नई दिल्ली। जुवेनाइल ड्राइविंग यानी अवयस्क बच्चों के वाहन के मुद्दे पर ध्यान देते हुए केंद्र सरकार ने ऐसे वाहनों की अधिकतम गति सीमा 25 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित करने का फैसला किया है। मोटर वाहन कानून में बड़े पैमाने पर परिवर्तन कर रहे सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इन वाहनों की इंजन क्षमता 50 सीसी और मोटर पावर अधिकतम 1500 वाट निर्धारित करने का भी फैसला किया है।
शीतकालीन सत्र में पेश होंगे विधेयक
मंत्रालय ने मौजूदा कानून में 67 संशोधन प्रस्तावित किए हैं, जिन पर लोग 15 अक्टूबर तक अपने सुझाव दे सकते हैं। इन संशोधनों से संबंधित विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। संशोधन के प्रस्ताव में कहा गया है कि 16 वर्ष पूरी कर चुके किशोर-किशोरी विशुद्ध इलेक्टि्रक दोपहिया वाहन सार्वजनिक स्थानों पर चला सकते हैं, बशर्तें उनमें डिजाइन स्पीड लिमिट और इंजन-पावर क्षमता की सीमा का ध्यान रखा गया हो। 18 वर्ष से कम आयु का कोई व्यक्ति इनके अतिरिक्त कोई अन्य वाहन नहीं चला सकता।
18 वर्ष से कम आयु वालों को नहीं मिलेगा लर्नर लाइसेंस
मंत्रालय इसके पहले राज्यों से इन वाहनों पर विशेष ध्यान देने की अपेक्षा भी कर चुका है, क्योंकि उसे लगातार यह शिकायतें मिल रही हैं कि तमाम ऐसे वाहन बिक रहे हैं जिनकी इंजन क्षमता भी मानक से अधिक है और डिजाइन स्पीड भी। जुवेनाइल ड्राइविंग पर ही और अधिक ध्यान देते हुए मंत्रालय ने यह नियम भी प्रस्तावित किया है कि सामान्य परिस्थितियों में 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को आटोमैटिक गियर वाले वाहन का लर्नर लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा। केवल उसके अभिभावक की लिखित सहमति के बाद ही उसे लर्नर लाइसेंस जारी किया जा सकता है।
रफ्तार पर सख्ती
हल्के मोटर वाहनों की एक नई श्रेणी बनाने के साथ ही मध्यम भार और यात्री वाहनों तथा भारी भार और यात्री वाहनों के ड्राइवरों पर गति सीमा के उल्लंघन पर न्यूनतम दो हजार और अधिकतम चार हजार रुपये जुर्माना किया जाएगा। अगर-अगर यह गलती दोहराई जाती है तो ऐसे ड्राइवरों का लाइसेंस जब्त भी किया जा सकता है।