हिंदुस्तान में कई सालों तक कई बादशाहों और राजाओं का राज रहा, लेकिन अगर बात करें सबसे लंबे समय तक भारत पर राज करने की तो मुगल साम्राज्य ने सबसे ज्यादा राज किया। जिसके बारे में विस्तार से बात करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन कहा जाता है कि हिंदुस्तान पर मुग़लों का शाशन लगभग 1526 से 1857 तक रहा।
भारत में मुगलों ने लंबे समय तक राज किया, इस वजह से उस दौरान उन्होंने कुछ अच्छे और कुछ बुरे काम भी किए। इस वजह से लोग आज भी उसके बारे में बात करते हैं। आज हम इस लेख में मुगल बादशाहों के हरम के बारे में बात करने जा रहे हैं तो चलिए अब हम उसके बारे में जानते हैं।
ऐसा होता था मुगल बादशाहों का हरम
मुग़ल साम्राज्य के राजाओं ने एक समय पर राजवंशियों को हरा कर पूरे इलाके में अपनी हुकुमत कायम कर ली थी। उन्होंने कई राज्यों को लूटा और वहां के लोगों को अपना कैदी बना लिया। प्रचलित कथाओं की मानें, तो सिपाहियों और राजाओं को मार दिया गया, जबकि वहां की औरतों को दासी बना लिया गया था।
मुगल सल्तनत को लेकर कई कथाएं इतिहास के पन्नों और इंटरनेट पर देखी जा सकती हैं, जिनके अनुसार मुगलों के शासनकाल के दौरान एक और प्रथा थी, जिसे हरम की प्रथा कहा जाता है। खास कर मुगलों ने ही इस प्रथा को बढ़ावा दिया था।
हरम वो जगह होती थी, जहां नगल बादशाहों की बेगमें और दासियां रहती थी। दूसरे राज्यों से दासी बना कर लायी गयी राजकुमारियों और औरतों को भी यहीं रखा जाता था। इनमें से कुछ से बादशाह शादी कर लेते थे, तो कुछ को महज दासी ही बना कर रखा जाता था।
इंटरनेट से मिली जानकारी के अनुसार हरम वो जगह होती थी, जहां पर कई सारी औरतें रहती थी और ये औरतें और लड़कियां सिर्फ और सिर्फ राजा के मनोरंजन और उनकी सेवा के लिए होती थी। हरम की महिलाएं रानी के कामों में भी हाथ बंटाती थी।
हरम में 14 साल से लेकर 80 साल की महिलाएं होती थी। इस हरम में केवल बादशाह को जाने की इजाजत होती थी। उनके अलावा कोई और पुरूष हरम में नहीं जा सकता था। ऐसा करने वाले को दंडित किया जाता था।
कुछ कथाओं के अनुसार तो ऐसा भी कहा जाता है कि मुग़लों के हरम का मतलब दासी और महिलाओं के लिए एक नरक। हरम में फांसी घर और कुएं भी हुआ करते थे, क्योंकि जो भी दासियां, बादशाहों के आदेश का पालन नहीं करती थी, उल्लंघन करती थीं, उन्हें सजा ए मौत दी जाती थी।
यहां से हुई हरम की शुरूआत
दरअसल, हरम शब्द आया है अरबी भाषा से, जिसका मतलब होता है पवित्र या वर्जित। मुग़ल साम्राज्य में हरम की प्रथा की शुरुआत बाबर के दौर से ही हो गई थी। बाबर के दौर में हरम को बहुत ज्यादा विकसित नही किया जा सका। ये काम किया गया सम्राट अकबर के दौर में।
अकबर ने व्यवस्थित हरम बनवाएं और उसके हरम में अलग अलग देशों और धर्म से जुड़ी महिलाओं को रखा गया। हरम में भी महिलाओं की पहुंच अलग अलग होती थी। कुछ बादशाहों की पत्नियां होती थी और कुछ को जबरन इसलिए लाया जाता था क्योंकि बादशाह की उन पर नजर पड़ जाती थी और उनका दिल भा लेती थी।
हर बादशाह के हरम के नियम और कायदे अलग अलग होते थे। मुग़लों के हरम में बड़ी संख्या में किन्नरों की भी तैनाती होती थी। किसी भी बाहर से आने वाले इंसान को लाना और उनको बाहर तक छोड़ना उनकी जिम्मेदारी का अहम हिस्सा हुआ करती थी। ये बेगमों के लिये उनकी सेविका के रूप में काम करते थे।