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थायराइड के लिए यह योग किसी औषधि से कम नही, यह योग सुबह ख़ाली पेट करे

थायराइड के लिए यह योग किसी औषधि से कम नही, यह योग सुबह ख़ाली पेट करे
थायराइड के लिए यह योग किसी औषधि से कम नही, यह योग सुबह ख़ाली पेट करे


थाइराइड ग्रंथि सामान्य परिचय :

  • तितली के आकार की थॉयराइड ग्रंथि गले में पायी जाती है।यह ऊर्जा और पाचन की मुख्य ग्रंथि है, यह मास्टर लीवर है। थॉयराइड ग्रंथि की समस्या से ग्रस्त लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, खानपान में अनियमिता के कारण यह समस्या होती है। थॉयराइड ग्रंथि तितली के आकार की होती है जो गले में पाई जाती है। यह ग्रंथि उर्जा और पाचन की मुख्य ग्रंथि है। यह एक तरह के मास्टर लीवर की तरह है जो ऐसे जीन्स का स्राव करती है जिससे कोशिकाएं अपना कार्य ठीक प्रकार से करती हैं। इस ग्रंथि के सही तरीके से काम न कर पाने के कारण कई तरह की समस्यायें होती हैं। अखरोट इस बीमारी के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लेख में विस्तार से जानें थॉयराइड फंक्शन और इसके उपचार के लिए अखरोट के सेवन के बारे में। 

 क्या है थाइराइड समस्या :

  • थॉयराइड को साइलेंट किलर माना जाता है, क्योंकि इसके लक्षण व्यक्ति को धीरे-धीरे पता चलते हैं और जब इस बीमारी का निदान होता है तब तक देर हो चुकी होती है। इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से इसकी शुरुआत होती है लेकिन ज्यादातर चिकित्सक एंटी बॉडी टेस्ट नहीं करते हैं जिससे ऑटो-इम्युनिटी दिखाई देती है।

थाइराइड की समस्या दो प्रकार की होती है :

  • हाइपोथॉयराइडिज्म और हाइपरथॉयराइडिज्म। थॉयराइड ग्रंन्थि से अधिक हॉर्मोन बनने लगे तो हाइपरथॉयरॉइडिज्म और कम बनने लगे तो हाइपोथायरॉइडिज्म होता है। थॉयराइड की समस्या होने पर थकान, आलस, कब्ज का होना, चिड़चिड़ापन, अत्यधिक ठंड लगना, भूलने की समस्या, वजन कम होना, तनाव और अवसाद जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
  • थाइरॉइड हमारे शरीर की कार्यपद्धति मे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर में होने वाली मेटाबॉलिज्म क्रियाओं में थाइरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले थाइरॉक्सिन हार्मोन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मेटाबालिज्म क्रियाओं से ये निर्धारित होता है कि शरीर में बनी ऊर्जा को कब स्टोर किया जाए और कब व कितना यूज किया जाए। इसीलिए शरीर में उपस्थित थाइरॉइड ग्लैंड में किसी भी तरह की अनियमितता होने पर पूरे शरीर की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। इस ग्र्रंथि में अनियमितता होने पर सामान्यत: हाइपोथाइरॉइडिज्म, हाइपरथाइरॉइडिज्म, गठान होन या कैंसर होने जैसी समस्याएं होती है। अगर आपके साथ भी थाइरॉइड की ग्रंथि की अनियमितता से जुड़ी कोई समस्या हो तो नीचे लिखे प्राकृतिक उपायों को अपनाएं। 

थाइराइड में अनियमितता के लक्षण :

  1. हार्मोनल बदलाव- महिलाओं को पीरियड्स के दौरान थाइरॉइड की स्थिति में पेट में दर्द अधिक रहता है वहीं हाइपरथाइरॉइड में अनियमित पीरियड्स रहते हैं। थाइरॉइड की स्थिति में गर्भ धारण करने में भी दिक्कत हो सकती है।
  2. मोटापा- हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में अक्सर तेजी से वजन बढ़ता है। इतना ही नहीं शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ जाता है। वहीं हाइपरथाइरॉइड में कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम हो जाता है।
  3. थकान, अवसाद या घबराहट- अगर बिना अधिक मेहनत करने के बाद भी आप थकान महसूस करते हैं या छोटी-छोटी बातों पर घबराहट होती है तो इसकी वजह थाइरॉइड हो सकती है।
  4. मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द- हाइपोथाइरॉडड यानी शरीर में टीएसएच अधिक और टी3,टी4 कम होने पर मांसपेशियों में जोड़ों में अक्सर दर्द रहता है।
  5. गर्दन में सूजन- थाइरॉइड बढऩे पर गर्दन में सूजन की संभावना बढ़ जाती है। गर्दन में सूजन या भारीपन का एहसास हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
  6. बालों और त्वचा की समस्या- खासतौर पर हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में त्वचा में रूखापन, बालों का झडऩा, भौंहों के बालों का झडऩा जैसी समस्याएं होती हैं जबकि हाइपरथाइरॉइड में बालों का तेजी से झडऩा और संवेदनशील त्वचा जैले लक्षण दिखते हैं।
  7. पेट खराब होना- लंबे समय तक कान्सटिपेशन की समस्या हाइपोथाइरॉइड में होती है जबकि हाइपरथाइरॉइड में डायरिया की दिक्कत बार-बार होती है। 

थायराइड के लिए योग

  • थायराइड (Thyroid) की योग चिकित्सा के लिए आप सबसे पहले किसी जानकार योगाचार्य से सम्पर्क करे और कुछ दिन उनके सानिध्य में रह कर सभी प्रणायाम को सही तरीके से सीख ले फिर आप इसे स्वयं भी कर सकते है.
  • यदि आप इन बताये गए प्रणायाम का विधिवत प्रयोग करते है तो यकीन जानिये कि थायरायड (Thyroid) से आपको अवश्य मुक्ति मिल जायेगी ये सभी प्राणायाम प्रातः नित्यकर्म से निवृत्त होकर खाली पेट ही करें

 

कौन से योग का सहारा ले : 

  1.  उज्जायी प्राणायामसबसे पहले आप पद्मासन या सुखासन में बैठकर आँखें बंद कर लें और अपनी जिह्वा को तालू से सटा दें अब कंठ से श्वास को इस प्रकार खींचे कि गले से ध्वनि व् कम्पन उत्पन्न होने लगे-इस प्राणायाम को दस से बढाकर बीस बार तक प्रति-दिन करें–
  2. नाड़ीशोधन प्राणायामकमर-गर्दन सीधी रखकर एक नाक से धीरे-धीरे लंबी गहरी श्वास लेकर दूसरे स्वर से निकालें फिर उसी स्वर से श्वास लेकर दूसरी नाक से छोड़ें आप 10 बार यह प्रक्रिया करें.
  3. ध्यानयोगइसमें आप आँखें बंद कर मन को सामान्य श्वास-प्रश्वास पर ध्यान करते हुए मन में श्वास भीतर आने पर ‘सो’ और श्वास बाहर निकालते समय ‘हम’ का विचार 5 से 10 मिनट करें-
  4. ब्रह्ममुद्रा: वज्रासन में या कमर सीधी रखकर बैठें और गर्दन को 10 बार ऊपर-नीचे चलाएँ- दाएँ-बाएँ 10 बार चलाएँ और 10 बार सीधे-उल्टे घुमाएँ
  5. मांजरासन: चौपाये की तरह होकर गर्दन-कमर ऊपर-नीचे 10 बार चलाना चाहिए
  6. उष्ट्रासन: घुटनों पर खड़े होकर पीछे झुकते हुए एड़ियों को दोनों हाथों से पकड़कर गर्दन पीछे झुकाएँ और पेट को आगे की तरफ उठाएँ इस तरह 10-15 श्वास-प्रश्वास करें
  7. शशकासन: वज्रासन में बैठकर सामने झुककर 10-15 बार श्वास -प्रश्वास करें
  8. मत्स्यासन: वज्रासन या पद्मासन में बैठकर कोहनियों की मदद से पीछे झुककर गर्दन लटकाते हुए सिर के ऊपरी हिस्से को जमीन से स्पर्श करें और 10-15 श्वास-प्रश्वास करें
  9. सर्वांगासन: पीठ के बल लेटकर हाथों की मदद से पैर उठाते हुए शरीर को काँधों पर रोकें इस तरह 10-15 श्वास-प्रश्वास करें
  10. भुजंगासन: पीठ के बल लेटकर हथेलियाँ कंधों के नीचे जमाकर नाभि तक उठाकर 10- 15 श्वास-प्रश्वास करें.
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