मां की कोख से निकला एलियन जैसा बच्चा, आंखें और त्वचा देख डर गए परिजन, निकाल रहा अजीब आवाजें….

बरेली. उत्तर प्रदेश के बरेली में एक एलियन जैसे बच्चे का जन्म हुआ है. उसका रंग-रूप ऐसा है कि उसकी मां और परिजन तक उसे देखने में डर रहे हैं. अन्य लोगों को भी उसे देखने में घबराहट हो रही है. बच्चे का शरीर पूरी तरह सफेद है. उसकी त्वचा जगह-जगह से फटी हुई हैं. आंखें भी बड़ी-बड़ी हैं. अब यह बच्चा पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया है. डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे बच्चों को हार्लेक्विन इक्थियोसिस बेबी कहा जाता है. ये बच्चे जन्म से अजीबो-गरीब आवाजें निकालते हैं. ये बच्चे जन्म से 5 से 7 में मर जाते हैं. यह बच्चा तीन दिनों से जीवित है.

जानकारी के मुताबिक, थाना बहेड़ी क्षेत्र के एक गांव की महिला को कुछ दिनों पहले प्रसव पीड़ा हुई. उसका दर्द ज्यादा बढ़ा तो परिजन उसे लेकर सीएचसी अस्पताल पहुंचे. यहां 30 अगस्त की देर रात महिला ने नॉर्मल डिलीवरी से बच्चे को जन्म दिया. लेकिन, बच्चे को देखते ही मां और परिजनों के होश उड़ गए. वे डर गए. दरअसल, बच्चे का शरीर पूरी तरह सफेद था. उसकी त्वचा जगह-जगह से फटी हुई थी. उसकी आंखें भी बड़ी-बड़ी थीं. जन्म के बाद से ही बच्चा अजीब-अजीब तरह की आवाजें निकाल रहा था. देखने में बच्चा पूरी तरह एलियन लग रहा था.

डॉ ने बताई बच्चे के अजीब होने की वजह
इस बच्चे को लेकर डॉ. अतुल अग्रवाल ने कहा कि ऐसे जन्मे बच्चों को हार्लेक्विन इक्थियोसिस बेबी कहा जाता है. इस बीमारी में बच्चे के शरीर में तेल बनाने वाली ग्रंथियां न होने से त्वचा फटने लगती है. आंखों की पलकें पलटने की वजह से उसका चेहरा भयानक लगता है. पूरी दुनिया में ऐसे अब तक करीब ढाई सौ मामले ही सामने आए हैं. अक्सर जन्म के दौरान, कुछ घंटों बाद ही बच्चे की मौत हो जाती है. कुछ बच्चे पांच से सात दिन भी जीवित रह जाते हैं. फिलहाल आज तीसरे दिन भी बच्चा जीवित है.

परिजनों को डॉक्टरों ने दी ये जानकारी
डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे के परिजनों को बता दिया गया है कि वह दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है. वह ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहेगा. चूंकि, बच्चा तीन दिन बाद भी जिंदा है, इसिलए डॉक्टर उसकी और गहराई से जांच कर रहे हैं. डॉक्टरों ने उसकी स्किन बायोप्सी और केरिया टाइमिन जांच के लिए सैंपल लिया है. पूरी दुनिया में ऐसे अब तक करीब ढाई सौ मामले ही सामने आए हैं. अक्सर जन्म के दौरान या कुछ घंटों बाद ही बच्चे की मौत हो जाती है. कुछ बच्चे पांच से सात दिन भी जीवित रह जाते हैं.

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