांडा के मारुति जाधव शुरू में गन्ना श्रमिक के रूप में काम करते थे। कुछ वर्षों के पश्चात उन्होंने गन्ना काटने का काम शुरू किया। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है परंतु इसके बावजूद भी उन्होंने जी तोड़ मेहनत कर अपनी तीनों बेटियों को शिक्षित करने का साहस दिखाया। जाधव पति-पत्नी अपने बच्चों को शिक्षा के लिए समर्थन देना जारी रखा। मारुती जाधव के पास गांव में अपनी कोई भी जमीन नहीं है और ना ही कोई संपत्ति है। परंतु इसके बावजूद भी उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर अपने बड़े परिवार का भरण पोषण किया।

जाधव की पांच बेटियां और दो बेटे हैं। इस वजह से उनके पास कड़ी मेहनत करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। दिन-रात कड़ी मेहनत करके उन्होंने अपनी लड़कियों को पढ़ाया। मारुती जाधव की तीनों बेटियों ने कमाल कर दिखाया। तीनों ने गरीबी से जंग जीतकर महाराष्ट्र पुलिस की खाकी वर्दी पहनी है।


पूरे गांव ने किया बेटियों को सम्मानित

मारुती जाधव की बड़ी बेटी सोनाली कोरोना काल में पुलिस भर्ती में चयनित हुई थी। वही उनकी अन्य दो बेटियों शक्ति और लक्ष्मी का हाल ही में पुलिस भर्ती में चयन हुआ है। तीनों बहनों की इस कामयाबी से पूरे गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है। गांव की पंचायत ने तीनों को सम्मानित करने के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया। तीनों बहने पिछले 4 साल से पुलिस भर्ती के लिए कड़ी मेहनत कर रही थीं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह बीड के अधिकांश हिस्सों में पहली बार है कि एक ही परिवार की तीन सगी बहनें पुलिस बल में शामिल हुई हैं। गांव की महिलाओं ने लड़कियों की सफलता पर उन्हें सम्मानित किया।

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