आपने देखा होगा कि अगर सूर्यास्त के बाद किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसका अंतिम संस्कार अगले दिन किया जाता है। ऐसे में आपने देखा होगा कि मरने के बाद इंसान के शरीर को अकेला नहीं छोडा जाता है। आखिर इसके पीछे की वजह क्या है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते है।
इन तीन कारणों से मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार को किया जाता है स्थगित
1. अगर किसी की मुत्यु सूर्यास्त के बाद होती है तो उसके शव को रातभर घर में रखा जाता है और अगले दिन उसका अंतिम संस्कार किया जाता है। इसके पीछे मान्यता यह है कि अगर रात में शरीर का अंतिम संस्कार किया जाता है तो व्यक्ति को नीचा दिखाया जाता है और उसे मोक्ष नहीं मिलता है। ऐसी आत्मा किसी असुर, दानव या पिशाच की योनि में जन्म लेती है।
2. पंचक काल में यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो पंचक काल में शव का दाह संस्कार नहीं किया जा सकता है। शव का अंतिम संस्कार करने के लिए पंचक काल समाप्त होने का इंतजार करना पड़ता है। तब तक लाश को घर में रखा जाता है और शव के पास ही रहना होता है।
3. हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि किसी व्यक्ति को उसके बेटे द्वारा दफनाया जाना चाहिए। ऐसे में अगर किसी का बेटा या बेटी कहीं दूर रहता है तो उसका इंतजार किया जाता है और शव को घर में रख दिया जाता है। कहा जाता है कि जब किसी बेटे या बेटी का अंतिम संस्कार किया जाता है तो मृत आत्मा को शांति मिलती है, नहीं तो वह भटक जाती है।
इस वजह से शव को अकेला नहीं छोडा जाता
बता दें कि शव को अकेला नहीं छोडने का कारण है कि इसे कुत्ते और बिल्ली जैसे जानवर खरोंच सकते है। ऐसे में गरुड पुराण के अनुसार ऐसी स्थिति में मृत आत्मा को यमलोक के रास्ते में इस तरह की यातना सहनी पडती है।
ये भी माना जाता है कि अगर शव को अकेला छोड दिया जाए तो उसमें से बदबू आने लगती है। ऐसे में ये जरुरी है कि उसके पास व्यक्ति वहां बैठा रहे और शव के चारों ओर लगातार अगरबत्ती या अगरबत्ती जलाए ताकि शव से निकलने वाली दुर्गन्ध आसपास न फैले।
मृत शरीर को बुरी आत्माओं के साये से बचाना जरूरी
इसके अलावा, मृत शरीर को अकेला नहीं छोड़ा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मृत व्यक्ति की आत्मा वहां भटकती है और अपने परिवार के सदस्यों को देखती है। जिससे मृत शरीर पर बुरी आत्माओं की छाया पड़ सकती है। यही कारण है कि रात में लाश को अकेला नहीं छोड़ा जाता और न ही उसकी रक्षा कोई करता है।