Updated on 7 Jun, 2024 10:30 AM IST BY VOICEOFRIGHTS.IN
लखनऊ । लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों आने के बाद यह साफ हो गया है कि यहां से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। इण्डिया गठबंधन विशेषकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की सोशल इंजीनियरिंग ने बाजी पलट दी। यहां की राजनीति में जातीय समीकरण का ढांचा और मजबूत होता जा रहा है। चुनाव परिणाम को देखें तो सभी पार्टियों में इस बार सवर्ण सांसदों की संख्या घट गई है। पिछड़ो का दबदबा बढ़ गया है। ओबीसी वर्ग से सबसे ज्यादा 34 सांसद चुने गए हैं। इसके बाद एससी वर्ग से 18 सांसद जीते हैं। ब्राह्मण समुदाय से 11 और क्षत्रिय वर्ग से 7 प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे हैं।
पांच मुस्लिम सांसद भी बने हैं। इसके बाद तीन वैश्य और दो भूमिहार वर्ग के नेता सांसद चुने गए हैं। इस तरह देखा जाए तो अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित की तुलना में ब्राह्मण और क्षत्रिय सांसदों की नुमायंदगी कम हो गई है। अवध की 16 सीटों में लखीमपुर खीरी से लेकर बस्ती तक कुर्मी जातियां सबसे ज्यादा हैं। कुर्मी के अलावा अन्य पिछड़ी जातियां भी हैं जो पार्टियों को फायदा पहुंचाती रहती हैं। पूर्वांचल और अवध की अधिकतर सीटों पर पिछड़े और अति पिछड़े जातियों के सहारे बीजेपी और सपा समेत सभी राजनीतिक दल बाजी मारती रहती हैं।