नई दिल्ली. शेयर बाजार में आज बिकवाली की ऐसी हवा चली कि सेंसेक्स और निफ्टी लगभग 2 पॉइंट तक नीचे आ गए. मिंट के अनुसार, दिन के कारोबार में एक समय वह भी आया जब बीएसई लिस्टेड कंपनियों के निवेशक 9 लाख करोड़ रुपये के घाटे में पहुंच गए. इस गिरावट का अंदेशा पहले से लगाया जा रहा है. विदेशी निवेशकों की बेलगाम बिकवाली इस क्रैश की ओर इशारा कर रही थी.
सप्ताह के पहले दिन सोमवार को 30 शेयरों वाला सेंसेक्स सोमवार को 963.84 अंक या 1.21 फीसदी टूटकर 78,760 के स्तर पर बंद हुआ. वहीं, 50 शेयरों वाला निफ्टी 1.27 फीसदी या 309 अंक टूटकर 23,995 के स्तर पर बंद हुआ.
आज सबसे ज्यादा गिरावट वाले शेयर
आज सेंसेक्स पर अडानी पोर्ट्स में सर्वाधिक 3.23 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. इसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज में 3 फीसदी, सन फार्मा में 2.68 फीसदी, बजाज फिनसर्व में 2.53 फीसदी और एनटीपीसी में 2.45 फीसदी की गिरावट दिखी. जबकि महिंद्रा एंड महिंद्रा और टेक महिंद्रा में करीब 2 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुए.
अमेरिकी चुनाव का असर
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ा मुकाबला है, जिससे वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ी है. Geojit Financial Services के वी. के. विजयकुमार के अनुसार, चुनाव परिणाम से बाजारों में अल्पकालिक अस्थिरता आ सकती है, लेकिन लंबी अवधि में आर्थिक कारक जैसे अमेरिकी विकास दर, महंगाई और फेडरल रिजर्व की नीतियां बाजार की दिशा निर्धारित करेंगी.
भारतीय बाजार में उच्च वैल्यूएशन
इक्विटी रिसर्च प्लेटफ़ॉर्म Trendlyne के अनुसार, निफ्टी 50 का वर्तमान पीई रेश्यो 22.7 है, जो पिछले दो वर्षों के औसत से थोड़ा अधिक है. यह अधिक वैल्यूएशन भी निवेशकों को अब खटकने लगा है. हालांकि, ICICI Securities के पंकज पांडे का मानना है कि हालिया करेक्शन के बावजूद भारतीय बाजार की लंबी अवधि की वृद्धि क्षमता और स्थिरता के कारण ऊंचे वैल्यूएशन बने रह सकते हैं.
फेडरल रिजर्व का फैसला
7 नवंबर को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक में 25 बेसिस पॉइंट की दर कटौती की संभावना है. हालांकि, यह संभावना है कि इसका बाजार पर सीमित प्रभाव हो क्योंकि इसे पहले ही बाजार में शामिल कर लिया गया है.
विदेशी निवेशकों की बिकवाली
अमेरिकी चुनाव से पहले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय बाजार से भारी बिकवाली की है, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) भी सतर्क हैं. Swastika Investmart के संतोष मीना के अनुसार, एफआईआई द्वारा मुनाफावसूली और चीन में संभावित प्रोत्साहन पैकेज के कारण भारत से फंड्स बाहर जा रहे हैं, जिससे भारतीय बाजार में दबाव बढ़ा है.
कमजोर तिमाही नतीजे
भारत की कंपनियों के सितंबर तिमाही के नतीजे अपेक्षाओं से कमजोर रहे हैं, खासकर कमोडिटी सेक्टर में. ICICI Securities के पंकज पांडे के अनुसार, कमजोर तिमाही नतीजों ने बाजार की भावना पर नकारात्मक असर डाला है.