सच को चाहे जितना भी छुपाने की कोशिश की जाए वो सामने आ ही जाता है। भारत में चुनावी नतीजों से पहले पीएम मोदी को एक बड़ी जीत मिली है। नतीजों से पहले पूरी दुनिया एग्जिट पोल का इंतजार कर रही थी।
लेकिन एक बड़ा खेल हो गया है। 4 जून को जब भारत में काउंटिंग शुरू होगी तो ठीक उसी वक्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अपने देश से गायब हो जाएंगे। समुंदर के बीच ध्यान कर रहे पीएम मोदी को मानो तपस्या का फल मिल गया हो। पीओके को लेकर पाकिस्तान भले ही दावा करता रहे लेकिन आज उसके झूठ की पोल खुद ही उसके मुंह से खुल गई।
पाकिस्तानी सरकार ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष स्वीकार किया है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) एक विदेशी क्षेत्र है और इस पर पाकिस्तान का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। कश्मीरी कवि और पत्रकार अहमद फरहाद शाह के अपहरण मामले में पाकिस्तान के अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल की ओर से 31 मई को दुर्लभ स्वीकारोक्ति सामने आई।
इस्लामाबाद अदालत अहमद फरहाद शाह के मामले की सुनवाई कर रही थी, जिन्हें 15 मई को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने रावलपिंडी स्थित उनके घर से अपहरण कर लिया था।पाकिस्तान का सरकारी वकील कह रहा है कि पीओके एक विदेशी क्षेत्र है। ऐसे में पाकिस्तान का तो उस पर दावा ही नहीं बनता है। भारत सरकार लगातार ये कहती रही है कि पीओके हमारा हिस्सा है और हम इसे वापस लेकर रहेंगे। ऐसे में कोर्ट में पाकिस्तान के सरकारी वकील के इस कबूलनामे ने पीओके पर भारत के दावे को पुख्ता कर दिया है। पाकिस्तान की सरकार ने कोर्ट में जो कहा उससे लगता है कि वो अपने ही जाल में उलझते चले जा रहे हैं। जितना वो अहमद फरार वाले केस को दबाने की कोशिश कर रहे हैं वो उतना ही सामने आ रहा है। भारत अपना दावा तो पीओके पर खुले तौर पर करता है। लेकिन पाकिस्तान की कथनी और करनी में कितना अंतर है वो इससे पता चलता है। अगर विदेशी धरती है तो पाकिस्तानी रेंजर्स को किसके हुकूम से पहुंचाया गया।
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मोहसिन अख्तर कयानी चाहते थे कि कवि की पत्नी की याचिका के बाद फरहाद शाह को अदालत में पेश किया जाए। पाकिस्तान टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल ने न्यायमूर्ति कयानी के समक्ष दलील दी कि फरहाद शाह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पुलिस हिरासत में था और उसे इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष पेश नहीं किया जा सका। पाकिस्तान टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कश्मीर एक विदेशी क्षेत्र है, जिसका अपना संविधान और अपनी अदालतें हैं, और पीओके में पाकिस्तानी अदालतों के फैसले विदेशी अदालतों के फैसले के रूप में दिखाई देते हैं।