जानिए किन लोगों के लिए चाय अमृत है और किन लोगो के लिए जहर..!!

 

नमस्कार दोस्तों, एक बार फिर से आपका हमारी वेबसाइट में बहुत बहुत स्वागत है. यहाँ आपको राजीव जी द्वारा बताई गयी हर प्रकार की औषधियां एवं घरेलू नुस्खे प्राप्त होंगे. तो दोस्तों आज की हमारी चर्चा का विषय है चाय और कॉफ़ी का सच. तो दोस्तों पिछले आर्टिकल्स में हमने पढ़ा की खाने के तुरंत बाद पानी नही पीना चाहिए.ऐसा करने से भोजन नही पचता और कई प्रकार की बीमारियाँ हमको लग सकती है. और अगर खाने के बाद पानी पीना है तो डेढ़ घंटे बाद पीये और पहले पीना है तो 48 मिनट पहले पीये. इसके इलावा अगर खाने के तुरंत बाद कुछ पीना है तो आप सुबह जूस ले सकते है, दोपहर को दही और लस्सी ले सकते है और रात को दूध ले सकते हैं. इसके इलावा आज हम बात करने जा रहे है है चाय और कॉफ़ी की. तो चलिए शुरू करते हैं:

जैसा की हम जानते है की चाय हमारे देश का उत्पादन नही है. जब अंग्रेज भारत में आये थे, अपने साथ वह चाय के पोधे लाये थे और जहाँ जहाँ उनको पहाड़ी ठंडा इलाका लगा वहां-वहां उन्होंने उन पौधों को लगा दिया. 1750 सन से पहले हमारे भारत में चाय का नामो-निशान नही था. चाय एक प्रकार की मेडिसिन है लेकिन सिर्फ उन लोगो के लिए जिनका ब्लड प्रेशर लो रहता है. लेकिन जिनका ब्लड प्रेशर नार्मल या हाई रहता है, चाय उनके लिए ज़हर के सामान है.

ब्रितिशियन, अमरेकी, जर्मन, स्वीडिश लोगो का ब्लड प्रेशर अक्सर लो रहता है. उनको चाय की हमेशा जरूरत रहती है. क्यों की उनके देशो में ठण्ड ज्यादा रहती है. उनकी ठण्ड का हम सोच भी नही सकते. और अगर हम उन लोगो का तापमान देखे तो वह माइनस 40 तक भी पहुँच जाता है और कई बार तो इससे भी कम. ये तापमान उनके यहाँ 6 महीने तो धुंद ही रहती है क्यों की सूरज वहां निकलता ही नही है. जहा ठण्ड बहुत होती है, वहा के लोगो का ब्लड प्रेशर बहुत लो होता है. राजीव जी ने बताया कि उन्होंने एक एक्सपेरिमेंट किया उन्होंने अपने आस-पास बर्फ ही बर्फ रख ली बीच में लेट गये. लेटने से पहले उन्होंने अपना ब्लड प्रेशर चेक किया तो वह एकदम नार्मल था और केवल तीन मिनट के बाद ही ठण्ड के कारण उनका ब्लड प्रेशर एकदम लो हो गया. इतना लो की उनका डीएम निकलने को आगया था. फिर उन्हें समझ आया की उनसे बेचारे तो अँगरेज़ है जिनके 6 महीने घर बहर सब कुछ बर्फ में सिमटा हुआ ही रहता है.

तो बस ये बात ध्यान में रखिये कि अगर आपको ब्लड प्रेशर नार्मल रखना है दवाई पर निर्भर नही रहना है तो आप चाय का परहेज़ कीजिये. क्योंकि हम लोग गर्म देश के निवासी हैं. अगर हम अंग्रेजो के खून की एसिडिटी और हमारे खून की एसिडिटी मापे तो बहुत ज्यादा अंतर होगा. हम सबके ph में भी बहुत ज्यादा अंतर रहता है. तो इसलिए चाय और कॉफ़ी जैसी गर्म चीज़ें उन लोगो के लिए ही ठीक है जो ठण्ड से मर रहे हो. वरना ये हमारे लिए ज़हर सिद्ध हो सकती हैं.

चाय कैसे छोड़े >>

आप चाय कॉफी छोड़िए फिर आप पूछेंगे कैसे छूटेगा. आपको एक तरीका बताता हूँ जिससे चाय पी कर जो नुकसान आपने किया है उसकी भरपाई भी हो जाएगी और चाय भी छूट जाएगा. चाय पीकर आपने आपने पेट को एसिडिटी मना लिया, जिसकी सबसे अच्छी चीज है अर्जुन छाल का पाउडर उसका काढ़ा बनाकर पीजिए चाय जिनको छोड़नी है सबसे अच्छी दवा है अर्जुन छाल कहीं भी मिलती है. ये चिकित्सा केन्द्रों पर भी मिलता है. वहां से ले लीजिए उसको काढा बनाइए काढा बनाना आप सब जानते हैं. पानी में डालकर उबाल दीजिए थोड़ा उसमें चाहे तो शक्कर मिला दीजिए. बहुत अच्छा तैयार होता है टेस्ट उसका चाय के जैसा ही है. और रंग भी चाय के जैसा ही है उसमें दूध भी डाल सकते हैं. गुड डालकर और उसको पी लीजिए लगातार 15 20 दिन अगर आपने पी लिया तो मैं आपको 99% गारंटी देता हूं चाय छूट जाएगी और चाय पीकर जितना आपने नुकसान कर लिया वह सारा नुकसान इससे कवर हो जाएगा आपके ब्लड के एसिडिटी को कम कर देगा और आपके ब्लड को एल्केलाइन कर देगा.

मजे की बात यह है कि ब्लड की एसिडिटी बढ़ते ही कोलेस्ट्रॉल ट्राइग्लिसराइड यह सब बढ़ने लगता है और ब्लड की एसिडिटी घटते ही कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड यह सब घटने लगता है माने हार्ट अटैक से बचना है तो भी अर्जुन की छाल ही पिए तो चाय का सबसे अच्छा विकल्प है

एक हमारे भारत देश में गायत्री परिवार नाम की बड़ी संस्था है उनका एक प्रज्ञा नाम का एक पेय आता है वह भी एल्केलाइन है वह चाय का बहुत अच्छा विकल्प है स्वामी रामदेव जी ने भी एक विकल्प लाया है उसमे सभी एल्कलाइन चीजें हैं चुन-चुन कर उन्होंने उसमें एल्केलाइन चीजें रखी है वह भी चाय का बहुत अच्छा विकल्प है तो विकल्प है अच्छा विकल्प है तो फिर जहर क्यों खाना

अगर रिश्तेदार आते हैं रिलेटिव जाते हैं उसको आप कहते हैं अतिथि तो देवता है देवताओं को तो जहर नहीं पिला सकते देवताओं को तो अमृत ही पिला सकते हैं. राक्षसों को जहर पिला सकते हैं तो आप देख लीजिए आपके अतिथि राक्षस है या देवता हैं अगर आप मानते हैं कि वह राक्षस है तो खूब चाय पिलाइए खूब कॉफी पिलाइए जल्दी मार डालना है उनको अगर आप मानते हैं कि वह देवता हैं तो बिल्कुल चाय मत दीजिए बिल्कुल कॉफी मत दीजिए उनको अर्जुन की छाल का पाउडर दीजिए.

मैं एक आखरी जानकारी आपको दे दूं भगवान ने जो चीजें आपके नजदीक में पैदा की है वही आपके खाने पीने के लिए अच्छी है जो चीजें हजारों मिल आपसे दूर पैदा होती है वह आपके लिए अच्छी नहीं है आपके खाने चीजें की जो भी चीजें होती है वह 20 किलोमीटर के दायरे में उत्पन्न होती है आप अपने एरिया को केंद्र बनाकर 20 किलोमीटर का एक फेस बना दीजिए आपके जरूरत की हर चीज वहां होती है जो आपके लिए सबसे अच्छी है और हजारों मील दूर नीलगिरी की पहाड़ियों में जो चाय होती है कर्नाटक के पूर्व एरिया में जो कॉफी होती है वह आपके लिए उचित नहीं है क्योंकि हर वस्तु आबोहवा के हिसाब से होती है.इसे भी जरूर पढ़ें –

आप अपने एरिया के आसपास के क्षेत्र में कितना भी कॉफी का प्लांटेशन करेंगे होगा ही नहीं क्योंकि कॉफी की हमें जरूरत नहीं है.गड़बड़ी क्या हो गई कि ट्रांसपोर्टेशन के साधन इतने हो गए कि जहां भी जो कुछ होता है हम उसको हासिल कर लेते हैं लेकिन वह शरीर के अनुकूल नहीं है

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