जब शेर ने लोमड़ी को मारने की बजाय की मदद

एक समय की बात है। एक युवक गांव से दूर जंगल लकड़ियाँ बीनने गया था। वह इन्हीं लकड़ियों पर खाना पकाता था। लकड़ियों को बीनते समय उसे जंगल में एक घायल लोमड़ी दिखी। वह लोमड़ी चलने-फिरने में असमर्थ थी, हालांकि इसके बावजूद वह कमजोर या भूखी नहीं बल्कि स्वस्थ लग रही थी।

घायल लोमड़ी को शेर ने मारने की बजाय दिया खाना, देखकर युवक कमरे में हो गया बंद, लेकिन फिर..

इस बीच युवक को शेर की दहाड़ सुनाई दी। वह डरकर एक पेड़ के ऊपर चढ़कर छिप गया। फिर शेर वहाँ आया। युवक को लगा अब वह लोमड़ी को खा जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शेर ने लोमड़ी को अपने पास से मांस का एक टुकड़ा दिया। यह देख युवक समझ गया कि शेर रोज इस घायल लोमड़ी को खाना देता होगा, तभी ये इतनी स्वस्थ है।

युवक को लगा कि भगवान की कृपा हर प्राणी पर रहती है। वह किसी को भूखा नहीं सोने देता है। वह किसी न किसी तरह उसके भोजन की व्यवस्था कर देता है। यह सोच वह भी घर पर बैठ गया। उसने तय कर लिया कि भगवान मेरे खाने पीने का भी इंतजाम कर देगा। मैं कुछ नहीं करूंगा।

अब एक दिन बीत गया उसकी मदद को कोई नहीं आया। फिर दूसरा दिन गया और तीसरे दिन तक उसकी भूख से हालत खराब हो गई। अंत में युवक के सब्र का बांध टूट गया। उसने खुद भोजन पकाकर खा लिया। फिर वह एक संत से मिला। उसने संत को पूरी बात बताई। पूछा “महात्मा जी, भगवान उस लोमड़ी के भोजन की व्यवस्था कर सकते हैं, लेकिन मेरी नहीं। ऐसा क्यों?”

इस पर महात्मा बोले “लोमड़ी असहाय थी। वह चल फिर नहीं सकती थी। लेकिन तुम तो अच्छे खासे सेहतमंद हो। भगवान तुम्हें लोमड़ी नहीं शेर बनाना चाहता है। तुम भी दूसरों की मदद करो।” यह बात सुन युवक को अपनी गलती का एहसास हुआ।

कहानी की सीख

मदद लेने वाले से ज्यादा मदद करने वाला बड़ा होता है। इसलिए हमेशा दूसरों की मदद को आगे आओ। खासकर जो जरूरतमंद हैं उनकी सहायता जरूर करो। इससे आपका जीवन सार्थक बनेगा। इसे भी जरूर पढ़ें –