जैसी करनी, वैसी भरनी। ये कहावत आप लोगों ने कई बार सुनी होगी। इसका अर्थ है कि आप दूसरों के साथ जैसा कर्म करोगे, आपके साथ भी वैसा ही होगा। यदि आप दूसरों का भला करोगे तो भगवान आपका भी भला करेगा। वहीं दूसरों के साथ बुरा करने पर आपके साथ भी बुरा होगा। चलिए इस बात को एक दिलचस्प कहानी से समझते हैं।
जब दुकानदार को मिला बुरे कर्मों का फल
एक गांव में एक किसान रहता था। किसान बड़ा मेहनती, सिंपल और ईमानदार था। वह खेती के साथ-साथ मक्खन बेचने का काम भी करता था। एक बार किसान एक व्यापारी की दुकान पर कुछ सामान खरीदने गया। यहां व्यापारी की नजर किसान के मक्खन पर पड़ी। उसने जब मक्खन चखा तो उसे बहुत पसंद आया। व्यापार किसान से बोला कि तुम रोज एक किलो मक्खन मुझे दे जाना।
व्यापारी की बात सुन किसान बहुत खुश हुआ। उसने सोचा कि अब मुझे रोज मक्खन बेचने की टेंशन नहीं है। व्यापारी अपनी दुकान पर ही बेच देगा। किसान ने व्यापारी की दुकान से कुछ सामान और एक किलो गुड़ लिया और चला गया। अब अगले दिन से किसान रोज व्यापारी की दुकान पर एक किलो मक्खन भिजवाने लगा।
कई दिनों तक यह घटनाक्रम चलता रहा। फिर एक दिन दुकानदार ने किसान का दिया मक्खन तोला तो वह सिर्फ 900 ग्राम निकला। यह देख दुकानदार को बेहद गुस्सा आया। उसने सोचा कि किसान इतने दिनों से मुझे धोखा दे रहा था। वह पैसे तो एक किलो मक्खन के लेता था लेकिन मुझे सिर्फ 900 ग्राम ही पकड़ा जाता था।
गुस्से में आग बगुला हुए व्यापारी ने किसान को अपनी दुकान पर बुलाया। वह किसान पर काम मक्खन देने को भड़कने लगा। इस पर किसान ने कहा कि मेरे पास तोलने कोई कोई बाट नहीं है। उस दिन आपकी ही दुकान से एक किलो गुड़ खरीदा था। बस उसी को बाट बनाकर मैं रोज तोलकर मक्खन आपके पास लाता हूं।
यह बात सुनते ही दुकानदार शर्मिंदा हो गया। उसे समझ आ गया कि वह खुद गलत काम कर रहा था। लोगों को कम गुड़ बेच रहा था। फिर उसे समझ आया कि ये उसे उसके ही कर्मों की सजा मिली है। इसलिए तो भैया कहते हैं “जैसी करनी वैसी भरनी।” उम्मीद है कि आपको इस कहानी से सीख मिली होगी। अब आप भी दूसरों के साथ कोई बुरा काम करने से पहले दस बार सोच लेना। कहीं भविष्य में आपके साथ भी कुछ बुरा न हो जाए। इसे भी जरूर पढ़ें –