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पाकिस्तान के इन दो हिंदू क्रिकेटरों की कहानी बहुत ही अजीब है, एक ने बदला धर्म तो दूसरे ने छोड़ा देश

पाकिस्तान के इन दो हिंदू क्रिकेटरों की कहानी बहुत ही अजीब है, एक ने बदला धर्म तो दूसरे ने छोड़ा देश

एक क्रिकेट टीम में हर धर्म या जाति के सदस्य होते हैं, जो एक साथ मिल कर अपनी टीम को जिताने के लिये योगदान देते हैं। वहीं, कई बार टीम के भीतर मतभेज और भेदभाव की खबरें भी सामने आयी हैं। पाकिस्तान क्रिकेट टीम में दो हिंदु क्रिकेटरों को लेकर उनके साथ दुर्व्यवहार करने और बातें सुनाने के मामले भी सामने आये हैं।

पाकिस्तान के इन दो हिंदू क्रिकेटरों की कहानी बहुत ही अजीब है, एक ने बदला धर्म तो दूसरे ने छोड़ा देश

पाकिस्तान के पूर्व स्पिनर दानिश कनेरिया और उनके मामा भाई अनिल दल्पत के साथ टीम के सदस्यों द्वारा दुर्व्यवहार और यहां तक कि धर्म परिवर्तन तक की बात कहने के मामले सामने आ चुके हैं। अपने मामा अनिल दलपत के बाद पाकिस्तान के लिए खेलने वाले दूसरे हिंदू खिलाड़ी कनेरिया ने 61 टेस्ट में 34.79 की औसत से 261 विकेट लिए। हालांकि, उन्होंने 2000 और 2010 के बीच केवल 18 एकदिवसीय मैच खेले।

कनेरिया से जब पूछा गया कि क्या वह धार्मिक भेदभाव के शिकार हैं तो उन्होंने कहा था कि “अपने धर्म से परे, शाहीद अफरीदी के भेदभावपूर्ण व्यवहार के पीछे के कारण के बारे में सोचना उनके लिए मुश्किल था। वह हमेशा मेरे खिलाफ थे, जब हम घरेलू क्रिकेट में एक ही विभाग के लिए खेल रहे थे या मुझे एकदिवसीय मैचों में खेल रहे थे। यदि कोई व्यक्ति हमेशा आपके खिलाफ है और आप उस स्थिति में हैं, तो इसके (धर्म) अलावा और क्या कारण सोचेंगे।

कनेरिया ने एक बाल ये भी कहा था कि कि अगर अफरीदी नहीं होते तो वह 18 से अधिक एकदिवसीय मैच खेल सकते थे। दानिश ने कहा कि अफरीदी दूसरों का समर्थन करते थे, लेकिन उनका नहीं। कनेरिया ने कहा कि वह एकदिवसीय टीम के नियमित सदस्य हुआ करते थे, लेकिन मुश्किल से ही खेलते थे। इसके लिए उन्होंने अफरीदी को दोषी ठहराया।

कनेरिया, जिन्हें 2009 में डरहम के खिलाफ इंग्लिश काउंटी एसेक्स के लिए खेलते समय मर्विन वेस्टफील्ड के साथ स्पॉट फिक्सिंग का दोषी पाया गया था, लंबे समय से पीसीबी की मदद की गुहार लगा रहे हैं। वह पीसीबी के पाले में वापस आना चाहते हैं और फिर से खेल की सेवा करना चाहते हैं। कनेरिया इंजमाम उल हक की कप्तानी में सबसे ज्यादा खेले हैं। उन्होंने कहा कि इंजमाम और यूनिस खान ने उन्हें सबसे ज्यादा सपोर्ट किया।

वहीं, अगर बात करें कनेरिया के मामा विकेटकीपर-बल्लेबाज  अनिल दल्पत की, तो वे पाकिस्तान की ओर से इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाले पहले हिन्दू क्रिकेटर थे। मार्च 1984 में उन्होंने पाकिस्तान के लिये पहला इंटरनेशनल मैच खेला था। उन्होंने 9 टेस्ट में 167 और 15 वनडे में 87 रन बनाए। अनिल दल्पत ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट के 137 मैच में 9 अर्धशतक के साथ 2,556 रन बनाए। खेल से संन्यास लेने के बाद उन्होंने पाकिस्तान छोड़ दिया और कनाडा में बस गए।

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