कुछ ऐसी ही अलग सोच रांची के एक युवक की थी। उसने भी पढ़ाई की। इसके बाद मैनेजमेंट कोर्स करने के लिए एमबीए किया और अच्छी नौकरी भी हासिल कर ली। फिर भी उसका मन नहीं लगा। इसके बाद उसने मछली बेचने के काम शुरू किया। आज वो 11 लाख रुपये महीना कमा रहा है। आइए जानें उसने ये कमाल कैसे किया।

मिलिए MBA पास मछली वाले से, नौकरी छोड़कर बेचने लगा मछलियां..कमा रहा 11 लाख रुपये महीना

नौकरी छोड़कर चुना था नया रास्ता

निशांत नाम के युवक ने ये कमाल किया है। वो रांची के रहने वाले हैं। उन्होंने भी किसी आम युवक की तरह पढ़ाई की थी और एमबीए किया था। अच्छी कंपनी में जॉब भी कर रहे थे। इसी बीच नौकरी करते-करते उनको 10 साल हो गए। निशांत का मन बिजनेस करने में लगता था। इसी वजह से उन्होंने नौकरी छोड़कर नया रास्ता चुन लिया।

सांकेतिक फोटो

निशांत ने कुछ ऐसा करने की सोची जिससे कमाई भी हो और लोगों को भी रोजगार का मौका मिल सके। उनको सबसे अच्छा आइडिया मछली बेचने का लगा। निशांत ने मछली पालन बिजनेस करने की ठान ली। इसके बाद उन्होंने 10 साल पुरानी नौकरी को साल 2018 में छोड़ दिया। फिर वो मछली पालन सीखने की कोशिश करने लगे।

इंडोनेशिया से सीखा मछली पालन

रांची के रातू निवासी निशांत ने अपने पार्टनर के साथ मिलकर मछली पालन करने का फैसला किया। इसके लिए वो सबसे पहले इंडोनेशिया गए। वहां उन्होंने कम लागत में ज्यादा मछली उत्पादन की बारीकियां सीखीं। इसके बाद वो वापस रांची आए और अपना मछली सेटअप लगाना शुरू कर दिया।

उन्होंने यहां इंडोनेशिया की तकनीक से मछली पालन शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी। उनका बिजनेस चल निकला। अब वो हर दिन करीब 300 किलो मछली बेचते हैं। इससे उनकी दैनिक कमाई करीब 36 हजार रुपये है। महीने की कमाई की बात करें तो ये 11 लाख रुपये तक पहुंच जाती है।

लोगों को भी सिखा रहे मछली पालन के गुर

निशांक ने नौकरी छोड़ अब दूसरों को नौकरी देने का बिजनेस शुरू किया। वहीं वो लोगों को भी मछली पालन के गुर सिखाते हैं। वो पॉन्ड कल्चर, पेन कल्चर, बायोफ्लॉक और जलाशय से मछली पालकर दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। वो कहते हैं कि आप बिना तालाब के भी मछली पाल सकते हैं। बस कृत्रिम टंकियां होनी चाहिए जिनकी मदद से बिजनेस शुरू हो सकता है।

उनका कहना है कि वो रोहू, कतला, देसी मांगुर समेत सलिवर ग्रास कार्प आदि मछलियां पालते हैं। तीन महीने में मछलियां बड़ी हो जाती हैं। इसके बाद ये आसानी से बाजार में बिक जाती हैं। उनसे मछली पालन सीखने के लिए कई दूसरे प्रदेशों से भी लोग आने लगे हैं। वो निशांत से गुर सीखकर अपने प्रदेश में बिजनेस करने लगे हैं।