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न फल देता है न लकड़ी, ऊंचाई 2 फीट, फिर भी करोड़ों में बिकता है यह पेड़, इतना महंगा होने का क्या है कारण?

न फल देता है न लकड़ी, ऊंचाई 2 फीट, फिर भी करोड़ों में बिकता है यह पेड़, इतना महंगा होने का क्या है कारण?
न फल देता है न लकड़ी, ऊंचाई 2 फीट, फिर भी करोड़ों में बिकता है यह पेड़, इतना महंगा होने का क्या है कारण?

नई दिल्ली. महंगी लकड़ी के तौर पर लोग अफ्रीकन ब्लैकवुड, चंदन या सागौन को जानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. दुनिया का सबसे महंगा पेड़ कौन-सा है. इसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होगी. इसकी कीमत आपके अंदाजे से कई गुना ज्यादा है. ज्यादातर लोग बिना गूगल इस सवाल का जवाब नहीं दे पाएंगे. अफ्रीकन ब्लैकवुड की कीमत करोड़ों में होती है. हालांकि, यह इकलौता पेड़ नहीं है जो करोड़ों रुपये में बिकता है. बल्कि इससे काफी छोटा एक और पेड़ है जो 10 करोड़ रुपये से भी अधिक में बिक चुका है. यह पेड़ जितना पुराना होता जाता है उसकी कीमत उतनी ही बढ़ती चली जाती है. हम बात कर रहे हैं जापना के बोनसाई पेड़ (Japanese Bonsai Tree) की. यह पेड़ आपको कुछ हजार से लेकर करोड़ों रुपये में मिलता है.

अभी तक सबसे महंगा बोनसाई पेड़ जापान के ताकामात्सु में 13 लाख डॉलर या 10.74 करोड़ रुपये में बिका है. यह जापानी वाईट पाइन है. बोनसाई ट्री एक छोटे से बर्तन में उगाया जा सकता है. इसकी ऊंचाई 2 फीट तक जाती है. आज भी आपको 300-400 साल पुराने बोनसाई पेड़ देखने को मिल जाएंगे. इन पुराने पेड़ों की ग्रोथ को देखकर आप खुद भी इनकी लंबी आयु का अंदाजा लगा सकते हैं. लेकिन इतने साल जिंदा रहने के बावजूद यह बहुत कम एरिया में अपनी जड़े व टहनियां फैलाते हैं. इसलिए यह घर में सजाने के लिए कुछ सबसे उत्कृष्ठ सामग्रियों में से एक माने जाते हैं. आप एक छोटे और एकदम नए बोनसाई ट्री को 1000-2000 रुपये में भी खरीद सकते हैं.

क्यों होता है इतना महंगा?
यह पेड़ ना आपको कोई फल देता है और ना ही इसकी लकड़ी अफ्रीकन ब्लैकवुड की तरह काटकर फर्नीचर या वाद्य यंत्र वगैरह बनाने में इस्तेमाल की जा सकती है. इसके बावजूद यह इतना महंगा क्यों होता है, इस सवाल का जवाब कई लोग तलाशते हैं. दरअसल, बोनसाई को पेड़ की तरह नहीं बल्कि किसी आर्ट की तरह देखा जाता है. इसे आप एक बहुत महंगी पेंटिंग समझ सकते हैं. बोनसाई उगाने वाले लोग बताते हैं कि ये एक कला है जिसमें आपको निपुण होने के लिए कई सालों की मेहनत लगती है. इस पेड़ को एक पॉट में ही समेट देने के लिए लगातार उसकी कटाई-छंटाई, वायरिंग, दूसरे पॉट में बदलने व ग्राफ्टिंग की जरूरत पड़ती है. अगर कई बोनसाई ट्री एक साथ एक जगह पर रखें जाएं तो यह एक बौने जंगल जैसा नजारा तैयार कर देते हैं. जिस तरह एक बड़े आर्टिस्ट की पेंटिंग का रीयल लाइफ में कोई एप्लीकेशन नहीं होता और फिर वह करोड़ों में बिकती है. ठीक उसी तरह बोनसाई ट्री भी शताब्दियों पुराना आर्ट है जिसकी कीमत कितनी भी हो सकती है.

कितने पुराने हैं बोनसाई ट्री
जैसा की हमने कहा कि बोनसाई ट्री जितना पुराना होता जाता है उसकी कीमत उतनी बढ़ती जाती है. बेशक उसके डिजाइन पर भी कुछ कीमत निर्भर करती है. दुनियाभर में आज सैकड़ों साल पुराने बोनसाई ट्री मौजूद हैं. बिजनेस इनसाइडर की एक स्टोरी के अनुसार, 800 साल पुराना बोनसाई ट्री भी मौजूद है. आपको बता दें कि यह कला चीन से उत्पन्न हुई थी. हालांकि, यह प्रसिद्ध जापान से हुई.

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