दुनिया के कई देश अवैध शरणार्थियों के संकट से गुजर रहे हैं। वहीं अब अवैध शरणार्थी संकट को समाप्त करने के लिए, डच सरकार ने नए सख्त आव्रजन विरोधी उपायों को लागू करने की योजना बनाई है।
जो यूरोपीय संघ में सबसे सख्त उपायों में से एक है, जिसका उद्देश्य शरणार्थियों के प्रवाह को रोकना है। सत्तारूढ़ गठबंधन के एक कार्यक्रम में शुक्रवार (13 सितंबर) को घोषित की गई योजनाओं में सख्त सीमा जांच, उपद्रवियों के लिए जैसे को तैसा दंड, परिवार के पुनर्मिलन पर प्रतिबंध जो वयस्क बच्चों को उनके माता-पिता से मिलने से रोकेगा, और निर्वासन पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।
डच सरकार ने की शरणार्थी आपातकाल की घोषणा
बता दें कि, मार्जोलिन फेबर ने एक वीडियो संदेश में कहा कि मैं अब तक की सबसे सख्त शरण नीति का लक्ष्य बना रही हूँ। उन्होंने इस निर्णय के पीछे अवैध शरणार्थियों के कारण देश के लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयों, आवास, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा प्राप्त करने में उनकी कठिनाइयों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि योजना कानूनी रूप से शरण संकट की घोषणा करने की है। जो मुझे इससे निपटने के लिए उपाय करने की अनुमति देगा। इस तरह के आपातकालीन कानून से सरकार को संसद की मंजूरी का इंतजार किए बिना निर्णय लेने की अनुमति मिलेगी।
सरकारी कार्यक्रम में कहा गया है कि नीदरलैंड को यूरोपीय संघ में सबसे सख्त प्रवेश नियमों वाले सदस्य राज्यों की श्रेणी में शामिल होना चाहिए। वहीं, डच प्रधानमंत्री डिक शूफ ने शुक्रवार को कहा कि सरकार यूरोपीय आयोग से ईयू की शरण और प्रवास नीतियों से बाहर निकलने के लिए कहेगी और यह अनुरोध अगले सप्ताह ब्रुसेल्स को भेजा जाएगा।
विपक्ष ने की सरकार की आलोचना
बता दें कि, विपक्षी सदस्यों ने पहले ही फेबर की योजना की आलोचना करते हुए इसे लोकतंत्र विरोधी बताया है। डच काउंसिल फॉर रिफ्यूजीज ने गुरुवार को कहा कि वह गहरी चिंतामें है कि शरणार्थियों को इन उपायों के लिए बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। साथ ही संगठन ने तर्क दिया कि फोर्स मैज्योर क्लॉज युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं के लिए हैं। जबकि देश की शरण समस्याएँ राजनीतिक विकल्पों का परिणाम हैं। संगठन ने कहा कि नीदरलैंड में शरणार्थियों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बहुत अधिक नहीं है। वहीं माना जा रहा है कि शरणार्थी आपातकाल के बाद शरणार्थियों को देश से बाहर निकाला जाएगा। जिनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं। इसे भी जरूर देखें –