उन्नाव: उत्तर प्रदेश के उन्नाव के बीघापुर कोतवाली इलाके में मंदिर की छत ढलने को लेकर विवाद में नया घटनाक्रम सामने आया है। अब रानीपुर गाँव की मुस्लिम महिलाओं ने मंदिर की छत ढलने के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है।
रानीपुर, जो मुस्लिम बाहुल्य गाँव है, में 130 मुस्लिम परिवार तथा सिर्फ 30 हिंदू परिवार हैं। बहुसंख्यक मुस्लिम वर्ग की महिलाओं ने मंदिर निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए कहा है कि “मंदिर की घंटियों से उन्हें समस्या होगी,” इसलिए वे मंदिर बनने नहीं देंगी। इस बीच, जिस परिवार ने मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था, वह दबाव के कारण उन्नाव से लखनऊ चला गया है।
रानीपुर गाँव की मुस्लिम महिलाओं ने मंदिर निर्माण का खुला विरोध करते हुए भड़काऊ बयानबाजी की है, जिनके वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं। मंदिर का विरोध करने वाली महिलाओं ने बताया कि मंदिर की घंटी बजने से उन्हें समस्या होगी। इस बीच, मंदिर निर्माण का संकल्प लेने वाला परिवार उत्पीड़न से तंग आकर लखनऊ में शिफ्ट हो गया है। हालाँकि, यह पलायन स्थायी है या अस्थायी, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। इस पूरे मामले में प्रशासन का बर्ताव डिफेंसिव बना हुआ है। प्रशासन मामले को शांत कराने का प्रयास कर रहा है। SDM सदर, क्षितिज द्विवेदी ने बताया कि विवादित जमीन पैमाइश में आबादी की जमीन निकली है। चबूतरा आबादी की जमीन पर है, इसलिए कोई परेशानी नहीं है। हालांकि, मंदिर की छत न ढलने देने को लेकर कोई शिकायत नहीं प्राप्त हुई है। ASP ने बताया कि मंदिर की छत ढालने के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई है। अगर अनुमति मांगी जाती है, तो मंदिर बनने से कोई रोक नहीं सकेगा। भड़काऊ बयान देने से संबंधित जानकारी पुलिस के पास नहीं है, किन्तु पूरे मामले पर पुलिस की नजर है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस एवं प्रशासन मामले को दबाते नजर आ रहे हैं। बीघापुर कोतवाली के SHO ने किसी तनाव से इनकार किया था, किन्तु जब सीओ के बयान को उठाया गया, तो उन्होंने स्वीकार किया कि मामला 7-8 अक्टूबर 2024 का है। 32 लोगों पर पाबंदी लगाई गई है, जिसमें 26 मुस्लिम और 6 हिंदू हैं। उन्नाव पुलिस ने रिपोर्ट के जवाब में बताया कि यह मामला 15 दिन पुराना है तथा पुलिस के संज्ञान में है। यह पूरा घटनाक्रम बताता है कि पुलिस एवं प्रशासन जानबूझकर मामले को अनदेखा कर रहे हैं। SDM ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए कोई अनुमति नहीं मांगी गई, किन्तु जमीन की पैमाइश की बात कर रहे हैं। अगर कोई शिकायत ही नहीं हुई, तो पैमाइश क्यों? वहीं, एएसपी ने कहा कि यदि मंदिर निर्माण की अनुमति मांगी गई, तो अनुमति प्राप्त होने के पश्चात् कोई भी मंदिर के निर्माण को नहीं रोक पाएगा।
गाँव में एक शिव मंदिर है, जो 70 वर्ष से ज्यादा पुराना है। इस मंदिर के चबूतरे पर हिंदू परिवार अपने धार्मिक कार्य जैसे मुंडन, छेदन तथा शादी-विवाह संपन्न करते हैं। चबूतरे पर चारों ओर दीवारें और खंभे खड़े हैं, किन्तु छत डालने का कार्य अभी लंबित है, क्योंकि कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों को यह पसंद नहीं है। उनका कहना है कि मंदिर से सिर्फ 100 मीटर दूर एक मस्जिद है, तथा मंदिर बनने से उनकी नमाज में समस्या आएगी। खैर, आने वाला वक़्त बताएगा कि क्या मंदिर का निर्माण होता है या कट्टरपंथी एकजुट होकर इसे रोक देते हैं। फिलहाल, सबसे पहले आवश्यकता है उस उत्पीड़ित परिवार की सुरक्षा की, जिसे पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा है।