कोलकाता में रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए पीडि़ता के पिता ने कहा कि मुख्यमंत्री मेरी बेटी के लिए न्याय की मांग करते हुए सड़कों पर घूम-घूम कर लंबी-लंबी बातें करती हैं। वहीं दूसरी तरफ वह इस घटना के खिलाफ जनता के गुस्से को दबाने का प्रयास करती हैं। वह दोहरापन क्यों अपना रही हैं? क्या वह लोगों से डरती हैं? हमारे पास ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब चाहिए। बता दें कि नौ अगस्त को अस्पताल के सेमिनार हाल से प्रशिक्षु डाक्टर का शव मिला था। उसके शरीर के कई जगहों पर गंभीर चोट के निशान थे।
24 अगस्त तक निषेधाज्ञा लागू
दरअसल, कोलकाता पुलिस ने सरकारी आरजी कर मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के पास रविवार 18 अगस्त से 24 अगस्त तक निषेधाज्ञा लागू की है, जिसके तहत पांच से अधिक लोगों के एकसाथ होने और सभा करने पर प्रतिबंध होगा।
अपनी लड़कियों की सुरक्षा के बारे में सोचें
इस बीच पीड़िता की मां ने खासकर कन्याश्री और लक्ष्मी भंडार जैसी सरकारी जनकल्याण योजनाओं का लाभ उठाने वालों को आगाह किया कि उन्हें इस तरह के लाभ लेने से पहले अपनी लड़कियों की सुरक्षा के बारे में दो बार सोचना चाहिए।
मृतका की मां ने कहा कि उन्हें इस मामले में ममता बनर्जी की ओर से कोई सहयोग नहीं मिला। उन्होंने न्याय की अपनी मांग भी दोहराई और कहा कि तभी वह राज्य सरकार से वित्तीय मुआवजा स्वीकार करेंगी। उन्होंने इस मामले में ममता बनर्जी की भूमिका पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मामले को रफा-दफा करना चाहती थीं। मामला जितनी जल्द निपट जाए। इसीलिए उनकी पुत्री के शव आनन-फानन जला दिया गया।
मृत डाक्टर के पिता ने यहां तक दावा किया कि जब वे लोग शमशान घाट पहुंचे तो पहले से तीन शव कतार में थे, लेकिन उनकी पुत्री के शव को पहले जला दिया गया। उन्होंने संदेह जताया कि उनकी पुत्री की हत्या के पीछे अस्पताल का गिरोह शामिल है।
अस्पताल की करतूतों का पर्दाफाश किए जाने का संदेह
मृतका के पिता ने कहा है कि उनकी बेटी रोजाना डायरी लिखती थी। उन्हें संदेह है कि उनकी बेटी ने अपनी डायरी में अस्पताल के बड़े गिरोह की काली करतूतों के बारे में लिखा है। डायरी फिलहाल सीबीआइ के कब्जे में है, जो वारदात स्थल से बरामद हुई थी। डायरी के कुछ पन्ने फाड़े जाने की भी बात सामने आई है। इसके अलावा उन्होंने यह भी दावा किया कि अस्पताल में उनकी बेटी पर बहुत दबाव था। वह काम ठीक से नहीं कर पाती थी। इसे भी जरूर पढ़ें –