हरियाणा के मुस्लिम बहुत मेवात क्षेत्र के नूहं में म्यामांर से आए हुए रोहिंग्या मुस्लिमों की एक बड़ी आबादी अवैध रूप से रह रही है।
हरियाणा के मुस्लिम बहुत मेवात क्षेत्र के नूहं में बाहर से आए हुए रोहिंग्या मुस्लिमों की एक बड़ी आबादी अवैध रूप से रह रही है।
ये सभी म्यामांर से अवैध रूप से भारत में आए और यहाँ से नूहं में स्थापित हो गए। इन अवैध घुसपैठियों के रहने वाले अस्थायी आवास बनाया गया है। ये सभी साल 2016 में ही भारत आ गए थे और तभी से यहाँ रह रहे हैं। इनमें रहने के साथ-साथ मदरसा भी संचालित किया जा रहा है।
दरअसल, ऑर्गनाइजर ने हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान इन अवैध घुसपैठियों से बात की थी। इसका वीडियो अब जारी किया गया है। ऑर्गेनाइजर की ओर से पत्रकार शुभी विश्वकर्मा ने यहाँ मदरसे में पढ़ाने वाले मौलाना और यहाँ पढ़ने वाले बच्चों से बात की। यहाँ पढ़ाने वाले यूनुस ने कहा कि यहाँ 400 रोहिंग्या रहते हैं। हालाँकि, उनकी जुबानी ये संख्या है, लेकिन वास्तविक संख्या कितनी है, ये किसी को नहीं पता।
ये वही क्षेत्र है, जहाँ से हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरन कॉन्ग्रेस नेता मामन खान से रिकॉर्ड जीत हासिल की है। मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र में उन्हें एकतरफा मत मिले। चुनाव प्रचार के दौरान मामन यहाँ के हिंदुओं को धमकाते हुए कहा था कि जिन लोगों ने मुस्लिमों के खिलाफ अन्याय किया है, उन्हें कॉन्ग्रेस की सरकार बनते हीमेवात छोड़ना पड़ेगा। मामन का नाम 2023 के मेवात दंगों में आया था।
नूहं के नांगली गाँव में पत्रकार पहुँचे। यहाँ बाँस आदि से छप्पर के रूप में एक अस्थायी ढाँचा बनाया गया है, जिस पर लिखा है ‘मदरसा इस्लामिया दारूल उलूम इल्यासिया’। ये ढाँचा एक बड़े भूभाग पर बनाया गया है। इसमें नमाजी टोपी पहने हुए बहुत सारे बच्चे और किशोर दिखाई देते हैं। इसमें जियाउर रहमान नाम के एक व्यक्ति है, जो खुद को मौलवी बताता है।
रहमान कहता है कि वह नहूँ में रहता है कि मदरसे में बच्चों को पढ़ाने के लिए वह गाँव में आता है। रहमान खुद भी म्यामांर (बर्मा) का रहने वाला है। रहमान ने बताया कि साल 2016 से यह मदरसा चल रहा है। यहाँ पढ़ने वाले सारे बच्चे म्यामांर के ही है। मदरसे में ही बच्चों को खाना भी मिलता है। रात में रहते भी हैं। उसने बताया कि यहाँ कभी रेड नहीं पड़ी और ना ही किसी ने पूछा कि वे कहाँ के रहने वाले हैं।
रहमान ने बताया कि उसे भारत में किसी तरह का खतरा नहीं है, क्योंकि वह यहाँ मेहमान के हिसाब से रह रहा है। बर्मा से आया और व्यक्ति मोहम्मद यूनुस नाम का मिला। उसने बताया कि वह बच्चों को अरबी और अंग्रेजी पढ़ाता है। यूनुस ने बताया कि यहाँ रहने वाले रोहिंग्या मुस्लिमों की आबादी लगभग 400 है। यूनुस ने बताया कि भारत में आने के लिए उन सबों के पास कुछ भी नहीं है।
यूनुस ने कहा, “ना हमारे पास पासपोर्ट है, ना वीजा है। हम कैसे-कैसे करके यहाँ आ गए, यह बहुत मुश्किल काम है। हम ब्लैक में आ गए।” ब्लैक से संभवत: यहाँ पैसे देकर अवैध तरीके से घुसपैठ करने से संबंधित है। यूनुस ने बताया कि वह बांग्लादेश बॉर्डर के जरिए भारत में घुसा। उन्होंने कहा कि वहाँ कुछ लोग उसे मिले, जिन्होंने उसे बॉर्डर पार कराया और वहाँ से वह बंगाल में रहने लगा।
यूनुस ने बताया कि बॉर्डर पार कराने वालों ने कुछ लोगों से पैसा भी लिया और कुछ लोगों को बिना पैसे का ही बॉर्डर पार करा दिया। यूनुस ने बताया कि वह उसके साथ अधिकांश लोग म्यामांर में लड़ाई शुरू होने के बाद 2016 में भारत में आए। उसका कहना है कि कुछ लोग तो भारत में साल 2012 में ही आ गए थे और तभी वे यहाँ रह रहे हैं। यूनुस का दावा है कि उसके पास UN का रिफ्यूजी कार्ड है।
हालाँकि, जब पत्रकारों ने उससे रिफ्यूजी कार्ड दिखाने के लिए कहा तो वह बोला कि वह घर पर है और घर कहीं और है। यूनुस ने बताया कि इलाके में कुछ भी होता है तो उसे खबर कर दिया जाता है कि घर से बाहर नहीं निकलना है। यूनुस ने बताया कि म्यामांर से भागे हुए रोहिंग्या हैदाराबाद, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा में रह रहे हैं।
इस मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों से जब पूछा गया कि वे पढ़ाई करके क्या करेंगे तो 99 प्रतिशत ने कहा कि वे हाफिज बनेंगे और अल्लाह की सेवा करेंगे। इन बच्चों को जाकिर नाईक के बारे में अच्छे से पता है। लगभग 12 साल के एक बच्चे ने कहा कि जाकिर नाईक इसलिए अच्छा लगता है, क्योंकि वह लोगों को दीन (इस्लाम) के रास्ते पर लाता है। यानी लोगों का इस्लाम में धर्मांतरण कराता है।
किशोर ने कहा कि जो अल्लाह को नहीं मानता है कि वह दोजख की आग में जलेगा। एक छोटे से बच्चे ने कलमा पढ़ कर सुनाया और कहा कि इसका मतलब है कि अल्लाह के सिवा और कोई भगवान नहीं है। यही बात एक किशोर ने भी कहा है। हालाँकि, बच्चे हर शब्द बोलने से पहले अपने मौलवी या हाफिज की तरफ देख रहे थे। जाहिर है कि वो काफी सोचकर बोल रहे थे।
दरअसल, इस मदरसे में पढ़ाने वाले यूनुस ने दावा किया कि रोहिंग्या मुस्लिम UN के रिफ्यूजी कार्ड पर भारत में आकर रह रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ वह कह रहा है कि बांग्लादेश सीमा के जरिए पैसे देकर कुछ लोगों की सहायता से भारत में घुसा था। इस तरह की विरोधाभासी बातें संदेह पैदा करती है। अगर यूनुस स्वयं स्वीकार करता है कि यहाँ 400 रोहिंग्या रहते हैं तो वास्तविक संख्या कितनी होगी, इसकी सही जानकारी शायद ही किसी को होगी।