दरअसल एक शख्स ने खुद को मुर्दा दिखाने के लिए एक भिखारी को अपनी गाड़ी में बैठाकर आग लगा दी और उसे जान से मार दिया. इतना ही नहीं उसने भिखारी को अपने कपड़े भी पहनाए थे. मामला 17 वर्ष पुराना है और आगरा के रकाबगंज थाने के तहत आता है. इस मामले में अब पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है. अमर उजाला में छपी एक खबर में पुलिस के हवाले बताया गया कि 30 जुलाई 2006 को एक कार आगरा किले के सामने खंभे से टकरा गई थी.
पिता समेत कई लोगों ने हड़पे 60 लाख
गाड़ी में टक्कर लगने के बाद भयंकर आग लग गई थी और ड्राइविंग सीट पर बैठा शख्स जिंदा जल गया था. कार के नंबर की मदद से पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी और पता चला कि यह गाड़ी अनिल सिंह की है और उसकी इस हादसे में मौत हो गई है. अनिल सिंह एक ट्रेवल एजेंसी चलाता था ऐसे में उसका 60 लाख रुपये का बीमा हुआ था. पुलिस की छानबीन के बाद बीमे की रकम भी दे दी गई लेकिन अनिल सिंह इस हादसे में मरा नहीं था. उसने चालाकी से किसी और को मौत के हवाले किया था.
कैसे दिया घटना को अंजाम?
इस केस में अहमदाबाद पुलिस की भी एंट्री होती है और जब दोबारा जांच शुरू की जाती है तो हैरान कर देने वाला खुलासा होता है. दरअसल इस साजिश में खुद अनिल सिंह के पिता, चाचा अभय सिंह और रामवीर सिंह भी शामिल थे. पुलिस ने के मुताबिक अनिल और उसके साथियों ने मिलकर एक भिखारी को खाना खिलाने के मकसद से फुटपाथ से उठाया. पहले तो उन्होंने इस भिखारी को खाना खिलाया और फिर बेहोशी की दवाई देकर उसे बेहोश कर दिया. इसके बाद उसे कार की ड्राइविंग सीट पर बैठाकर घटना को अंजाम दे दिया गया.