नई दिल्ली. हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी. कल चुनाव परिणाम घोषित होगा. वोटिंग के बाद हुए एग्जिट पोल्स में हरियाणा में इस बार कांग्रेस की सरकार बनने का अनुमान लगाया गया है.
हरियाणा में 10 साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस ने इस बार अपनी सरकार बनाने को वोटरों से कई वादे किए. इनमें से 7 ऐसे चुनावी वादे भी हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए अच्छे-खासे बजट की जरूरत होगी. कांग्रेस ने बुजुर्गों, विधवा महिलाओं और दिव्यांग जनों को हर महीने 6 हजार रुपये पेंशन, 18 से 60 साल तक की उम्र की महिलाओं को 2 हजार रुपये महीना. हर घर को 300 यूनिट मुफ्त बिजली और सारी फसलों को एमएसपी पर खरीदने का वादा किया है. पार्टी ने एमएसपी गारंटी कानून बनाने का वादा किया भी किया है. एक मोटे अनुमान के अनुसार, कांग्रेस के इन वादों से करीब 30 हजार करोड़ रुपए सालाना का वित्तीय बोझ हरियाणा के खजाने पर पड़ेगा.
फरवरी में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कुल 1 लाख 89 हजार 876 करोड़ बजट पेश किया गया था. ऐसे में अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो बजट का लगभग 15% पैसा कांग्रेस सरकार को अपने इन वादों को निभाने पर ही खर्च करने होंगे. बजट में सरकार ने एसवाईएल के निर्माण के लिए भी 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. ऐसे में अगर हरियाणा में कांग्रेस सरकार बनती है और वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एसवाईएल का निर्माण करती है तो उसे मोटे फंड का जुगाड़ करना होगा. अगर कांग्रेस सरकार आती है, और इन वादों को पूरा करती है तो वह फंड का जुगाड़ कैसे और कहां से करेगी, के बारे में जानने से पहले आईये थोड़ा हरियाणा की आर्थिक स्थिति के बारे में जान लेते हैं.
हर साल बढ़ रहा है कर्ज
हरियाणा पर हर साल कर्ज बढ़ता जा रहा है. अब हरियाणा में प्रति व्यक्ति कर्ज करीब 1 लाख रुपये हो गया है. बजट 2024-25 पेश करते वक्त सरकार ने बताया था कि वित्त वर्ष 2024 में राज्य पर देनदारी 284864 रुपये थी, जिसके वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 317982 करोड़ होने का अनुमान जताया गया. राज्य की कुल आय का 31.17 फीसदी पैसा ऋण भुगतान में जाता है. वहीं सामाजिक सेवाओं पर 31.05 फीसदी पैसा खर्च होता है. फरवरी, 2024 में पेश किए गए बजट में पूंजीगत व्यय यानी विकास कार्यों के लिए 55420.25 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया था. जबकि वेतन-भत्ते समेत अन्य राजस्व व्यय पर 134456.36 करोड रुपये खर्च करने की बात कही गई थी. इस तरह कुल बजट का 70 फीसदी राजस्व और 29 फीसदी पैसा विकास पर खर्च होगा.
बजट में 2024-25 के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) 12,16,044 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया था. इसी तरह 2024-25 में व्यय (ऋण चुकौती को छोड़कर) 1,55,832 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया. 2024-25 के लिए सरकार को कुल प्राप्तियां (उधारियों को छोड़कर) 1,22,198 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो 2023-24 के संशोधित अनुमान की तुलना में 14.2% की वृद्धि दर्शाता है. इस तरह बजट 204-25 में राजस्व घाटा GSDP का 1.5% (17,817 करोड़ रुपये) होने का अनुमान लगाया गया. 2023-24 के संशोधित अनुमान में यह जीएसडीपी का 1.2% था. 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटा GSDP के 2.8% (33,635 करोड़ रुपये) पर लक्षित है. 2023-24 में राजकोषीय घाटा GSDP का 2.96% होने का अनुमान था, जो संशोधित आंकड़ों में घटकर जीएसडीपी का 2.80% (30,651 करोड़ रुपये) रह गया.
कांग्रेस की किस घोषणा पर कितना पैसा होगा खर्च
कांग्रेस ने 18 से 60 साल उम्र की महिलाओं को हर महीने 2000 रुपए देने की घोषणा की है. इस पर करीब 1440 करोड़ रुपए का सालाना खर्च आएगा. कांग्रेस ने 500 रुपए में महिलाओं को सिलेंडर देने का वादा किया है. अभी हरियाणा में करीब 46 लाख ऐसे परिवार हैं, जिन्हें सरकार 500 रुपए में घरेलू गैस का सिलेंडर दे रही है. इस पर भी सालाना खर्च 2 हजार 700 करोड़ रुपए होगा.
कांग्रेस सरकार बनने पर सामाजिक पेंशनों की राशि में बढोतरी करती है तो इससे सरकार के खजाने पर 10 हजार करोड़ रुपये का बोझ बढेगा. अगर सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करती है भी उसके लिए भी भारी भरकम खर्च करना होगा. हरियाणा में कांग्रेस ने 300 यूनिट फ्री बिजली का भी दांव चला है. प्रदेश में करीब 45 लाख घरेलू बिजली कनेक्शन हैं. जानकारों का कहना है कि कांग्रेस की इस घोषणा से हर साल 300 से 400 करोड़ रुपए का प्रदेश के खजाने पर बोझ पड़ेगा. अगर कांग्रेस एमएसपी गारंटी कानून बनाकर एमएसपी से नीचे फसल खरीदने पर पाबंदी लगा देगी तो उसके क्या परिणाम होंगे इसका आंकलन करना अभी बहुत मुश्किल है. व्यापारियों ने घाटे का सौदा समझकर फसल खरीदनी बंद कर दी तो सरकार के हाथ-पांव फूल जाएंगे, इसमें कोई शक नहीं है.
कहां से आएगा पैसा
अगर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनती है तो उसके लिए अपने वादों को पूरा करना कतई आसान नहीं होने वाला है. इसका कारण यह है कि हरियाणा पर हर साल कर्ज बढ़ता जा रहा है और राज्य की कुल आय का 31.17 फीसदी पैसा ऋण भुगतान में ही चला जाता है. एकदम से आय बढ़ोतरी का एक तरीका टैक्स बढ़ाना ही है. डीजल-पेट्रोल जैसे पदार्थों पर टैक्स वृद्धि सरकार कर सकती है. दूसरा तरीका यह है कि सरकार विकास कार्यों पर खर्च में कटौती कर वहां से बचे हुए पैसे का इस्तेमाल कांग्रेस सरकार अपने वादे पूरे करने पर करे. लेकिन, इन दोनों ही उपायों पर जनता की तीव्र प्रतिक्रिया सामने आएगी, यह तय है. टैक्स बढ़ाने से महंगाई में इजाफा होगा और अगर सड़क-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए कम पैसा आवंटित किया जाएगा तो लोगों को कठिनाइयां होंगी और सरकार की किरकिरी होगी.