अहंकार एक ऐसी चीज है जो बड़े-बड़े लोगों को भी ले डूबता है। इसलिए इंसान को कभी भी अपने हुनर, दौलत या रंग-रूप का घमंड नहीं करना चाहिए। जब आपको किसी चीज का घमंड होता है और आप सामने वाले को नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं तो ऊपर वाला आपको आपके कर्मों की सजा देता है।
अहंकार कैसे आपका खुद का दुश्मन बन सकता है, इस बात को समझाने के लिए हम आपको एक कहानी सुनाने जा रहे हैं। इस कहानी को पढ़कर आप हमारे बात की गहराई को और भी अच्छे से समझ सकेंगे।
जब चकनाचूर हुआ मूर्तिकार का घमंड
एक समय की बात है। एक नगर में एक हुनरमंद मूर्तिकार रहता था। वह बहुत ही सुंदर और सजीव मूर्तियां बनाता था। मूर्तियों का निर्माण करते-करते उसे कई साल हो गए। समय के साथ उसकी कला और भी निखरती चली गई।
कई साल ऐसे ही बीत गए। कलाकार अब बूढ़ा हो गया। उसने सोचा जल्द ही यमदूत मुझे लेने आएंगे और मेरी मृत्यु हो जाएगी। यह ख्याल दिमाग में आते ही वह चिंतित हो उठा। फिर उसे एक तरीका सुझा। उसने अपने जैसी हूबहू दिखने वाली दस मूर्तियां बना दी।
कलाकार ने सोचा कि ज भी यमदूत आएंगे तो मैं तुरंत उन मूर्तियों के बीच जाकर बैठ जाऊंगा। फिर वह मुझे पहचान नहीं सकेंगे और मेरी जान बच जाएगी। जल्द वह दिन आया जब यमदूत कलाकार को लेने आए। अपनी योजना के अनुसार कलाकार फौरन अपने जैसी दिखने वाली दस मूर्तियों के बीच बैठ गया।
अब एक ही शक्ल के 11 लोगों को देख यमदूत भी दंग रह गए। वह सोचने लगे कि अब क्या करा जाए? मूर्तियां तोड़ कला का अपमान नहीं कर सकते, और यदि कलाकार के प्राण नहीं लिए तो सृष्टि का नियम टूट जाएगा। फिर यमराज को एक तरकीब सूझी।
यमराज ने जोर से कहा “काश, इन मूर्तियों को बनाने वाला मिलता, तो मैं उसे बताता कि मूर्तियां तो उसने बहुत सुंदर बनाई हैं, लेकिन इनको बनाने में एक त्रुटि रह गई।” यह सुन कलाकार का अहंकार जाग उठा। उसने सोचा मेरी कला में ऐसी कौन सी कमी रह गई? ऐसे में वह तुरंत बोल पड़ा “कैसी त्रुटि?”
बस फिर क्या था, यमदूत ने कलाकार को झट से पकड़ लिया और बोले “बस यही त्रुटि कर गए तुम अहंकार में। क्या हमे नहीं पता कि बेजान मूर्तियां बोला नहीं करतीं।”
अहंकार इंसान को ले डूबता है
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है कि हमे कभी भी किसी चीज का घमंड नहीं करना चाहिए। अपनी कला, पैसे या रूप का घमंड करना और दूसरों को नीचा दिखाना आपको बर्बाद कर सकता है। इसे भी जरूर पढ़ें –