परंपराओं, संस्कृति और आस्था वाले हमारे भारत देश में कई तरह की संस्कृति, सभ्यता, धर्म और जातियां एक साथ रहती हैं। ऐसे ही हमारी संस्कृति में नदियों को स्त्री, देवी और माता के रूप में पूजा जाता है। अगर आपने कभी गौर किया होगा तो आपको पता होगा कि हमारे देश में ज्यादातर नदियों के नाम स्त्रियों के नामों पर ही है।
गंगा, यमुना, कावेरी, सरस्वती, नर्मदा, क्षिप्रा, गोदावरी, इन सभी नामों से पता चलता है कि ये सभी स्त्री के नाम है। लेकिन इन सभी नामों के अलावा हमारे देश भारत में एक ऐसी नदी भी है जिसका नाम पुरुष नाम पर है। आपको बता दें कि इस नदी का नाम है ब्रह्मपुत्र नदी, ये स्त्रीलिंग न होकर पुल्लिंग है।
भारत की एकमात्र नदी है पुरुष
एक तरह से हम कह सकते हैं कि ये नदी नही बल्कि नर है, क्योंकि नदी का पुल्लिंग नर होता है। अब सबके मन में यह सवाल उठता होगा कि इस नदी का नाम एक पुरुष के नाम पर क्यों है? जहा बाकी की सभी नदियों के नाम स्त्री के नामों पर है, वही ब्रह्मपुत्र नदी का एक पुरूष के नाम पर होना एक रोचक बात है।
आप सभी लोग जानते ही होंगे कि हमारे भारत देश में ज्यादातर नदियों की उत्पत्ति को लेकर कोई न कोई कथा या फिर कहानी जुड़ी हुई है। ऐसे ही ब्रह्मपुत्र नदी के साथ भी एक दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है। हेरिटेज ऑफ इंडिया के द्वारा लिखे गए एक लेख के मुताबिक इस नदी की उत्पत्ति सृष्टि करता ब्रह्मा और ऋषि शांतनु की पत्नी अमोघा से जुड़ी हुई है।
इस लेख में बताया गया है कि ब्रह्माजी ऋषि शांतनु की पत्नी अमोघा पर मोहित हो गए थे। जब अमोघा को इस बात का पता चला तो उसने ब्रह्मा जी को स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया था। इसके बाद ब्रह्मा जी ने ऋषि शांतनु को बताया कि उनके और अमोघा के संगम से पैदा होने वाली संतान संसार के लिए बेहद लाभदायक होगी।
इसके बाद ऋषि शांतनु ने अपनी पत्नी अमोघा को ब्रह्मा जी के पास जाने को कहा, लेकिन अमोघा ने साफ मना कर दिया। ऐसे में ऋषि शांतनु ने अपनी शक्तियों का प्रयोग कर ब्रह्मा जी और अमोघा का संगम करवाया, जिसके बाद एक पुत्र का जन्म हुआ। इस पुत्र का नाम ब्रह्मकुंड रखा गया। इसके बाद ब्रह्मकुंड ही ब्रह्मपुत्र के नाम से प्रचलित हुई। यह भारत की प्रमुख नदियों में से एक है। यह तिब्बत, भारत और बांग्लादेश से होकर बहती है।