इस समाज में स्त्री पुरूष के अलावा एक अन्य वर्ग भी है जिसे न तो पूरी तरह से पुरूष माना जाता है और न ही स्त्री। जिसे लोग हिजड़ा या फिर किन्नर के नाम से बुलाते हैं। इस जाति के बारे में लोगों को जानने की उत्सुकता हमेशा से रहती है। वैसे तो आपने अपने घरों के आसपास किसी ख़ुशी के मौके पर किन्नरों को नाचते तो देखा ही होगा। इतना ही नहीं आपने कई बार तो शादी-ब्याह या फिर बच्चे का मुंडन में भी इन्हें कहीं गाते-बजाते या फिर किसी ट्रेन में पैसे मांगते तो देखा ही होगा।
इनको देखकर कुछ सवाल ऐसे हैं जो सभी लोगों के ज़हन में आते हैं। जैसे कि यह कैसे रहते होंगे? किस वजह से ये ऐसे पैदा हुए? और इनकी शारीरिक इच्छाएं क्या होती होंगी। आखिर क्यों इनका जन्म किन्नर प्रजाति में ही हुआ, क्या ऐसा इनके मां-बाप में कमी के कारण होता है? आमतौर पर हर त्योहार और जश्न के मौकों पर जिस तरह हर धर्म समुदाय के लोग आपस में मिलते है उस तरह किन्नर हर मौके पर नही आते। किन्नर सिर्फ खास मौकों पर ही आते है।
किन्नरों का समाज के रहन सहन जीने का तौर तरीके सब कुछ एकदम अलग है। किन्नरों का जन्म आज भी समाज के बीच एक रहस्य बना हुआ है, उनके जन्म से जुडी होती है इनकी पहचान, लैंगिक रूप से नर और नारी के बीच होते है किन्नर। देखा जाए तो शारीरिक रूप से नर होते है किन्नर लेकिन कुछ स्त्री भी होती है। लेकिन आज तक यह पता नहीं लगाया जा सका है कि आखिरकार किन्नरों का जन्म क्यों होता है। अगर बात करें ज्योतिष शास्त्र और पुराणों की तो किन्नरों के जन्म को लेकर इनके भी कई अलग-अलग दावे हैं।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि ज्योतिषशास्त्र में कुछ ऐसे राज बताए गए हैं जो बताते हैं कि एक किन्नर के किन्नर होने का कारण क्या होता है वहीं आपको ये भी बता दें कि व्यक्ति की कुंडली से हम ये भी बता सकते हैं कि उसमें कितनी प्रजनन क्षमता है। किसी व्यक्ति के नपुंसक होने का प्रमाण उसकी कुंडली भी दे सकती है। जिस तरह से ज्योतिष शास्त्र में जन्मपत्री के आठवें घर में शुक्र और शनि मौजूद हों और इन्हें गुरू, चन्द्र नहीं देख रहे हों तो व्यक्ति नपुंसक हो सकता है उसी प्रकार ज्योतिष में ये भी बताया गया है कि आखिर क्यों और किस योग के बनने से किन्नर जन्म ले लेते हैं।