जब मक्का की तरफ पैर करके लेट गए थे गुरु नानक साहब.तब एक सिख ने मुस्लिम जियोन को सिखाया था ऐसा पाठ?

जब मक्का की तरफ पैर करके लेट गए थे गुरु नानक साहब.तब एक सिख ने मुस्लिम जियोन को सिखाया था ऐसा पाठ?

Guru Nanak Jayanti 2024: गुरु नानक देव, सिख धर्म के संस्थापक और महान आध्यात्मिक गुरु, अपने उपदेशों और जीवन की घटनाओं से मानवता को महत्वपूर्ण शिक्षाएं देते रहे।

उनकी शिक्षाएं जाति, धर्म, और सीमाओं से ऊपर उठकर ईश्वर की एकता और मानवता की भलाई का संदेश देती हैं।

इस संदर्भ में गुरु नानक की मक्का यात्रा की घटना विशेष रूप से प्रेरणादायक है, जो यह बताती है कि ईश्वर हर दिशा में समान रूप से विद्यमान हैं।

गुरु नानक की मक्का यात्रा

गुरु नानक देव ने अपने शिष्य मरदाना के साथ मक्का की यात्रा की थी।

पृष्ठभूमि: मरदाना ने गुरु नानक को बताया कि इस्लाम धर्म में हर मुसलमान के लिए जीवन में एक बार मक्का जाना अनिवार्य है।
लंबी यात्रा: मक्का पहुँचने के बाद गुरु नानक और उनके शिष्य बेहद थक गए। आरामगाह में आराम करने के लिए गुरु नानक मक्का की ओर पैर करके लेट गए।

जियोन और गुरु नानक का संवाद

वहां जियोन नाम का एक व्यक्ति हाजियों की सेवा में लगा हुआ था। उसने गुरु नानक को मक्का की ओर पैर करके लेटा देखा और नाराज होकर कहा,
“क्या तुम्हें इतना भी नहीं पता कि मक्का की ओर पैर करके लेटना गलत है?”
इस पर गुरु नानक ने शांतिपूर्वक उत्तर दिया,
“मैं थका हुआ हूँ। मेरे पैर उस दिशा में कर दो जहाँ खुदा न हो।”
जियोन ने जब गुरु नानक के पैर दूसरी दिशा में घुमाए, तो उसे महसूस हुआ कि मक्का हर दिशा में है।
यह अनुभव जियोन के लिए एक गहरी शिक्षा बन गया।

गुरु नानक का संदेश

इस घटना से गुरु नानक ने यह स्पष्ट किया:

ईश्वर हर दिशा में है: ईश्वर केवल किसी विशेष दिशा, स्थान, या रूप में सीमित नहीं है।
अच्छे कर्म का महत्व: ईश्वर को पाने का मार्ग अच्छे कर्म, परोपकार, और सत्य के रास्ते पर चलने से प्राप्त होता है।
समानता का सिद्धांत: किसी धर्म, जाति, या परंपरा के बंधनों से ऊपर उठकर हर इंसान को समान दृष्टि से देखना चाहिए।

प्रकाश पर्व और गुरु नानक का दर्शन

गुरु नानक जयंती, जिसे प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है, हमें उनके जीवन और शिक्षाओं की याद दिलाता है।

उनकी शिक्षाएं:

“इक ओंकार सतनाम” (ईश्वर एक है और वह सत्य है)।
सभी धर्मों और मान्यताओं के प्रति समानता और सम्मान।

प्रभात फेरी और भजन-कीर्तन: यह दिन वाहे गुरु का जाप और भजन-कीर्तन करते हुए उनके उपदेशों को याद करने का दिन है।

गुरु नानक देव ने अपनी मक्का यात्रा से यह सिखाया कि ईश्वर केवल किसी स्थान या दिशा में सीमित नहीं हैं। वह हर जगह, हर दिल, और हर कर्म में मौजूद हैं। उनके उपदेश आज भी मानवता को एकजुटता, प्रेम, और सच्चाई का मार्ग दिखाते हैं।

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