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भूलकर भी नहीं करें इन पांच महिलाओं का अपमान, नहीं तो मां लक्ष्मी चली जाएंगी आपसे दूर….

भूलकर भी नहीं करें इन पांच महिलाओं का अपमान, नहीं तो मां लक्ष्मी चली जाएंगी आपसे दूर….
भूलकर भी नहीं करें इन पांच महिलाओं का अपमान, नहीं तो मां लक्ष्मी चली जाएंगी आपसे दूर….

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य मौर्य साम्राज्य के समकालीन थे और उन्हें राजनीति और शास्त्र में माहिर माना जाता है। वे एक प्रमुख गुप्त साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के मंत्री और सलाहकार थे और उनके सहयोग से मौर्य साम्राज्य की स्थापना हुई थी। 

उनकी नीतियों और उपदेशों को आज भी लोगों द्वारा मान्यता दी जाती है और वे एक महान राजनीतिक और धार्मिक विचारक के रूप में स्मरण किए जाते हैं। उनका योगदान भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है और उनके विचार आज भी सामाजिक और आर्थिक जीवन में प्रासंगिक हैं।

आचार्य चाणक्य नीति शास्त्र में महिलाओं के सम्मान और सेवा के महत्व को बढ़ावा देते हैं। उनके नीतिशास्त्र के चौथे अध्याय में वे पांच प्रकार की महिलाओं की सेवा के बारे में बताते हैं, 

जिनका अपमान या तिरस्कार आपके लिए बेहद दुखदायी हो सकता है। माता लक्ष्मी भी आपसे रुठ सकती हैं। इसलिए इन 5 महिलाओं का कभी भी अपमान ना करें

 मां
आचार्य चाणक्य माता-पिता को ईश्वर का रूप मानते है। उनका संदेश है कि माता-पिता की सेवा और सम्मान का दर्जा बहुत ऊंचा होता है। माता की सेवा करने से आपको स्वर्ग समान सुख के की प्राप्ती होगी। 

उनके प्रति निःस्वार्थी भावना बनाए रखें। जिससे आपकी ओर कभी कोई बुरी साया नहीं पड़ सकती है। संकट के हर बादल हट जाते हैं।

सास

आचार्य चाणक्य के अनुसार, सास का सम्मान और सेवा करना भी महत्वपूर्ण होता है। सास के सम्मान करने और उनकी सेवा करने से परिवार में सौहार्द और समरसता बनी रहती है

 और इससे सास-बहू के बीच संबंधों में भी सुधार होता है। आचार्य चाणक्य का संदेश यह है कि हर व्यक्ति को सभी महिलाओं के सम्मान और सेवा के प्रति सजग रहना चाहिए, चाहे वो पत्नी, सास, बहन या कोई और महिला हो।

मित्र की पत्नी

आचार्य चाणक्य के अनुसार, मित्र के साथ विश्वासी और ईमानदार रहना महत्वपूर्ण है। वे यह भी बताते हैं कि मित्र की पत्नी को भी मां के समान मानना चाहिए।

 उनके प्रति शिष्टाचार और स्नेह दिखाना चाहिए। मित्र के समृद्धि और समाज में सफलता के साथ ही उनकी पत्नी के साथ भी सही तरीके से संबंध बनाए रखना चाहिए। इससे मित्र के प्रति आदर और सजगता का संदेश मिलता है।

गुरु की पत्नी

आचार्य चाणक्य के अनुसार, गुरु का महत्व बहुत अधिक होता है और गुरु की पत्नी को भी मां के समान मानना चाहिए। वे यह भी बताते हैं कि गुरु की सेवा करके ही व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है। गुरु का सम्मान करना, उनकी सेवा करना विद्या और ज्ञान के प्रति आभार प्रकट करना होता है। इसलिए उनकी पत्नी को माता ही मानें।

राजा की पत्नी

आचार्य चाणक्य के विचार में राजा की पत्नी का सम्मान और सेवा करना महत्वपूर्ण होता है। उनका दृष्टिकोण महिलाओं के प्रति समर्थन और सम्मान की ओर है और वे समाज में महिलाओं के अधिकारों और मौलिकता की प्रतिष्ठा को बढ़ावा देने के पक्ष में थे।

 राजा की पत्नी को मां समान मानना और उनकी सेवा करना समाज में एक स्वस्थ और समृद्धि की ओर कदम बढ़ाता है। इससे सुख, शांति और सौभाग्य में वृद्धि होती है। माता लक्ष्मी भी हमेशा आपपर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती है।

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