जो अंग्रेज नहीं कर पाए वो जगन मोहन ने कर दिया! आजाद भारत में हिन्दुओं को खाना पड़ा बीफ वाला प्रसाद!

जो अंग्रेज नहीं कर पाए वो जगन मोहन ने कर दिया! आजाद भारत में हिन्दुओं को खाना पड़ा बीफ वाला प्रसाद!

नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर (तिरुपति मंदिर) के प्रसाद में जानवरों की चर्बी की मिलावट सामने आने के बाद से घमासान मचा हुआ है। मंदिर प्रबंधन तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम यानी TTD ने कहा है कि प्रसाद को 4 अन्य लैबों में भी टेस्ट करवाया गया है, जिसमें चर्बी होने की पुष्टि हुई है।

हिन्दुओं के इतने बड़े धार्मिक स्थल पर जिस तरह से आस्था का मजाक बनाया गया है, उसके बाद से देश भर में बवाल मचा हुआ है।

इतना बड़ा पाप

बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्तों को प्रसाद मिला था उसमें जानवर की चर्बी वाला घी इस्तेमाल किया जाता था। जांच रिपोर्ट में पता चला कि घी में गोमांस, सूअर की चर्बी और मछली का तेल मिला हुआ था। सनातन धर्म में गोमांस वर्जित है। ऐसे में धोखे में उन्हें गोमांस और सूअर की चर्बी वाला प्रसाद खिलाया गया। दक्षिण के इतने बड़े मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर को चढ़ने वाले प्रसाद के साथ इतना घिनौना काम बर्दाश्त के बाहर है।

1857 की क्रांति याद दिला रहे

सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर हलचल काफी देखी जा रही है। कुछ लोग इसके खिलाफ मुखर होकर सामने आ रहे हैं तो कुछ लोग इसको छोड़कर अब आगे बढ़ने की बात कह रहे हैं। वहीं कई भारतीयों में देखे जा रहे बदलाव की भी बात कर रहे हैं। एक वो भी भारत था जब 1857 में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंग छेड़ दी थी। अंग्रेजों ने भारत के अस्तित्व को मिटाने के लिए हिन्दुओं की आस्था पर प्रहार किया और सिपाहियों को सूअर और गोमांस की चर्बी वाली कारतूस खोलने को दी। हिन्दुओं ने तब साफ़ इंकार कर दिया और अंग्रेजों के खिलाफ हल्ला बोल दिया।

धर्म की रक्षा के लिए उठेंगे सनातनी

सन 1857 का विद्रोह भारत के स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई कही जाती है। वह पहली बार था जब भारतीयों ने धर्म की रक्षा के लिए हथियार उठा लिए थे। बिहार-बंगला-मेरठ और दिल्ली तक में अंग्रेजों के खिलाफ साजिश की जाने लगी। वहीं आज इतनी बड़ी घटना सामने आने के बाद फिर से साधु-संत हिन्दुओं को अपने धर्म की रक्षा करने का आव्हान कर रहे हैं। दक्षिण में सनातन धर्म रक्षा बोर्ड बनाने की मांग उठी है। इसे भी जरूर देखें –

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