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भारत का अनोखा गांव, जहां हर घर में होती हैं दो शादियां, वजह जानकार सिर पकड़ लेंगे आप

भारत का अनोखा गांव, जहां हर घर में होती हैं दो शादियां, वजह जानकार सिर पकड़ लेंगे आप
भारत का अनोखा गांव, जहां हर घर में होती हैं दो शादियां, वजह जानकार सिर पकड़ लेंगे आप

Jaisalmer : हमारे देश के हर गांव की खास रीति-रिवाज और मान्यताओं के बारे में जाना जाता है. कुछ गांव ऐसे भी है जिन्हें देखकर कई लोग हैरान हो सकते हैं. ऐसा ही एक गांव है राजस्थान का सबसे बड़ा शहर (Jaisalmer) जहां एक आदमी करता है दो शादियां. गांव के हर आदमी की दो पत्नियां हैं और इसकी वजह एक परंपरा है, जिसे लोग सांझ से निभाते आ रहे हैं. ये अनोखी परंपरा दशकों से चली आ रही है. भारत में हिंदू विवाह अधिनियम के, जहां हिंदू समुदाय में बहुविवाह और बहुपतित्व विवाह पर प्रतिबंध है, वहीं इस गांव में आठवीं पुरानी परंपरा के कारण एक आदमी की दो शादियां होती हैं.

Jaisalmer के इस गांव में लोग करते हैं दो शादियाँ

दरअसल राजस्थान के जैसलमेर (Jaisalmer) जिले में रामदेयो की बस्ती कि यहाँ बात कि जा रही है. 600 परिवारों की आबादी वाला एक छोटा सा गाँव है. यहां के पुरुष एक ही घर में एक से ज्यादा लोगों के साथ रह रहे हैं. इससे भी ज्यादा चौकाने वाली बात यह है कि इनमें से किसी को भी आरक्षण और समान व्यवहार का आनंद लेने का अधिकार नहीं है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस गांव के लोगों का मानना ​​है कि किसी भी पुरुष की पहली पत्नी कभी भी गर्भवती नहीं हो सकती है और अगर होती भी है तो वह बेटे को नहीं बल्कि बेटी को जन्म देती है. इस कारण गांव में बेटी की संख्या में वृद्धि हुई है.

रामदेयो कि बस्ती के लोग निभाते है ये पंरम्परा

यही, कारण है कि जैसलमेर (Jaisalmer) में गांव के पुरुष दो शादियां करते हैं क्योंकि वे चाहते हैं कि उनके घर में बेटा पैदा हो. सीधे शब्दों में कहें तो दूसरी पत्नी ही उत्तराधिकारी के लिए जिम्मेदार होती है. गांव वालों का मानना ​​है कि दूसरी पत्नी से जन्म लेने वाली संतान पुत्र ही होती है, इसलिए दो विवाह करने की परंपरा आज भी है. हालाँकि वर्तमान की नई और पढ़ी-लिखी पीढ़ी इसे पूरी तरह से सही नहीं मानती है और ना ही इसमें पूरी तरह से विश्वास रखती है. गांव में बदलाव की शुरुआत तो हो जाती है, लेकिन पुराने और बुजुर्ग लोग आज भी अपनी-अपनी परंपरा पर कायम हैं.

इस वजह से करते हैं दूसरी शादी

इस परंपरा को लेकर जैसलमेर (Jaisalmer) के गांव वालों का कहना है कि उनकी पहली पत्नी के साथ शादी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. वहीं, कुछ का कहना है कि पहली पत्नी ने बेटी को जन्म दिया था और बेटे की चाह में दूसरी शादी की. ऐसे में सवाल है कि आखिर महिलाएं इस परंपरा पर क्यों नहीं कुछ कर पाती हैं. इस पर गांव वालों का कहना है, यहां पर मर्द दोनों बीवियों को युवाओं के अधिकार देते हैं और खुश रखते हैं, इसलिए महिलाओं को इस रीति-रिवाज से परेशानी नहीं होती. गांववालों का कहना है, यहां कभी-कभी दो बीवीयों के कारण परिवार में विवाद की स्थिति नहीं बनती.

दो पत्नियों के बावजूद घर में नहीं होता है कभी विवाद

परिवार में जन्म लेने वाले बच्चे को दोनों पत्नीयां ही देखभाल करती हैं. दोनों ही पत्नियां खुशी-खुशी साथ में रहती हैं. इसलिए इस परंपरा पर कभी सवाल नहीं उठाया गया. हालाँकि, अब नई पीढ़ी इस परंपरा से दूर बनी हुई है. इसलिए युवाओं में दो शादी करने के मामले ना के बराबर हैं. जैसलमेर (Jaisalmer) और बाड़मेर के कुछ युवाओं में दो शादी करने की यह परंपरा चलती है. हालांकि अब ऐसा काफी कम ही देखने को मिल रहा है और रामदेयो की बस्तियां जैसे कुछ ही इलाके में पुरानी पीढ़ी के लोग इस परंपरा को अपना रहे हैं.

नई पीढ़ी में खत्म होती जा रही ये पंरम्परा

जैसलमेर (Jaisalmer) में रहने वाले मजदूरों की दो-दो पटनियां हैं. यहाँ महिलाओं के पति उन्हें बराबर हक देते हैं इसलिए वे नाराज नहीं होती हैं. अपनी पत्नियों को खुश रखने की ज़िम्मेदारी उन पर है और पूरी हम प्रक्रिया में हैं. अभी तक किसी तरह का कोई बड़ा विवाद का मामला सामने नहीं आया है. बच्चे भी अपनी मां का पूरा ख्याल रखते हैं. महिलाएं खुद शांति से रहती हैं. इसे भी जरूर देखें –

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